हितों में टकराव के विवाद से बचने के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने एटीके मोहन बागान के निदेशक के रूप में पद छोड़ने का फैसला किया है। बता दें मोहन बागान RPGS वेंचर्स लिमिटेड के स्वामित्व वाली फुटबॉल टीम है, जिन्होंने सोमवार को एक रिकॉर्ड 7,090 करोड़ रुपये की बोली लगाकर आईपीएल के लिए लखनऊ की टीम खरीदी है।
क्रिकइंफो के मुताबिक गांगुली ने मोहन बागान में अपनी भूमिका से हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मोहन बागान एक ऐतिहासिक और सम्मानित फुटबॉल क्लब है, जो इंडियन सुपर लीग का हिस्सा है।
वहीं पूर्व भारतीय कप्तान गांगुली न सिर्फ मोहन बागान बोर्ड के निदेशकों में से एक हैं, बल्कि इसके एक शेयरधारक भी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि गांगुली मोहन बागान की भूमिका से तब तक दूर रहेंगे जब तक वह बीसीसीआई के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे।
यह मामला तब सामने आया जब मोहन बागान के मालिक और साथ ही आईपीएल फ्रेंचाइजी आरपीएसजी के उपाध्यक्ष संजीव गोयनका ने सोमवार को बताया कि गांगुली पद छोड़ने की दहलीज पर हैं। गोयनका ने इस बारे में कहा कि मुझे लगता है कि वह मोहन बागान से पूरी तरह से हटने जा रहे हैं और इसकी घोषणा वह खुद करेंगे।
यदि सौरव गांगुली एक ही समय में बीसीसीआई और मोहन बागान दोनों के पदों पर बने रहते हैं, तो वह बीसीसीआई संविधान के तहत हितों के टकराव नियम का उल्लंघन करेंगे। इससे बचने के लिए वह फुटबाल टीम से अपना संबंध खत्म करने की योजना बना चुके हैं।
गौरतबल है कि यह पहली बार नहीं है, जब गांगुली अपने बीसीसीआई पद से संबंधित हितों के टकराव के मुद्दे में शामिल हैं। साल 2019 में गांगुली हितों के टकराव की स्थिति में पाए गए थे। गांगुली उस समय बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। ठीक उसी समय वह आईपीएल में दिल्ली कैपिटल्स के सलाहकार और टीवी कमेंटेटर के रूप में भी काम कर रहे थे।