ऐसा देश जहां बल्लेबाज अनगिनत ऊंचाईयों को छूते हैं और जहां गेंदबाजों के लिए एक मुकाम पर पहुंचना एक बड़ा काम होता है। ऐसे कई विश्व स्तरीय बल्लेबाजों से घिरे होने के बावजूद अनिल कुंबले टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए सबसे बड़े मैच विजेता थे। 90 के दशक के दौरान, भारत ने खेल के इस प्रारूप में नाबाद श्रृंखला जीतने का रिकॉर्ड बनाया। इस अविश्वसनीय जीत के पीछे कुंबले की बेहतरीन गेंदबाजी ही थी। अपने जुझारू दृष्टिकोण और गेंदबाजी की शैली के साथ कुंबले ने सफल लाइनअप के खिलाफ भारत को अनगिनत यादगार जीत के लिए प्रेरित किया। फिरोजशाह कोटला में एक उखड़ी हुई सतह पर पाकिस्तान के खिलाफ दूसरी पारी में दस विकेट लेने का कारनामा कर दिखाया जो किसी भी भारतीय गेंदबाज का सबसे आश्चर्यजनक स्पेल था। वहीं दूसरी ओर टेस्ट लेवल पर अपने देश के नेतृत्व का विशेषाधिकार प्राप्त करने के बाद कुंबले बेहद गरिमा के साथ कप्तान बने। जिस तरीके से उन्होंने अपने खिलाड़ियों को सिडनी टेस्ट में विवादास्पद हार से हताश होने की बजाय पर्थ में एक जबरदस्त जीत के लिए उकसाना शुरू किया, वही उनकी निष्ठा से प्रतिबद्धता को दर्शाता था। करियर अवधि: 1990-2008 आंकड़े: 132 मैच में 29.65 की औसत और 65.9 की स्ट्राइक रेट के साथ 619 विकेट हासिल किए। जिसमें 35 बार 5 विकेट और 8 बार 10 विकेट का आंकड़ा पार किया।