दक्षिण अफ़्रीकी सरज़मीं पर आज से आधुनिक दौर की सबसे बड़ी टेस्ट लड़ाई में से एक शुरू होने जा रही है। जहां एक तरफ़ पिछले 3 सालों में सिर्फ़ 2 टेस्ट मैच हारने वाली दुनिया की नंबर-1 टेस्ट टीम भारत है तो उनके सामने टेस्ट की सेकंड बेस्ट टीम दक्षिण अफ़्रीका है। प्रोटियाज़ टीम की नज़र 2015 में भारत के ख़िलाफ़ उन्हीं के घर में 0-3 से मिली करारी शिकस्त का बदला लेने पर है, इस टेस्ट सीरीज़ में हार के बाद ही दक्षिण अफ़्रीका से नंबर-1 का ताज छिन गया था।
क्या केपटाउन में टीम इंडिया करेगी कमाल ?
दक्षिण अफ़्रीका की सरज़मीं पर आज तक किसी भी भारतीय टीम ने सीरीज़ में जीत दर्ज नहीं की है। 20 सालों का ये सूखा इस बार ख़त्म हो पाएगा या नहीं इसका अंदाज़ा पहले ही टेस्ट से लग जाएगा। दो दशकों से प्रोटियाज़ का दौरा करती आ रही है भारतीय क्रिकेट टीम की ये अब तक की सर्वश्रेष्ठ टीम मानी जा रही है, यही वजह है कि इस बार भारतीय फ़ैंस को सबसे ज़्यादा उम्मीदें हैं। टेस्ट रैंकिंग से लेकर काग़ज़ तक विराट कोहली की कप्तानी वाली ये टीम प्रोटियाज़ से अव्वल दिख रही है। लेकिन असली इम्तिहान तो सिक्का उछालने के बाद मैदान पर शुरू होने वाले टेस्ट से ही होगा, जहां दोनों ही टीमें बाज़ी मारने के लिए दम लगा देंगी। भारतीय क्रिकेट टीम हर मामले में संतुलित दिखाई दे रही है, जहां उनके पास तीनों ही सलामी बल्लेबाज़ अपने जीवन के बेहतरीन फ़ॉर्म में हैं। तो नंबर-3 पर चेतेश्वर पुजारा और नंबर-4 पर विराट कोहली की लय और अफ़्रीकी सरज़मीं पर पिछले दौरे पर किया प्रदर्शन दोनों ही लाजवाब है। मध्यक्रम में अजिंक्य रहाणे भले ही हाल के दिनों में थोड़ा मायूस कर रहे हों लेकिन विदेशी धरती पर रहाणे किस रंग में बल्लेबाज़ी करते हैं वह किसी से नहीं छिपा है। भारत अगर एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ के साथ जाता है तो फिर रोहित शर्मा का खेल सकते हैं। रोहित का फ़ॉर्म शायद किसी करिश्मे से कम नहीं, साल 2017 तो इस दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए सपने जैसा था। भारत के लिए इस दौरे पर जो सबसे सकारात्मक पहलू हो सकता है वह है इस टीम के तेज़ गेंदबाज़। मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और इशांत शर्मा ज़बर्दस्त लय में हैं और प्रोटियाज़ की घास वाली पिच उनके लिए जन्नत साबित हो सकती हैं। इस टीम में हार्दिक पांड्या के तौर पर एक शानदार तेज़ गेंदबाज़ ऑलराउंडर भी है जो टीम के लिए शानदार संतुलन स्थापित कर रहा है। बात अगर स्पिन की करें और प्रोटियाज़ में बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों की संख्या को देखा जाए तो आर अश्विन भारत के लिए कारगर साबित हो सकते हैं। अश्विन भी अपने ऊपर लगे उपमहाद्वीपिय स्पिनर का टैग हटाने के लिए बेक़रार हैं, अगर अफ़्रीकी सरज़मीं पर भी अश्विन की फिरकी जम गई तो फिर केपटाउन में टीम इंडिया कमाल ज़रूर कर सकती है।
मेज़बान के दिल-ओ-दिमाग़ में है बदले की आग
आख़िरी बार इन दो देशों के बीच जब टेस्ट सीरीज़ खेली गई थी तो भारत ने उसे 3-0 से अपने नाम कर लिया था। भारत में खेली गई वह सीरीज़ प्रोटियाज़ के ज़ेहन में उतर गई है जब स्पिनरों की जन्नत जैसी पिच पर अश्विन, जडेजा और अमित मिश्रा की तिकड़ी के सामने दक्षिण अफ़्रीकी टीम ताश के पत्तों की तरह ढेर हो गई थी। प्रोटियाज़ कप्तान फ़ैफ़ डू प्लेसी ने भी टीम इंडिया को चेतावनी दे दी है कि वह सीरीज़ हमें याद है और हम चाहेंगे कि इस बार हिसाब बराबर किया जाए। यानी स्पिन का जवाब अफ़्रीका तेज़ और उछाल वाली पिच से दे सकता है। डेल स्टेन और एबी डीविलियर्स की वापसी इस टीम को और भी शक्तिशाली बना रही है, तो डीन एल्गर, हाशिम अमला, क्विंटन डी कॉक, कागिसो रबाडा और वर्नेन फ़िलैंडर जैसे सितारों से सजी ये टीम भारत की राहों में कांटे बिछाने के लिए तैयार है।
घास और उछाल से होगा टीम इंडिया का स्वागत
हालांकि कहा तो ये जा रहा है कि डरबन और जोहांसबर्ग की तुलना में न्यूलैंड्स की पिच पर कम घास और उछाल होगी और ये बल्लेबाज़ों के लिए मदद दे सकती है। लेकिन कम घास और उछाल का भी प्रोटियाज़ पेस तिकड़ी यानी मोर्ने मोर्केल, कागिसो रबाडा और फिलैंडर कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं ये बताने की ज़रूरत नहीं। न्यूलैंड्स में पिच से ज़्यादा मैदान पर हवा और बादल की दिशा मैच की दशा बदल देती है, पहले और चौथे दिन हल्की बारिश और बादल घिरे रहने की संभावना जताई जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो फिर बल्लेबाज़ों के लिए ये मुश्किल घड़ी साबित हो सकता है। 2011 में इसी मैदान पर कुछ इन्हीं परिस्थितियों में ऑस्ट्रेलिया जैसी मज़बूत बल्लेबाज़ी वाली टीम सिर्फ़ 47 रनों पर ऑलआउट हो गई थी, जो इस मैदान पर अब तक का सबसे कम स्कोर है।
दोनों ही देशों के लिए आख़िरी-11 का चयन है कठिन चुनौती
भारत के लिए एक मुश्किल तो ख़ुद ब ख़ुद आसान हो गई है और वह ये कि बाएं हाथ के स्पिनर रविंद्र जडेजा बुख़ार की वजह से इस मैच में टीम का हिस्सा नहीं होंगे। यानी स्पिनर के तौर पर आर अश्विन का खेलना तय है, तो वहीं शिखर धवन भी फ़िट हो गए हैं लिहाज़ा मुरली विजय के साथ वह पारी की शुरुआत करेंगे। कोहली के लिए जो कड़ा और बड़ा फ़ैसला है वह ये कि रोहित शर्मा को प्लेइंग-XI में रखने का मतलब होगा हार्दिक पांड्या या किसी तेज़ गेंदबाज़ का बाहर होना। और 20 विकेट लेने के लिए कोहली चाहेंगे कि एक अतिरिक्त गेंदबाज़ के साथ जाएं, ऐसे में इनफ़ॉर्म रोहित शर्मा को बाहर बैठाना काफ़ी मुश्किल फ़ैसला होगा। ज़ाहिर है अजिंक्य रहाणे कम से कम पहले टेस्ट से में तो बाहर नहीं बैठ सकते। यानी रोहित और पांड्या में से कोई एक ही प्लेइंग-XI में जगह बना पाएगा। वहीं उमेश यादव और जसप्रीत बुमराह भी केपटाउन टेस्ट की प्लेइंग-XI का हिस्सा नहीं हो पाएंगे। दूसरी तरफ़ दक्षिण अफ़्रीका के सामने 6-5 के नए नियम (रंगभेद नीति) के मुताबिक़ 5 अश्वेत खिलाड़ियों को टीम में रखना ही है। ऐसे में एबी डीविलियर्स और टेंबा बवुमा में से कोई एक ही टीम में खेल पाएंगे तो यही हाल क्रिस मॉरिस और एंडीले फेलुकवायो के साथ भी होगा। इसके अलावा डेल स्टेन की भी वापसी अंतिम-11 में होती नहीं दिख रही क्योंकि उनसे ऊपर टीम मैनेजमेंट मोर्ने मोर्कल को ही तवज्जो देगी। भारत संभावित-XI: मुरली विजय, शिखर धवन, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा/हार्दिक पांडया, ऋद्धिमान साहा, आर अश्विन, भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी और इशांत शर्मा दक्षिण अफ़्रीका संभावित-XI: डीन एल्गर, एडेन मार्कराम, हाशिम अमला, फ़ैफ डू प्लेसी., एबी डीविलियर्स, क्विंटन डी कॉक, एंडीले फेलुकवायो, वर्नेन फ़िलैंडर, कागिसो रबाडा, मोर्ने मोर्केल/डेल स्टेन और केशव महाराज