पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने अपने अंतिम टेस्ट मैच में एमएस धोनी द्वारा मैच के अंतिम क्षणों में कप्तानी सम्भालने की पेशकश को पहले ठुकरा दिया था। अपनी आने वाली आत्मकथा में दादा ने लिखा है “जैसे ही मैच खत्म होने की कगार पर गया महेंद्र सिंह धोनी ने मुझे कप्तानी सम्भालने को कहा लेकिन मैंने मना कर दिया। हालांकि, जब उन्होंने दूसरी बार कहा तो मैं मना नहीं कर पाया।” यह बात 2008 की भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के अंतिम टेस्ट मैच की है। यह मैच पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली का अंतिम टेस्ट मैच भी था। भारत ने इस मैच में ऑस्ट्रेलिया को 172 रनों से हराकर 4 टेस्ट मैचों की सीरीज को 2-0 से जीत लिया था। गांगुली ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहली बार कप्तानी भी इसी दिन 2000 में की थी। गांगुली ने आगे लिखा है “जब ऑस्ट्रेलिया की अंतिम जोड़ी मैदान पर भी तब मैंने तीन ओवरों के लिए फील्डिंग लगाई और गेंदबाजी में भी बदलाव किये लेकिन मुझे फोकस करने में परेशानी हो रही थी। इसी वजह से तीन ओवर बाद ही मैंने धोनी को कप्तानी सम्भालने को बोल दिया” अपने अंतिम मैच में गांगुली ने 85 और 0 रनों की पारी खेली थी और दोनों ही पारियों में उन्हें पहला टेस्ट मैच खेल रहे जेसन क्रेजा ने आउट किया। गांगुली ने कहा कि अंतिम मैच में शतक से चूकने का उन्हें काफी दुख है। हालांकि, सचिन तेंदुलकर ने इस मैच में शतक बनाया और गांगुली ने इसपर ख़ुशी जाहिर करते हुए लिखा है कि मैं तो तीन अंकों के आंकड़े से 15 रनों से चूक गया लेकिन मेरे दोस्त सचिन ने जबरदस्त शतक बनाया।” अंतिम पारी में शून्य पर आउट होने के बावजूद गांगुली को ख़ुशी है कि उनकी टीम वह मैच जीत गयी और उन्होंने कहा कि मुझे जीरो पर आउट होने का कोई दुख नहीं है क्योंकि मैंने गलत शॉट खेला था लेकिन पहली पारी में शतक से चूकने का मुझे आज भी दुख है।