सुनील गावस्कर ने टीम इंडिया का कोच नहीं बनने का कारण बताया

पूर्व भारतीय कप्तान और महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) ने राष्ट्रीय टीम को कभी कोचिंग न देने के लिए एक स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने रविवार को खुलासा किया कि वह खेल को लम्बे समय खेल को सिर्फ एक किनारे से नहीं देख सकते। यही कारण है कि उन्होंने कोचिंग का काम नहीं किया।

सुनील गावस्कर अब तक के सबसे अच्छे सलामी बल्लेबाजों में से एक हैं और प्रसारण क्रू में भी एक सम्मानित नाम हैं जो सीधा और बेबाक तरीके से अपनी राय रखते हैं। 2004 में जब भारतीय टीम की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज के दौरान उन्हें सलाहकार नियुक्त किया गया था, तब वह कोच बनने के करीब आए थे।

एक यूट्यूब चैनल से बातचीत में गावस्कर ने कहा कि जब मैं खेल खेल रहा था तब भी मैं क्रिकेट का एक भयानक दर्शक रहा हूँ। अगर मैं आउट होता तो बहुत रुक-रुक कर मैच देखता रहता था। मैं कुछ देर तक मैच देखने के बाद ही ड्रेसिंग रूम में जाकर कुछ पढ़ता था। इसके बाद फिर से बाहर आकर मैच देखने लगता था। मैं विश्वनाथ की तरह गेंद दर गेंद नहीं देख सकता और कोच की जॉब के लिए यह काफी अहम चीज होती है। यही कारण है कि मैंने कोच बनने के बारे में कभी नहीं सोचा।

सुनील गावस्कर ने भारत के लिए 125 टेस्ट में 51.12 की औसत से 34 शतकों सहित शानदार 10122 रन बनाए। उन्होंने एकदिवसीय मैचों में 35.13 की औसत से 3000 से अधिक रन भी बटोरे। हालांकि टीम को कोचिंग न देकर भी सुनील गावस्कर ने खुद को भारतीय क्रिकेटरों की नई पीढ़ी की मदद करने से कभी दूर नहीं रखा। क्रिकेट विश्लेषण के दौरान भी उन्हें जो बात ठीक नहीं लगती, उसे कहते हुए संकोच नहीं करते। कमेंट्री करने वाले अन्य लोगों में से गावस्कर इस वजह से अलग हैं।

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Edited by Naveen Sharma
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