बीसीसीआई की आगामी वार्षिक बैठक में कूलिंग ऑफ़ पीरियड के नियम में बदलाव किया जा सकता है। लोढ़ा समिति ने यह नियम बनाया था जिसमें बोर्ड का एक पदाधिकारी राज्य क्रिकेट संघ या बोर्ड ने तीन-तीन साल के दो कार्यकाल पूरे करने के बाद तीन साल के लिए कूलिंग ऑफ़ पीरियड यानि आराम के योग्य माना जाएगा। बोर्ड की मीटिंग में बीसीसीआई के संविधान में बदलाव कर यह नियम हटाया जा सकता है।
इस नियम के हटने से सौरव गांगुली का बीसीसीआई में कार्यकाल बढ़ सकता है। कोषाध्यक्ष अरुण धूमल के अनुसार यदि को खेल के हित के लिए अच्छा करता है तो उसे मौका मिलना चाहिए। कूलिंग ऑफ़ से खेल हित की चीजों में रूकावट आ सकती है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि राज्य संघ और बोर्ड के कार्यकाल को एक साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
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सौरव गांगुली को बंगाल क्रिकेट संघ में एक बार अध्यक्ष का कार्य पूरा करने के बाद फिर से चुना गया था। बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद उनके पास कूलिंग ऑफ़ पीरियड में जाने से पहले दस महीने हैं। इसके बाद बोर्ड अध्यक्ष के फिर से चुनाव होने हैं। अगर बीसीसीआई के संविधान में बदलाव किया जाएगा, तो गांगुली का कार्यकाल बढ़ाने में सुविधा मिलेगी।
बोर्ड की एजीएम यानि वार्षिक बैठक दिसम्बर में होगी, देखना दिलचस्प होगा कि इसमें क्या निकलकर आता है और संविधान में बदलाव के तहत कौन सी नई चीजें देखने को मिलेगी। दादा के अध्यक्ष बनने के बाद यह पहली एजीएम है।
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