प्रतिबंधित क्रिकेटर एस श्रीसंत ने अपने ऊपर लगे अजीवन प्रतिबन्ध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि उन पर अजीवन प्रतिबंध लगाने का बीसीसीआई का फैसला पूरी तरह से अनुचित है। श्रीसंत ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने आईपीएल 2013 स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण में संलिप्तता स्वीकारने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर लगातार यातनाएं दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है और घोषणा के लिए तारीख नहीं हुई है।
स कथित स्पॉट फिक्सिंग मामले में गिरफ्तार श्रीसंत को जुलाई 2015 में एक निचली अदालत ने आरोप मुक्त घोषित कर दिया था। श्रीसंत का यह भी दावा है कि उन्हें स्पॉट फिक्सिंग के अपराध में संलिप्तता इसलिये स्वीकार करनी पड़ी क्योंकि पुलिस ने उन्हें हिरासत में यातनाएं दी। और इस मामले में उनके परिवार को फ़साने की भी धमकी दी।
इस पूर्व क्रिकेटर ने सुप्रीम कोर्ट में केरल हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमे बी. सी. सी. आई. द्वारा उन पर लगाये गए अजीवन प्रतिबंध के खिलाफ दावा पेश किया गया। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति के. एस. जोसेफ से श्रीसंत के वकील ने कहा कि-" आईपीएल 2013 के स्पॉट फिक्सिंग मामले के कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है। और बीते पांच-छः वर्षो में इसकी वजह से श्रीसंत को बहुत परेशानी झेलनी पड़ी है।
श्रीसंत की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि-"मई 2013 मोहाली में इंडियन प्रीमियर लीग का राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच खेला गया मैच में कोई स्पॉट फिक्सिंग हुई थी, इस बात का कोई सबूत नहीं है। श्रीसंत को इसके लिए कोई धन प्राप्त नही हुआ था।
आपको बता दें कि आईपीएल 2013 में किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रॉयल के बीच मैच में स्पॉट फिक्सिंग मामले में तीन क्रिकेटर श्रीसंत, अंकित चव्हाण, और अजित चंदीला को दोषी पाया गया था। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर हिरासत में ले लिया था। राजस्थान रॉयल्स द्वारा तीनो खिलाड़ियों को मामले की जांच होने तक निलंबित कर दिया गया था। जिसके बाद बी. सी. सी. आई ने तीनों क्रिकेटरो पर अजीवन प्रतिबंध लगा दिया है। तीनो क्रिकेटरो ने आईपीएल 2013 में राजस्थान रॉयल्स टीम का प्रतिनिधित्व किया था।
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