भारत में भव्य स्वागत होता है और राहुल द्रविड़ मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं : स्टीफन फ्लेमिंग

न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग कई बार भारत आ चुके हैं। वह कीवी टीम के कप्तान के रूप में कई बार और फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद आईपीएल की टीमों चेन्नई सुपर किंग्स व राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स के कोच के रूप में लगातार भारत आते रहे। मगर 43 वर्षीय दिग्गज का मानना है कि फ्रेंचाइज़ी टीमों के कोचिंग करने के दौरान ही वह असली भारत को समझ सके। पूर्व बाएं हाथ के स्टाइलिश बल्लेबाज ने कहा, 'भारत में आना हमेशा ही अच्छा लगता है क्योंकि यहां के लोग बहुत ही गर्मजोशी के साथ आपका स्वागत करते हैं। मगर पिछले 10 वर्षों से विशेषतौर पर जब मैंने कोचिंग शुरू की, तब से समझ सका हूं कि भारत क्या है। मैं यहां फिर दो या तीन दिन रुकने के लिए नहीं आया बल्कि तीन से चार महीने रुका। इससे मुझे गहराई के स्तर पर जाकर लोगों को समझने का मौका मिला।' मैदान के बाहर पूर्व कीवी कप्तान भारत में कई अभियानों का हिस्सा हैं। फ्लेमिंग ने हाल ही में न्यूजीलैंड एजुकेशन के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में दिल्ली की यात्रा की जहां उन्होंने खुलासा किया कि भारत में उनके सबसे पुराने दोस्त राहुल द्रविड़ हैं। उन्होंने कहा, 'मेरी राहुल द्रविड़ के साथ काफी लंबे समय से दोस्ती है। मैं उन्हें 1992 से जानता हूं क्योंकि हमने साथ में यूथ कप खेला था। फिर हमारी दोस्ती बढ़ती गई और एक-दूसरे के प्रति काफी सम्मान भी बढ़ा। जब भी मैं बैंगलोर में होता हूं तो हमारे परिवार साथ में ही डिनर करते हैं।' फ्लेमिंग की इसके अलावा कोच पद पर रहते हुए महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना, रविचंद्रन अश्विन और आशीष नेहरा से काफी अच्छी दोस्ती हुई। उन्होंने कहा, 'आईपीएल में कोचिंग के दौरान धोनी, रैना, अश्विन और नेहरा से अच्छी दोस्ती हुई। उन्हें प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि अपनी टीम का साथी मानते हुए जाना जो शानदार अनुभव है।' बाएं हाथ के बल्लेबाज ने न्यूजीलैंड के लिए 1994 में भारत के खिलाफ अपने टेस्ट करियर का डेब्यू किया और 92 रन की पारी खेलकर मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार भी जीता। 1995 में फ्लेमिंग ने विवादों को आमंत्रण दे दिया था जब उन्होंने माना था कि टीम के साथियों मैथ्यू हार्ट और डियोन नैश के साथ होटल के कमरे में गांजे का नशा किया था। फ्लेमिंग ने 1996/97 में इंग्लैंड के खिलाफ ऑकलैंड में सीरीज के पहले टेस्ट में न्यूजीलैंड के लिए अपना पहला शतक जड़ा था। इसके बाद तीसरे टेस्ट में उन्होंने ली गेर्मोन से कप्तानी का दारोमदार लिया और न्यूजीलैंड के सबसे युवा कप्तान बन गए। फ्लेमिंग ने 23 वर्ष 321 दिन की उम्र में कप्तानी की जिम्मेदारी उठाई थी। फ्लेमिंग न्यूजीलैंड के सर्वाधिक रन स्कोरर हैं और उन्होंने किसी भी अन्य कीवी खिलाड़ी से अधिक कप्तानी की है। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने 2008 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट खेलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था।