श्रीलंका की आज़ादी के 70 साल के उपलक्ष्य पर मंगलवार से कोलंबो में तीन देशों की टी20 ट्राई सीरीज़ की शुरुआत हुई, जहां पहले मैच में मेज़बान टीम ने भारत को करारी शिकस्त दी। इस सीरीज़ में तीसरी टीम बांग्लादेश की है, भारत का अगला मुक़ाबला गुरुवार को बांग्लादेश के ख़िलाफ़ ही होना है। इस सीरीज़ में भारतीय चयनकर्ताओं ने कई सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया है और युवाओं को मौक़ा देना मुनासिब समझा। रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी फिर भी मज़बूत दिखाई दे रही है, लेकिन गेंदबाज़ी विभाग ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस सीरीज़ के लिए जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार की तेज़ गेंदबाज़ी की जोड़ी को आराम दिया गया है। पिछले दो सालों में इस जोड़ी ने सभी को अपना क़ायल कर दिया है, और भुवी और बुमराह की जोड़ी को सीमित ओवर क्रिकेट की सबसे सफल जोड़ी माना जा रहा है। इनकी ग़ैरमौजूदगी का असर ट्राई सीरीज़ के पहले मैच में भी देखने को मिला जब श्रीलंकाई बल्लेबाज़ों पर भारतीय गेंदबाज़ कुछ ख़ास असर नहीं छोड़ पाए। हालांकि ये पहला मौक़ा नहीं था जब दोनों में से किसी एक या फिर दोनों को ही प्लेइंग-XI में शामिल नहीं किया गया हो। पिछले दो सालों में (जसप्रीत बुमराह के डेब्यू के बाद) से ये छठा मौक़ा था जब दोनों ही गेंदबाज़ किसी सीमित ओवर अंतर्राष्ट्रीय मैच में टीम इंडिया का हिस्सा नहीं थे, और जब ये नहीं रहते हैं तो नतीजा भी भारत के लिए अच्छा नहीं रहता। अब तक 4 वनडे और 2 टी20 मैचों में जब भी इन दोनों गेंदबाज़ों के बग़ैर टीम इंडिया मैदान में उतरी है तो उन्हें 4 बार हार झेलनी पड़ी है। इसके बाद से अब तो ये सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या बुमराह और भुवी के बिना टीम इंडिया की गेंदबाज़ी बेदम है ? इस सवाल के जवाब को जानने के लिए हमें कुछ आंकड़ों का सहारा लेना ज़रूरी है।
भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह वनडे में एक साथ
जसप्रीत बुमराह ने अपने डेब्यू मैच में ही सभी को प्रभावित किया था और उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा। बुमराह और भुवी का कॉम्बिनेशन विपक्षी टीम के लिए बेहद ख़तरनाक साबित होता है, जिसके सबूत हैं ये आंकड़े। इन दोनों ने 26 मैचों में एक साथ टीम इंडिया के लिए खेला है और इस दौरान भारत को 20 मैचों में जीत मिली है, जबकि सिर्फ़ 6 मैचों में ही टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा है। इसे भी पढ़ें: मोहम्मद शमी के ऊपर उनकी पत्नी हसीन जहां ने लगाये शोषण जैसे गंभीर आरोप
भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह टी20 अंतर्राष्ट्रीय में एक साथ
वनडे के साथ साथ टी20 में भी जब ये दोनों गेंदबाज़ एक साथ मैदान में उतरते हैं तो टीम इंडिया की जीत की संभावना बढ़ जाती है। और इसकी तस्दीक़ करते हैं ये आंकड़े, भुवी और बुमराह ने अब तक 12 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में एक साथ खेले हैं और इनमें से 7 में टीम इंडिया ने जीत हासिल की है। जबकि सिर्फ़ 3 मुक़ाबलों में ही भारत को हार मिली है, और 2 मैचों का नतीजा नहीं निकल पाया था। इन दोनों ही आंकड़ों को देखने के बाद ये कहना ग़लत नहीं होगा कि पिछले एक दो सालों से टीम इंडिया के लिए ये जोड़ी जीत की गारंटी रही है। इतना ही नहीं, अगर इन दोनों में से कोई एक गेंदबाज़ भी टीम इंडिया की प्लेइंग-XI में रहता है तो जीत की उम्मीदों में इज़ाफ़ा हो जाता है। यक़ीन न आए तो ये आंकड़े देखिए।
भुवी और बुमराह में से कोई एक भी प्लेइंग-XI में है तो समझो जीत की गांरटी
भुवनेश्वर कुमार ने भारत के लिए जिन 86 वनडे मैचों में खेला है उनमें से 52 में टीम इंडिया को जीत मिली है और 32 में हार का सामना करना पड़ा है, जबकि एक मैच टाई रहा था और एक का नतीजा नहीं आया था। जसप्रीत बुमराह का शरीक़ होना तो और भी लकी है, बुमराह ने अब तक 37 वनडे में खेला है और इनमें से 30 में टीम इंडिया के सिर जीत का सेहरा बंधा है। यही हाल टी20 अंतर्राष्ट्रीय में भी है। भुवी ने 26 टी20 अंतर्राष्ट्रीय खेले हैं और उनमें 15 में जीत नसीब हुई है तो बुमराह ने 34 टी20 अंतर्राष्ट्रीय में 25 बार भारत को विजेता बनाया है। इन आंकड़ों को देखने के बाद ये कहना कहीं से ग़लत नहीं होगा कि बुमराह और भुवनेश्वर टीम इंडिया की जीत में काफ़ी महत्व रखते हैं। पर साथ ही साथ भविष्य को देखते हुए ज़रूरत ये भी है टीम इंडिया को तेज़ गेंदबाज़ों का ऐसा बेंच स्ट्रेंथ भी तैयार करना होगा जो इन दोनों के बग़ैर भी जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। फ़िलहाल तो इन आंकड़ों को देखने के बाद कहीं से ये कहना ग़लत नहीं होगा कि बुमराह और भुवी के बिना टीम इंडिया की तेज़ गेंदबाज़ी बेदम है।