Famous Cricketers Son Who failed in Cricket: क्रिकेट में फैंस की दीवानगी और उम्मीदें बढ़ती ही जा रही हैं। इसी तरह क्रिकेटरों में भी इस खेल को अपनी पीढ़ी में पहुंचाने की चाहत होती है। जब किसी महान खिलाड़ी का बेटा क्रिकेट में अपना करियर बनाने आता है तो शुरुआत से ही उसकी तुलना उसके पिता से कर दी जाती है, जिस वजह से वो उतना नाम ही नहीं कमा पाता, जो उनके पिता ने कमाया था। आज हम आपको कुछ ऐसे ही क्रिकेटर्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें भी इस तरह के चैलेंज का सामना करना पड़ा और उन खिलाड़ियों का करियर कुछ ही मैचों में खत्म हो गया।
1. सुनील गावस्कर के बेटे रोहन गावस्कर
सुनील गावस्कर का नाम दुनिया के सबसे सफल बल्लेबाजों में लिया जाता है। गावस्कर के भारतीय क्रिकेट में दिए अहम योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। लेकिन रोहन गावस्कर को शायद ही कोई जानता हो। रोहन, सुनील गावस्कर के बेटे हैं। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने जब भारत के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया तब किसे पता था कि वह इस गेम में इंटरनेशनल लेवल पर बढ़ने की बजाए पूरी तरह से फेल हो जाएंगे। 2004 में रोहन ने इंटरनेशनल क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डेब्यू किया। पहले ही मैच में रोहन फ्लॉप रहे। इसके बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ भी रोहन ने शानदार फिफ्टी जड़ी। लेकिन अफसोस कि रोहन अपने इस फॉर्म को बरकरार नहीं रख पाए और सिर्फ 11 वनडे खेलकर ही रोहन का करियर खत्म हो गया।
2. विवियन रिचर्ड्स और मॉली रिचर्ड्स
दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में एक विवियन रिचर्ड्स के बेटे के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पिता की तरह ही बाएं हाथ के आक्रामक बल्लेबाज मॉली ने 11 प्रथम श्रेणी मैचों में सिर्फ 376 रन बनाएं। इस प्रदर्शन के दम पर तो कोई क्लब टीम भी उनको अपनी टीम में जगह नहीं देने वाली थी तो वह वेस्टइंडीज के लिए भी नहीं खेल सके।
3. कॉलिन काउड्री के बेटे क्रिस काउड्री
इंग्लैंड के महान खिलाड़ियों में शुमार कॉलिन काउड्री के बेटे क्रिस काउड्री भी क्रिकेट की दुनिया में अपना नाम कमाने में नाकाम रहे। क्रिस काउड्री को 1984 में इंग्लैंड टीम में शामिल किया गया। क्रिस ने अपना पहला मैच भारत के खिलाफ मुंबई में खेला और अपने पहले ही मैच के पहले ही ओवर में उन्होंने कपिल देव को आउट कर दिया। कपिल देव के रुप में बड़ा विकेट चटकने वाले क्रिस का करियर ज्यादा नहीं चल पाया। क्रिस का इंटरनेशनल करियर बहुत ही छोटा रहा और अपने करियर के दौरान उन्होंने सिर्फ 6 टेस्ट और 3 वनडे ही खेले। इसके बाद उन्हें टीम में मौके मिलना बंद हो गए और धीरे-धीरे उनका करियर पूरी तरह खत्म हो गया।