पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने 2013 के बाद से आईसीसी (ICC) टूर्नामेंट में भारत की असफलता का कारण टीम में ऑलराउंडरों की कमी को बताया। इस बारे में बात करते हुए गावस्कर ने कहा कि 1983 वर्ल्ड कप, 1985 वर्ल्ड चैंपियनशिप और 2011 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम कई बेहतरीन ऑलराउंडरों से भरी हुई थी। उन्होंने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए पहले वनडे में मेहमान टीम को 31 रनों से मिली हार के बाद यह प्रतिक्रिया दी।
पहले वनडे में पहले बल्लेबाजी करते हुए दक्षिण अफ्रीकी टीम ने 4 विकेट खोकर 296 रन बनाए, जिसमें टेम्बा बावुमा (110) और रासी वैन डर डुसेन (129*) ने शतकीय पारियां खेली। जवाब में उतरी भारतीय टीम का स्कोर 138/1 था, शिखर धवन (79) और विराट कोहली (51) क्रीज पर बल्लेबाजी कर रहे थे। लेकिन इसके बाद नियमित अंतराल पर विकेट गिरते गए और भारतीय टीम को 31 रनों से हार का सामना करना पड़ा। मध्यक्रम क्रम बल्लेबाजी पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई। हालांकि शार्दुल ठाकुर ने बल्लेबाजी करते हुए 50* रनों की नाबाद पारी खेली।
गावस्कर ने आज तक से बात करते हुए कहा,
केवल एक ही कारण है कि इस टीम ने आईसीसी टूर्नामेंट (वनडे और टी20) में निराश किया है। अगर आप उन टीमों को देखें जिन्होंने 1983 और 2011 वर्ल्ड कप और यहाँ तक कि 1985 की वर्ल्ड चैंपियनशिप जीती थीं, तो वे सभी बेहतरीन ऑलराउंडरों से भरी हुई थीं।
भारतीय टीम में कई ऐसे बल्लेबाज थे जो गेंदबाजी कर सकते थे और गेंदबाज बल्लेबाजी कर सकते थे - सुनील गावस्कर
जब उनसे एक दर्शक ने पूछा कि क्या इस भारतीय पक्ष में संतुलन की कमी है? तब इस पर जवाब देते हुए गावस्कर ने कहा,
उस समय भारतीय टीम में कई ऐसे बल्लेबाज थे जो गेंदबाजी कर सकते थे और गेंदबाज बल्लेबाजी कर सकते थे। 6, 7 और 8वें नंबर पर ऑलराउंडर खिलाड़ियों की आवश्यकता होती है, जो इन सभी चैम्पियन टीमों के पास थे। युवराज सिंह और सुरेश रैना जैसे खिलाड़ी बहुत अच्छी गेंदबाजी और बल्लेबाजी कर सकते थे। पिछले 2-3 सालों में भारतीय टीम में यही एक कमी है, जिसके चलते कप्तान के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं और टीम में लचीलेपन की कमी हो रही है।