दिल्ली टेस्ट में श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने मास्क पहनकर जरुर फील्डिंग की लेकिन उन्होंने भारत की पहली पारी में बेवजह बार-बार मैच रोकने का प्रयास किया और 58 मिनट में चार बार खेल रुका। मंगलवार को भी जब श्रीलंकाई खिलाड़ी दूसरी बार फील्डिंग के लिए आए, तब मास्क पहनकर उतरने से पहले डीडीसीए और मैच रेफरी ने डॉक्टर से मेहमान खिलाड़ियों की जांच कराई, तो वे एकदम फिट मिले। एम्स के एनेस्थेसिया विभाग के प्रोफेसर ने अपनी रिपोर्ट मैच रेफरी डेविड मून को सौंप दी।
मामले पर डेविड मून को संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी थी, जो अभी तक तो नहीं हुई है लेकिन श्रीलंका के खिलाड़ियों के इस रवैये से खेल भावना जरुर खराब हुई है। डॉक्टर के अनुसार खिलाड़ियों का पल्स रेट 70 से 80 के बीच था और लंग्स रेट 90 से 100 के बीच रहा जो व्यक्ति के सबसे फिट होने का प्रमाण होता है। इसके अलावा उन्होंने खिलाड़ियों को हल्के स्तर का मास्क नहीं पहनने की सलाह देते हुए हरियाली में बिना मास्क जाकर गहरी सांस लेने की सलाह दी गई लेकिन मेहमान खिलाड़ियों ने ऐसा नहीं किया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ जांच करने वाले डॉक्टर भल्ला ने कहा कि बल्लेबाज पर प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर होता है, क्योंकि गेंदबाज एक स्पेल के बाद आराम कर लेता है लेकिन बल्लेबाज को दौड़ना पड़ता है। श्रीलंकाई खिलाड़ियों के मास्क भी निम्न श्रेणी के थे और उनसे किसी भी तरह के प्रदूषण से बचना नामुमकिन बताया गया।
गौरतलब है कि फील्डिंग के समय श्रीलंका के खिलाड़ी सुरंगा लकमल को उल्टियाँ करते हुए देखा गया था, इसके बाद उन्होंने फील्डिंग करने से मना करते हुए बार-बार खेल को रोका था। यह देखना भी दिलचस्प रहा कि फील्डिंग के बाद श्रीलंका की बल्लेबाजी के दौरान किसी भी बल्लेबाज ने मास्क नहीं पहना। भारतीय गेंदबाज मोहम्मद शमी को भी उल्टियाँ करते हुए देखा गया था लेकिन उन्होंने इसका कारण गले में मख्खी जाना बताया था।