#2. सुनील गावस्कर
आज जब विराट कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम की शीर्ष रैकिंग और वर्चस्व की सभी ओर चर्चा हो रही है, ऐसे में बहुत से लोगों को यह पता नहीं होगा कि 1970 की दशक के शुरुआत में 15 महीने तक आईसीसी ने भारत को नंबर 1 की रैंकिंग दी थी। उस पूरे दशक में सुनील मनोहर गावस्कर ने 55.91 की औसत और 22 शतकों की मदद से 5647 रन बनाकर बल्लेबाजी चार्ट में राज किया था। 70 के दशक में कम से कम 4000 रन के साथ सभी खिलाड़ियों में कोई भी बल्लेबाज अपनी बल्लेबाजी औसत या शतकों की संख्या के करीब नहीं आ सका। अभेद डिफेंस और एकाग्रचित होने की शक्तियों के साथ शारीरिक रूप से कम होने के बावजूद गावस्कर के सामने लंबे लंबे फास्ट बॉलर भी छोटे नजर आते थे। बेशक, वेस्टइंडीज के खिलाफ उनकी बल्लेबाजी रिकॉर्ड शानदार था चाहे 1971 में अपनी डेब्यू सीरीज की बात करें जिसमें कई स्पिनरों और मध्यम गति गेंदबाजों का आक्रमण था। हालांकि, कैरेबियन पेस चौकड़ी ने एक निजी समारोह के दौरान उन्हें 'मास्टर' के रूप में संज्ञा दी और सम्मान और प्रशंसा की। 1979 की गर्मियों में गावस्कर की मैराथन 443 गेंद में 221 रन की पारी की मदद से भारत चौथी पारी में बॉब विलिस, इयान बाथम और माइक हेन्ड्रिक की विश्व स्तरीय गेंदबाजी के सामने 438 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा करने में सफल रहा। जब प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार प्राप्त करने के लिए इस दाएं हाथ के बल्लेबाज को बुलाया गया तो ओवल स्टेडियम में मौजूद दर्शक इस महान बल्लेबाज के सम्मान में खड़े हो गये। शायद ही कभी एक भारतीय क्रिकेटर को घर से दूर किसी विपक्षी दर्शकों से इतना सम्मान मिला हो। करियर अवधि: 1971-1987 आंकड़े: 10,122 रन 125 मैच में 51.12 की औसत के साथ। जिसमें 34 शतक और 45 अर्धशतक शामिल थे।