5 ऐसे मौक़े जब वनडे क्रिकेट में एक ही स्पेल में लगातार 10 ओवर कर गए तेज़ गेंदबाज़

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हाल ही में खत्म हुई भारत-श्रीलंका वनडे सीरीज के पहले मैच में सुरंगा लकमल ने धर्मशाला में गेंदबाजों की मददगार पिच पर अच्छा प्रदर्शन किया और श्रीलंका की जीत में बड़ी भूमिका निभाई। इस मैच में श्रीलंका ने टॉस जीता और पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। भारतीय टीम काफी लंबे समय बाद अपने सबसे सफल और भरोसेमंद बल्लेबाज विराट कोहली के बगैर मैदान पर उतरी और इस का असर टीम के बल्लेबाजी पर साफ नजर आया। गेंदबाजों की मुफीद पिच पर लकमल ने गेंदबाजी की शुरूआत की और लगातार दस ओवरों तक गेंदबाजी की। इस दौरान लकमल ने लगातार भारतीय बल्लेबाजों को परेशान करना जारी रखा। इस मैच में लकमल ने लगातार 10 ओवर करते हुए सिर्फ 13 रन दिए और भारतीय कप्तान रोहित शर्मा, दिनेश कार्तिक, मनीष पांडे और भुवनेश्वर कुमार को ऑउट किया। लकमल ने पिच से मिल रही तेजी और स्विंग का फायदा उठाते हुए किसी भी भारतीय बल्लेबाज को आसानी से रन बनाने का मौका नहीं दिया। उन्होंने 10 ओवरों का अपना कोटा पूरा करते हुए 19वें ओवर में ही अपने स्पेल को खत्म कर लिया। इस समय भारत का स्कोर 29 रन पर 7 विकेट था। इस मैच में धोनी ने भारत की तरफ से अकेली लड़ाई लड़ी और मेजबान टीम को 100 रनों का आकड़ा पार कराया। लेकिन यह काफी नहीं था और श्रीलंका ने आसानी से यह मैच 7 विकेट से जीत लिया। लकमल को इस मैच में मैन ऑफ द मैच का पुरूस्कार मिला और इसी के साथ लकमल ने पारी की शुरूआत करते हुए लगातार 10 ओवर फेंकने का रिकॉर्ड बनाया। लेकिन लकमल ऐसे अकेले गेंदबाज नहीं हैं। उनके अलावा भी कई ऐसे गेंदबाज हैं, जिनके नाम वनडे क्रिकेट में लगातार 10 ओवर फेंकने का रिकॉर्ड है। तो आज चर्चा ऐसे ही कुछ प्रदर्शनों पर जिन्होंने गेंदबाजी की शुरूआत करते हुए लगातार 10 ओवर फेंके।

टेरी एल्डरमैन

टेरी एल्डरमैन को इंग्लैंड में खेली गई दो एशेज़ सीरीज में उनके द्वारा किए गए शानदार प्रदर्शन के लिए जाना जाता है। एल्डरमैन ने इन दोनों मौकों पर 40 से अधिक विकेट लिए। लेकिन वह खेल के छोटे प्रारूप में भी एक प्रभावी गेंदबाज थे। 1982 की शुरूआत में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 3 मैचों की एक वनडे सीरीज खेली थी। वेलिंगटन में खेले गए श्रृंखला के तीसरे मैच से पहले दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर थी। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया। थॉमसन और एल्डरमैन ने गेंदबाजी शुरू की। हालांकि डेनिस लिली ने थॉमसन को रिप्लेस किया लेकिन दूसरे छोर से एल्डरमैन लगातार गेंदबाजी करते रहें और अपने 10 ओवरों का कोटा पूरा करके ही दम लिया। इस दौरान एल्डरमैन ने 10 ओवर में 17 रन देकर 5 विकेट लिए। लिली ने भी 10 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट लिए जिससे न्यूजीलैंड की टीम 74 रन पर ऑलआउट हो गई। आस्ट्रेलिया ने यह मैच 8 विकेट से आसानी से जीत लिया। एल्डरमैन को उनके इस प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।

फ़रवीज़ महरूफ़

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फरवीज महारूफ श्रीलंका के प्रतिभाशाली गेंदबाजों में से एक थे। वह जब केवल 19 साल के थे तभी उन्होंने 2004 में श्रीलंका के लिए डेब्यू किया था। उनसे श्रीलंकाई क्रिकेट को बहुत ही अपेक्षायें थी, हालांकि वह उन अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके। लेकिव कई बार उन्होंने अपने प्रतिभा के हिसाब से भी प्रदर्शन किया। इनमें से पहला 2005 में इंडियन ऑयल कप में आया था। श्रीलंका अपने मेजबानी में भारत और वेस्टइंडीज टीम के साथ एक त्रिकोणीय श्रृंखला में प्रतिस्पर्धा कर रही थी। श्रीलंका ने भारत के खिलाफ अपना पहला मैच जीता और वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने दूसरे मैच में भी अच्छी शुरूआत की। मार्वन अटापट्टू और कुमार संगकारा के अर्धशतकों की मदद से श्रीलंका ने 50 ओवरों में 6 विकेट पर 241 रनों का सम्मानजनक स्कोर बनाया। महरूफ और दिलहारा लोकुहितगे ने श्रीलंका की तरफ से गेंदबाजी की शुरूआत की। महरुफ ने अपने पहले पांच गेंदों में 3 रन दिए लेकिन इसके बाद उनकी अगली बाइस गेंदों पर कोई रन नहीं बना। महरूफ सही जगह पर गेंदों को डाल रहे थे इसलिए श्रीलंकाई कप्तान अटापट्टू ने उनसे लगातार पूरे कोटे की गेंदबाजी कराने का फैसला किया। महरूफ ने 10 ओवरों में सिर्फ 9 रन देकर 3 विकेट लिए। उन्होंने जेवियर मार्शल, रेयान रामदास और रिकार्डो पॉवेल को ऑउट किया। वेस्टइंडीज सिर्फ 191 रन पर ऑलआउट हो गई और श्रीलंका ने 50 रनों से जीत दर्ज की। इसके बाद श्रीलंका ने फाइनल में भारत को हराकर इस टूर्नामेंट को भी जीत लिया।

शॉन पोलॉक

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शॉन पोलॉक ने दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट में एक दशक से अधिक समय तक एक ऑलराउंडर की भूमिका निभाई, लेकिन वह मुख्यत: एक गेंदबाज थे और उनके अधिकतर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन एक गेंदबाज के रूप में ही आए। वनडे क्रिकेट में उन्होंने केवल 3.67 की इकोनॉमी रेट से रन दिया इसलिए कहा जाता था कि उनका सामना करना बहुत मुश्किल था। पोलॉक ने एक गेंदबाज के रूप में अपनी छाप पाकिस्तान के 2006-07 में दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर भी छोड़ी। इस दौरान दोनों देशों ने पांच मैचों की एकदिवसीय सीरीज खेली था। केप टाउन के चौथे वनडे मैच में पोलॉक ने लगातार 8 ओवरों का स्पेल किया और 8 रन पर दो विकेट लिए। वहीं पांचवें वनडे में पोलॉक ने अपना प्रदर्शन और भी बेहतर किया। इस मैच में पोलॉक ने एक बार फिर गेंदबाजी की शुरूआत की और इस बार बिना रूके अपने कोटे के सभी 10 ओवर कर डाले। इस मैच में पोलॉक ने 23 रन देकर 5 विकेट लिए और पाकिस्तान को 153 रन पर ऑलआउट कर दिया। दक्षिण अफ्रीका ने यह मैच 9 विकेट और सीरीज 3-1 से जीत लिया। पोलॉक को मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज दोनों का खिताब मिला। यह पोलॉक का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आखिरी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से एक था क्योंकि इसके कुछ समय बाद ही पोलॉक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह गए।

मोहम्मद आसिफ़

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मोहम्मद आसिफ अक्सर गलत कारणों से खबर में होते हैं क्योंकि कई शर्मनाक घटनाएं उनके करियर के दौरान घटी हैं। हालांकि इन सबसे इतर आसिफ एक बेहतरीन तेज गेंदबाज थे। उनकी स्विंग गेंदबाजी से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज भी परेशान हो जाते थे। फरवरी 2007 में डरबन में आसिफ ने लगातार 10 ओवर तक गेंदबाजी की और 29 रन देकर दो विकेट लिए। यह दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान के बीच पांच मैचों की वनडे का दूसरा मैच था। दक्षिण अफ्रीका उस समय सीरीज में 1-0 से लीड कर रही थी और पाकिस्तान को सीरीज में बने रहने के लिए डरबन में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव था। पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए यूनिस खान और मोहम्मद यूसुफ की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत अच्छी शुरूआत की। पारी के अंत में शाहिद आफरीदी के 35 गेंद में 77 रन की मदद से पाकिस्तान ने पारी के अंतिम 10 ओवरों में 120 रन ठोक डालें। इस तरह पाकिस्तान ने 351/4 का एक विशाल स्कोर खड़ा किया। डरबन बल्लेबाजों के लिए अक्सर एक मुश्किल पिच होती है लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने भी अच्छी शुरुआत की। हालांकि ग्रीम स्मिथ और हर्शल गिब्स को आसिफ को खेलने में खासी परेशानी हो रही थी लेकिन वे राणा नावेद और अब्दुल रज्जाक की गेंदबाजी पर खुलकर रन बना रहे थे। आसिफ ने उनके पारी को विराम देते हुए दोनों के महत्वपूर्ण विकेट हासिल कर लिए। आसिफ ने इस मैच में लगातार 10 ओवर करते हुए 29 रन देकर दो विकेट लिए। दूसरी तरफ नावेद ने 10.75 और रज्जाक ने 7.2 की इकोनॉमी से गेंदबाजी की। हालांकि आसिफ ने इस मैच में अधिक विकेट नहीं लिए लेकिन उनकी घातक गेंदबाजी की बदौलत पाकिस्तान ने 141 रनों के बड़े अंतर से जीत हासिल की। अपने इस प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने मैन ऑफ द मैच का भी पुरस्कार जीता।

फ़िल सिमंस

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हम अक्सर जब क्रिकेट के ना टूट सकने वाले रिकॉर्डों के बारे में बात करते हैं तो अक्सर जुबां पर ब्रेडमैन की बल्लेबाजी औसत, सचिन तेंदुलकर के शतक और रन, टेस्ट क्रिकेट में मुरलीधरन के 800 विकेट, टेस्ट मैचों में रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया की जीतों की संख्या और जिम लेकर के 19 विकट ही जुबां पर आते हैं। इन रिकॉर्डों के आगे ऐसे कई रिकॉर्ड बिना जिक्र किए ही रह जाते हैं, जिनको भी तोड़ पाना बहुत मुश्किल है। ऐसा ही एक अनसुना और कम प्रसिद्ध लेकिन 'मुश्किल रिकॉर्ड' वेस्टइंडी़ज के पूर्व तेज गेंदबाज फिल सिमंस के भी नाम है। 1990 के दशक के शुरुआती दौर में पाकिस्तान के खिलाफ एक वनडे मैच में फिल सिमंस ने लगातार 10 ओवर गेंदबाजी करते हुए सिर्फ 3 रन दिए और शीर्ष क्रम के 4 विकेट झटक लिए थे। सिमंस ने यह कारनामा 1992-93 के बेन्सन एंड हेजेस वर्ल्ड सीरीज के सिडनी में हुए आठवें मैच में पाकिस्तान के खिलाफ किया था। वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए वसीम अकरम और वकार यूनिस की जोड़ी के खिलाफ संघर्ष करते हुए 50 ओवर में 9 विकेट पर 214 रन बनाए। इसके बाद कर्टली एम्ब्रोस और फिल सिमंस ने वेस्टइंडीज के लिए गेंदबाजी की शुरूआत करते हुए पाकिस्तानी बल्लेबाजों को परेशान कर दिया। हालांकि सबको एम्ब्रोस, पैटरसन और बेंजामिन की तिकड़ी से बहुत उम्मीदें थी, लेकिन महफिल सिमंस लूट ले गए। सिमंस ने सही लाईन-लेंथ से गेंदबाजी करते हुए पाकिस्तानी बल्लेबाजों के लिए समस्याएं पैदा कर दी। उन्होंने गेंद को सही जगह पर डाला जिसका उन्हें बहुत फायदा हुआ। सिमंस ने लगातार 10 ओवर का कोटा पूरा करते हुए आमिर सोहेल, आसिफ़ मुज्तबा, सलीम मलिक और जावेद मियांदाद के महत्वपूर्ण विकेट हासिल किए। इस दौरान उन्होंने 8 मेडेन ओवर किया और सिर्फ 3 रन दिया। इस तरह सिमंस ने 10-8-3-4 का एक अविश्वसनीय आकड़ा पेश किया जो कि वनडे क्रिकेट के इतिहास में गेंदबाजी का सबसे खतरनाक स्पेल है। लेखक: यब्बा अनुवादक: सागर

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