भारत-न्यूज़ीलैंड डे-नाइट टेस्ट को लेकर सस्पेंस बरक़रार, गांगुली ने कहा अभी नहीं ले सकते फ़ैसला

भारतीय क्रिकेट टीम को अपने घर में डे-नाइट टेस्ट खेलने के लिए लगता है अभी और इंतज़ार करना पड़ेगा। ख़बरें आईं थी कि इसी साल अक्तूबर में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घरेलू टेस्ट सीरीज़ के दौरान कोलकाता में होने वाला मुक़ाबला पिंक बॉल से दुधिया रोशनी में खेला जाएगा। बंगाल क्रिकेट संघ की तरफ़ से भी इस बात के संकेत मिलने लगे थे कि कोलकाता का ऐतिहासिक इडेन गार्डेन भारत में पहले डे-नाइट टेस्ट की मेज़बानी कर एक और इतिहास रचेगा। लेकिन बीसीसीआई ने जब 2016-17 का कार्यक्रम जारी किया तो उसमें कहीं भी डे-नाइट टेस्ट का ज़िक्र नहीं किया गया। भारत-न्यूज़ीलैंड के बीच होने वाली इस टेस्ट सीरीज़ में भारत कहीं से ये नहीं चाहता कि सीरीज़ में घरेलू एडवांटेज को ज़ाया किया जाए, शायद यही वजह है कि इस डे-नाइट टेस्ट पर कई सवाल मंडरा रहे हैं। बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा, "हम चाहते हैं कि पिंक बॉल से एक प्रयोग किया जाए, लेकिन ये तभी संभव है जब खिलाड़ी इसमें सहज महसूस करें, इसलिए हम दुलिप ट्रॉफ़ी में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन टेस्ट मैच के लिए अभी कुछ कहना संभव नहीं।" बंगाल क्रिकेट संघ को भी पूरा भरोसा है कि कोलकाता पहले डे-नाइट टेस्ट का गवाह बनेगा और इसलिए ही बीसीसीआई ने न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ होने वाले 3 टेस्ट मैचों में एक की मेज़बानी कोलकाता को दी है। लेकिन एक अंग्रेज़ी अख़बार से बातचीत के दौरान बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने सस्पेंस और बढ़ा दिया। "अभी कहना जल्दबाज़ी होगा, सब कुछ निर्भर करता है कि दुलिप ट्रॉफ़ी में प्रयोग कैसा रहेगा। उसके बाद ही हमें ये पता चल पाएगा कि क्या पिंक बॉल भारतीय हालात के लिए अच्छा है या नहीं। उसके बाद ही बीसीसीआई कोई फ़ैसला कर पाएगी। कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिन्हें हमें ध्यान में रखना होगा, मसलन क्या पिंक बॉल काफ़ी देर तक टिक पाएगी। क्या पिच की कंडिशन को गेंद के मुताबिक़ बदलना होगा, ओस का असर इस पर कितना फ़र्क पैदा करेगा और क्या भारतीय खिलाड़ी इसके अनुकूल ख़ुद को ढाल पाएंगे।" दादा के इस बयान और बीसीसीआई अध्यक्ष की प्रतिक्रिया के बाद तो ऐसा ही लगता है कि डे-नाइट टेस्ट पर कोई अंतिम फ़ैसला लेने से पहले बीसीसीआई दुलिप ट्रॉफ़ी में पिंक बॉल का प्रयोग ज़रूर देखना चाहेगी।