SAvIND: एक सफल एकदिवसीय श्रृंखला की जीत में छिपी हैं 4 चिंतायें

# 3 ऑलराउंडर

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आज क्रिकेट में एक बात बार बार कही जा रही है- 'बेन स्टोक्स रातों रात बेन स्टोक्स नही बने' इस वाक्य पर कितनी भी बातें हो पर कहीं न कहीं सही भी है। भारत के हार्डिक पांड्या अभी भी भारत की आलराउंडर की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने पिछले दौरों पर कुछ सुधार किया है, और ऐसा लगता भी है कि टीम इंडिया ने उन्हें उनके मौजूदा कौशल के लिए बहुत अधिक महत्व दे रखा है। यदि पांड्या पांचवें गेंदबाज की भूमिका को पूरा करते हैं, तो उन्हें गेंदबाजी करने में पूरी तरह सक्षम होना चाहिए, ऐसी गेंदबाजी जिससे कि वह भुवनेश्वर कुमार और जसप्रित बुमराह की कसी गेंदबाजी शुरुआत और कुलदीप और चहल के स्पिन के जाल से उत्पन्न दबाव को खत्म न होने दें और दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों के लिए एक खतरा बन सकें। अक्सर उन्हें नये बल्लेबाजों को गेंदबाज़ी करते देखा गया है और जैसे ही हमला होता है हटा दिया जाता है और विकेट के पतन के बाद वापस लाया जाता है या केदार जाधव को उनकी जगह ले आया जाता है। इंग्लैंड में आयोजित होने वाले विश्व कप के लिये, भारत को मजबूत तेज गेंदबाजी आक्रमण की जरूरत है क्योंकि वहाँ जाधव शायद प्रभावी नहीं हो सकेंगे। विराट कोहली ने हर दूसरी कांफ्रेंस में उन्हें 'मैच विजेता' कहा है, हालांकि उन्होंने मैच-जीतने वाले प्रदर्शन को आज तक नहीं दिखाया है, यह ठीक है कि खिलाड़ियों को समर्थन मिलना चाहिये और उन्हें आत्मविश्वास देना चाहिये, और कोहली को एक मुखर कप्तान भी माना जाता है। हमारा मानना है कि हार्दिक पांड्या टीम इंडिया का भविष्य हैं, लेकिन आत्मविश्वास और अति आत्मविश्वास के बीच एक रेखा होनी चाहिये, जिससे खिलाड़ी और जिम्मेदारी ले सकें। ईमानदारी से कहा जाये तो कोहली और टीम प्रबंधन को, पांड्या को समझाने की जरुरत है जिससे कि वह स्पिन और तेज़ गेंदबाजी के खिलाफ अपनी आक्रामकता तो दिखा सकें। इसके लिए उन्हें अपनी बल्लेबाजी तकनीक को बेहतर करना होगा और गेंदबाजी में सिर्फ बाउंसर पर अपनी निर्भरता खत्म करना होगा।

Edited by Staff Editor
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