भारत और ऑस्ट्रेलिया रांची में खेले गए तीसरे टेस्ट में पुराने जमाने की तरह उलझे रहे। यह बीते युग की याद दिलाने जैसा था, जहां बल्लेबाज रन के लिए, वहीँ गेंदबाज विकेट के लिए जद्दोजहद करते हुए नजर आए। अंत में दोनों ही टीमों को कड़ी मेहनत के बाद ड्रॉ के रूप में मैच का परिणाम प्राप्त हुआ। इसमें भारतीय टीम के गेंदबाजी चयन को लेकर पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने सवाल खड़े किये हैं। विराट कोहली के टीम समन्वय को लेकर उन्होंने कहा "जब नंबर 6 और 7 पर भारतीय टीम अश्विन और ऋद्धिमान साहा जैसे खिलाड़ियों की बल्लेबाजी से लाभान्वित हो रही हो और नंबर 8 पर जैसे जडेजा ने रन बनाए, तो मुझे लगता है कि 6 बल्लेबाज और 5 गेंदबाज का सिद्धांत अपनाना चाहिए। सोमवार को भारत को पांचवें गेंदबाज की कमी महसूस हुई। मैं यह नहीं कह रहा कि पांचवां गेंदबाज विपक्षी टीम को आउट कर देता लेकिन वह कठिन मेहनत कर रहे तेज गेंदबाजों को विराम जरुर देता। उमेश और इशांत ने दिल से गेंदबाजी की।" ऐसा पहले हुआ भी था जब कप्तान विराट कोहली न्यूजीलैंड के खिलाफ 5 गेंदबाज और छह बल्लेबाजों के संयोजन के साथ मैदान पर उतरे थे लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने इसे बदलते हुए 7 बल्लेबाजों के साथ जाने का फैसला किया। पुणे में हुए पहले टेस्ट में 333 रनों की करारी शिकस्त झेलने के बाद कोहली ने जयंत यादव की जगह करुण नायर को एक बल्लेबाज के रूप में टीम में शामिल किया। इससे पहले न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ भारतीय टीम में 5 गेंदबाजों को खिलाया गया, जिसका फायदा भी टीम को मिला। जयंत, अश्विन और जडेजा ने गेंद के साथ ही बल्ले से भी शानदार प्रदर्शन कर टीम को सातवें बल्लेबाज की कमी महसूस नहीं होने दी। हाल ही में रांची में समाप्त हुए टेस्ट में साहा और जडेजा ने बल्ले से अपने हाथ दिखाए, इसलिए भुवनेश्वर या जयंत यादव को टीम में शामिल करने का विकल्प मौजूद था। इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में 303 रनों की पारी के बाद लगातार रनों के लिए जूझ रहे करुण नायर को धर्मशाला में होने वाले चौथे और अंतिम टेस्ट के लिए अंतिम ग्यारह से बाहर रखते हुए किसी अन्य खिलाड़ी को टीम में जगह दी जा सकती है।