इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने सोमवार को एडिनबर्ग में अपनी सालाना मीटिंग रखी, जिसमें काफी मुद्दों पर बात हुई। पिछले दो सालों में आईसीसी की यह सबसे महत्वपूर्ण मीटिंग थी और मॉडर्न क्रिकेट को देखते हुए, इसकी अहमियत भी काफी बढ़ जाती हैं। आईसीसी के एग्जिक्यूटिव डेव रिचर्डसन काफी अच्छे मनोबल के साथ मीटिंग में पहुंचे, उन्हें देखकर लग रहा था कि उन्हें इस मीटिंग से काफी उम्मीदे हैं। ईएसपीएन की रिपोर्ट के अनुसार आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के मेन ड्रॉ में 2 नई टीमें लाने की योजना बना रही हैं, जोकि 2018 में होना हैं। वो इस फॉर्मेट को सुपर 10 से सुपर 12 करना चाहता हैं। हालांकि इस पर आखिरी फैसला अभी नहीं हुआ हैं, लेकिन इसके 12 होने की पूरी उम्मीद हैं । यह बात काफी हैरान करने वाली है। इस मीटिंग में जो सबसे बड़ी चर्चा थी, वो थी बिग थ्री के रोल को लेकर, जिसे कि 2014 में लाया गया था। क्रिकेट में सबसे ज्यादा ताकत इस समय ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत के हाथ में ही हैं। रिचर्डसन ने कहा, "जो भी दो साल पहले हुआ, हमें उसी पर चर्चा करनी थी(बिग थ्री के बारे में)। हमें 105 मेम्बर्स को देखना होता हैं।" सूत्रों की मानें तो इस मीटिंग के पहले दिन सबको पूरी स्वतंत्रता देने की बात हुई और आईसीसी में शामिल 57 एफिलेट्स को मीटिंग में आने का और वोट करने का अधिकार मिलना चाहिए। इस मीटिंग में यह फैसला भी हुआ कि आईसीसी पहले की तरह अपने 5 एफिलेट्स का खर्चा उठाएगा और बाकी 52 एफिलेट्स अपना खर्चा खुद उठाएंगे। जो नियम एफिलेट्स मेम्बर्स के लिए हैं, उनमें बदलाव करने की भी मांग हुई, क्योंकि वो काफी सख्त नियम हैं और उससे उन मेम्बर्स को गलत संदेश जाएगा। यूक्रेन उसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं। उनके पास अपनी क्रिकेट लीग हैं, फिर भी वो आईसीसी के मेंबर्स नहीं बन सकते, क्योंकि आईसीसी की सारी शर्तों को पूरा नहीं करते। इस मीटिंग में इस बात पर भी चर्चा हुई की आईसीसी अपने क्षेत्रीय रिश्तों को सुधारे और अलग जगह अपना ऑफिस बनाए। जैसे रूस आईसीसी का मेम्बर हैं, तो ईस्टर्न यूरोप में एक ऑफिस होना चाहिए, जिससे कि तालमेल करने में आसानी हो। लेखक- उत्सव अग्रवाल, अनुवादक- मयंक महता