पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली की बंगाल के के बैलुरघाट में आठ फीट उंची लगी कांस्य प्रतिमा को राजनीतिक संघर्ष के चलते वापस हटा लिया गया है। दो दिन पहले ही गांगुली की मौजूदगी में यह प्रतिमा लगाई गई थी। वहां के जिला स्पोर्ट्स संघ के अध्यक्ष और एमएलए या एमपी के अलग-अलग पार्टी से होने के कारण ऐसा हुआ हो क्योंकि अध्यक्ष ने इस प्रतिमा के अनावरण में एमएलए और एमपी को आमंत्रित नहीं किया गया था। 15 वर्षों के समयांतराल के बाद सौरव गांगुली ने इस छोटे कस्बे तक जाने के लिए ट्रेन से यात्रा की। उत्तरी बंगाल के मालदा जिले के बैलुरघाट के बिकास मैदान में दादा ने इस मूर्ति का अनावरण किया था। इसके बाद दादा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा "मेरे जैसे दिखती है"।
राजनीतिक समस्या ने बंगाल के लोगों को स्टेडियम के अंदर फेंक दिया है। स्थानीय लोगों ने इस बारे में चिंता जताने के अलावा आन्दोलन के लिए भी चले गए हैं। उनके अनुसार प्रतिमा को हटाना इस बड़े आइकन का सीधा अपमान है और ऐसा हम कभी स्वीकार नहीं कर सकते। उन्हें शांत करने के लिए लोकल काउंसिल ने जिला खेल संघ को एक पत्र लिखा है। काउंसिल ने इस प्रतिमा को स्टेडियम के मुख्य द्वारा पर लगाने की बजाय कस्बे के किसी महत्वपूर्ण स्थान पर लगाने का विकल्प सुझाया है। इससे पता चल सकता है कि जिला क्रिकेट संघ मूर्ति को स्टेडियम में लगी रहने देने का इच्छुक कम ही है। उन्होंने इसे स्टेडियम के प्रवेश द्वारा पर लगाने में असमर्थता जताते हुए कोलकाता स्थित गांगुली के घर भेजने के लिए उन्हें लिखा है, इस प्रस्ताव को गांगुली द्वारा स्वीकार करने की खबरें भी आई है। गौरतलब है कि गांगुली बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं और क्रिकेट में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए बंगाल के लोग किसी नायक से कम नहीं मानते।