भारत के श्रीलंका दौरे की एकदिवसीय श्रृंखला की शुरूआत हो चुकी है। दोनों देशों ने अपनी टीमों की घोषणा की है और मेजबान से टेस्ट श्रृंखला में उनके प्रदर्शन के मुकाबले ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद की जा रही है। यह 2012 के बाद श्रीलंका में भारत की पहली एकदिवसीय श्रृंखला है, जब उन्होंने मेजबान टीम को 4-1 से हरा दिया था। उस टीम के केवल चार खिलाड़ी अब भी शामिल हैं- एमएस धोनी, मौजूदा कप्तान विराट कोहली, रोहित शर्मा और अजिंक्य रहाणे।
आईये 2012 के सीरीज़ में खेले पांच खिलाड़ियों पर नजर डालें, जो आज से शुरू एकदिवसीय श्रृंखला में शामिल नहीं होंगे।
मनोज तिवारीबंगाल के मूल निवासी तिवारी ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपना पहला एकदिवसीय शतक बनाया, लेकिन टीम में होने के बावजूद उस पारी के बाद एक भी वनडे नहीं खेलने को मिला। उन्हें श्रीलंका दौरे के लिए पांच वनडे की टीम में शामिल किया गया था। पहले तीन वनडे के लिए बेंच पर समय बीत जाने के बाद, तिवारी का कोलंबो में चौथे वनडे के लिए अंतिम ग्यारह में चयन किया गया था, जिसमें राहुल शर्मा की जगह खेले थे। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और उपुल थरंगा की 51 रन की पारी के बूते 251 रन बनाये। इसके बाद थिरिमने और तिलकरत्ने दिलशान ने भी 47 और 42 रन बनाए थे। तिवारी जिन्हें एक गेंदबाज़ की जगह चुना गया था ने 10 ओवर में 61 रन देकर 4 विकेट लिए।
जवाब में, भारत ने गौतम गंभीर को पहले ही खो दिया लेकिन वीरेंद्र सहवाग और विराट कोहली लगातार रन बना रहे थे और दूसरे विकेट के लिए 52 रन जोड़ने के बाद, सहवाग एंजेलो मैथ्यूज की गेंद पर 34 रन बनाकर शॉर्ट कवर में मौजूद वैकल्पिक फील्डर सचित्रा सेनानायके द्वारा लिये गये शानदार डाइविंग कैच के चलते आउट हो गए थे । इसके बाद रोहित शर्मा 4 रन पर आउट हो गये और भारत अब 60/3 पर मुश्किल में था। इस मौके पर, मनोज तिवारी ने कोहली के साथ क्रीज संभाली और 38 गेंदों में 21 रन बनाकर अजंता मेंडिस की गेंद पर आउट हुए। भारत यह मैच 6 विकेट से जीतने में सफल रहा। विराट कोहली के शानदार 128 और सुरेश रैना ने 58 रन की पारी खेली और पांचवें विकेट के लिए 146 रन जोड़े। तिवारी ने 68 गेंदों में 65 रन बनाते हुए अगले मैच में एक और प्रशंसनीय प्रदर्शन किया क्योंकि भारत ने 294/7 रन बनाए, गेंद से वो महंगे रहे जहाँ अकेले ओवर में 14 रन खर्च कर दिए , हालांकि भारत 20 रन से मैच जीता और इस तरह श्रृंखला भी जीत ली।
हावड़ा के जन्मे इस खिलाड़ी ने अगले दो टी -20 में श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ न तो बल्लेबाजी की और न ही गेंदबाजी की। उन्हें 2012 के टी -20 विश्व कप में जगह मिली थी, लेकिन भारत के पांच मैचों में से किसी में भी अंतिम ग्यारह के हिस्सा नहीं थे। हालांकि, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के सुपर 8 मैच में एक कैच लपका था। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ खेलने के लिए एकदिवसीय टीम में चुना गया था लेकिन चोट के कारण उन्हें बाहर निकाला गया। इसके बाद तिवारी दो साल तक टीम से बाहर रहे, जब तक कि तीन वनडे में बांग्लादेश दौरे के लिए चुनी गयी दूसरी दर्जे की टीम में उन्हें शामिल नहीं किया गया। हालांकि उन्होंने खेले गए एकमात्र मैच में केवल दो रन बनाए और बाद में टीम से बाहर कर दिया गया, इसके बाद जिम्बाब्वे खेलने के लिए चुनी गयी टीम में चुना गया।
एक बार फिर, उनके प्रदर्शन में कमी थी, क्योंकि उन्होंने 11.33 के औसत से तीन वनडे में केवल 34 रन बनाए। तब से तिवारी भारतीय टीम से बाहर हो गए हैं और भारत के पास पर्याप्त प्रतिस्थापन के साथ एक बहुत ही ठोस मध्यक्रम रहा है, यह बहुत कम ही संभावना है कि बंगाल के कप्तान की अंतर्रराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी होगी।
प्रज्ञान ओझाओझा ने 2012 में भारत के श्रीलंका दौरे के पहले दो वनडे मैच खेले, जिसमें उन्होंने हंबनटोटा में पहले एकदिवसीय मैच में 6 ओवर 44 रन देकर 1 विकेट लिया और दूसरे मैच सिर्फ 5 गेंदें फेकीं जिनमे 7 रन दिए। ओझा अगले तीन एकदिवसीय मैचों में नहीं खेले थे और इसके बाद आगे की श्रृंखला में उन्हें चुना भी नही गया। ओझा 2013 तक टेस्ट खेलते रहे और वेस्टइंडीज के भारत दौरे के बाद टेस्ट टीम से भी हटा दिया गया था।
2013 के बाद से ओझा को भारतीय टीम में स्थान नहीं मिला है और वह वर्तमान में घरेलू सर्किट में बंगाल के लिए खेलते हैं। स्पिन विभाग में श्रेष्ठ साबित हो रहे रवि अश्विन और रविन्द्र जडेजा की पहली पसंद के साथ, यह बहुत कम संभावना है कि भारत की टी-शर्ट में प्रज्ञान ओझा को दोबारा देखा जायेगा।
इरफान पठानपठान शुरू में श्रीलंका दौरे के लिए टीम में नहीं थे, लेकिन बाद में घायल आर विनय कुमार के स्थान पर शामिल हुए। बड़ौदा के आलराउंडर को सभी पांच मैचों में खेलने का मौका मिला और 26.37 के औसत से 8 विकेट लेते हुए, श्रृंखला को सर्वाधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी के रूप में समाप्त किया। तीसरे एकदिवसीय मैच में पठान के 31 गेंद में 34 रन की मदद से भारत ने केवल दो गेंदों के रहते मैच जीता जबकि उन्होंने अंतिम एकदिवसीय मैचों में पांच विकेट लिए जिसके लिये बाद में उन्हें मैन ऑफ द मैच अवार्ड मिला। पठान विश्व ट्वेंटी -20 के दौरान भारत की टीम का नियमित हिस्सा बन गये लेकिन टूर्नामेंट के समापन पर उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। उन्हें चैंपियंस ट्रॉफी जीती टीम में चुना गया था लेकिन केवल एक वार्म-अप खेल पाये थे। चैंपियंस ट्रॉफी के बाद चोटों ने पठान को घरेलू सर्किट में अच्छा प्रदर्शन करने से रोका है।
हालांकि, उन्होंने 2016-17 में घरेलू सत्र में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन यह राष्ट्रीय टीम में वापसी करने के लिए पर्याप्त नहीं है। भारत के पास हार्डिक पंड्या के होने और पठान के साथ उम्र नहीं होने के कारण, राष्ट्रीय टीम में इरफान पठान के लिए रास्ते का निश्चित रूप से अंत दिख रहा है। सुरेश रैना
इस श्रृंखला के दौरान रैना भारत के बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक थे क्योंकि उन्होंने 58 के एक प्रभावशाली औसत से 174 रन बनाए और समान रूप से प्रभावी 118.36 के स्ट्राइक रेट से। मध्यक्रम का यह बल्लेबाज़ अगले कुछ वर्षों में भारत के सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ियों में से एक रहा, जहां उन्होंने भारत के साथ चैंपियंस ट्रॉफी जीती, 2014 के विश्व टी 20 के फाइनल में पहुंच गया और 2015 के विश्व कप और 2016 के विश्व टी 20 के सेमीफाइनल में टीम पहुंची। 2016 के वर्ल्ड टी 20 के बाद, रैना को टी -20 टीम से हटा दिया गया था (पहले से ही 2015 में एकदिवसीय टीम से बाहर हो गये थे), लेकिन उसके बाद न्यूजीलैंड की श्रृंखला के लिए एकदिवसीय टीम में वापसी करने के मौके बाद ही चिकनगुनिया के कारण तुरंत बाहर भी हो गये।
रैना ने इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला के लिए टी -20 टीम जगह बनाई थी, जहां उन्होंने तीसरे टी20 में 63 रन बनाए थे। तब से, वह अभी भी राष्ट्रीय टीम के दरवाजे पर हैं। हालांकि रैना ने आईपीएल के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया है और चयनकर्ताओं के अध्यक्ष ने कहा भी है कि उन्हें विश्राम दिया गया है, ऐसे में हो सकता है कि रैना को भारतीय टीम में फिर से देखा जा सकता है।
गौतम गंभीरगंभीर ने 2012 में श्रीलंका के खिलाफ एक शानदार सीरीज खेली थी, जहां वह 51.60 के औसत से 258 रनों के साथ दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे और तीसरे वनडे में एक शतक और 2 अर्धशतक दूसरे और पांचवें मैच में लगाये। इसके बाद वो अगले साढ़े पांच महीने और भारतीय टीम का हिस्सा रहे क्यूंकि फिर चयनकर्ताओं ने आईपीएल और घरेलू क्रिकेट में अच्छे प्रदर्शन के आधार पर, भारतीय बल्लेबाजी को ओपन करने के लिए शिखर धवन और रोहित शर्मा का चयन किया था। गंभीर को इंग्लैंड दौरे के लिए टेस्ट टीम में फिर शामिल किया गया था लेकिन उन्होंने चार पारियों में 4, 18, 0 और 3 रनों के साथ बेहद ख़राब प्रदर्शन किया। गंभीर ने आईपीएल और घरेलू स्तर पर अच्छा प्रदर्शन जारी रखा और 2016 में न्यूजीलैंड की सीरीज़ के अंतिम टेस्ट के लिए केएल राहुल के चोटिल होने पर टेस्ट टीम में वापसी की। गंभीर ने पहली पारी में 29 रन बनाए थे लेकिन इसके बाद दूसरी पारी में 56 गेंदों में तेज़ 50 रन बनाकर और भारत ने मैच के साथ ही श्रृंखला भी 3-0 से जीती थी।
उन्हें 5 मैचों की श्रृंखला के पहले दो टेस्ट मैचों में इंग्लैंड का सामना करने के लिए टीम में शामिल किया गया था। हालांकि राजकोट में पहले टेस्ट में उनका प्रदर्शन बहुत खराब रहा जहाँ उन्होंने पहली पारी में 29 रन बनाये थे और दूसरी पारी में खाता भी न खोल सके थे।परिणामस्वरूप दूसरे टेस्ट में वो नहीं खेले और अगले तीन टेस्ट के लिए टीम से बाहर कर दिए गए। तब से गंभीर ने आईपीएल में शानदार प्रदर्शन किया और वह दूसरे सबसे ज्यादा रन-स्कोरर थे। हालांकि श्रीलंका दौरे के लिए चुनी गयी टेस्ट टीम के लिए उन्हें अनदेखा कर दिया गया था। श्रीलंका के खिलाफ शिखर धवन और केएल राहुल दोनों जबर्दस्त प्रदर्शन करने के साथ ही ओपनिंग के लिए मुरली विजय के रूप में एक कठिन चुनौती भी सामने है और इसे देखते हुए यह लगता है कि शायद हमने भारत के बेहतरीन सलामी बल्लेबाजों में से एक का अंत देख लिया है।
लेखक: नीलभरा रॉय अनुवादक: राहुल पाण्डे