बाएं हाथ के 10 सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ भारतीय बल्लेबाज

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क्रिकेट में ज्यादातर दाएं हाथ के खिलाड़ियों का दबदबा रहा है लेकिन बाएं हाथ के खिलाड़ी हमेशा खेलते हुए आकर्षक नजर आते हैं। जहां गेंदबाजी में खब्बू गेंदबाज अलग कोण से गेंद डालते हैं वहीं गेंद तेज़ी से स्विंग भी होती है। विश्व क्रिकेट ने बाएं हाथ के कई महान गेंदबाज देखते है और बल्लेबाजी के साथ भी ऐसा ही है। बल्लेबाजी की बात करें तो बाएं हाथ के बल्लेबाजों में अलग ही आकर्षण होता है। जब वो कट, पुल, ड्राइव जैसे शॉट लगाते हैं तो वह देखने में काफी अच्छा लगता है। भारतीय क्रिकेट में शुरु से ही एक से बढ़कर एक खब्बू बल्लेबाज रहे हैं, जिन्होंने मौका आने पर टीम की जीत में अहम योगदान दिया है। आईये नज़र डालते है भारतीय टीम के कुछ सर्वश्रेष्ठ बाएं हाथ के बल्लेबाजों पर 10. विनोद काम्बली अगर प्रतिभा से सफलता मिलनी होती तो आज काम्बली विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज होते, पर यही तो क्रिकेट की खासियत है कि यहां प्रतिभा को प्रदर्शन में बदलना पड़ता है। जैसा करने में काम्बली सफल नहीं हो पायें। इस खब्बू बल्लेबाज का करियर 17 टेस्ट और 104 एकदिवसीय मैचों से आगे नहीं बढ़ पाया। पहली बार काम्बली चर्चा में तब आये जब उन्होंने 17 साल की उम्र में अन्तर स्कूल प्रतियोगिता में 349* रनों की पारी खेली और सचिन तेंदुलकर के साथ 664 रनों की रिकॉर्ड साझेदारी बनाई। इस पारी के बाद काम्बली ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और जल्द ही उन्हें भारत के लिए अपना पदार्पण मैच खेलने का मौका मिला गया। अपने तीसरे और चौथे दोनों टेस्ट मैचों में दोहरा शतक बनाकर काम्बली ने विश्व क्रिकेट को स्तब्ध कर दिया। उसके बाद उनके प्रदर्शन में लगातार गिरावट आने लगी जिसके बाद वो जल्द ही टीम से बाहर हो गये और दोबारा टीम में जगह नहीं बना पाये। अपने टेस्ट करियर में खेले 17 टेस्ट मैचों की 21 पारी में काम्बली ने 54.20 की औसत से 1084 बनाये। 9. सलीम दुरानी salim भारत के सबसे बड़े मैच विनर में से एक रहे सलीम दुरानी ने अपने ऑलराउंड खेल की मदद से इंग्लैंड के खिलाफ 1961/62 की घरेलू सीरीज जीतने में मदद की। वहीं 1971 में वेस्टइंडीज के खिलाफ जीत में उनका काफी अहम योगदान रहा। वो मुख्य रूप से बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज थे लेकिन बल्लेबाजी में भी किसी से कम नहीं थे। उस दौर में आक्रमक शैली में बल्लेबाजी करने वाले बल्लेबाजों की संख्या काफी कम थी पर दुरानी उनमें से एक थे जो अपने आक्रमक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। वो छक्के मारने की अपनी क्षमता के लिए काफी मशहूर थे। 50 टेस्ट मैचों के करियर में उनका बल्लेबाजी औसत 25.04 का रहा है जो उनके प्रतिभा को बिल्कुल नहीं दर्शाता है। 8.रोबिन सिंह robin रोबिन सिंह की पहचान एक तेजतर्रार फील्डर और मध्यम गति के गेंदबाज के साथ ही साथ एक ऐसे बल्लेबाज की थी जो मध्यक्रम में बल्लेबाजी कर सकता था और अंतिम ओवरों में तेज गति से रन बनाने में सक्षम भी था। अपने करियर में उन्हें सिर्फ एक टेस्ट खेलने का ही मौका मिला लेकिन नब्बे के दशक में वो भारत की एकदिवसीय टीम का अभिन्न अंग थे। जहां उन्हें अपने बेबाक बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। रोबिन सिंह ने अपने करियर में 136 एकदिवसीय मैचों में 2336 रन बनाये और साथ ही साथ 69 विकेट भी झटके। 7. सुरेश रैना MELBOURNE, AUSTRALIA - MARCH 19:  Suresh Raina of India bats during the 2015 ICC Cricket World Cup Quater Final match between India and Bangldesh at Melbourne Cricket Ground on March 19, 2015 in Melbourne, Australia.  (Photo by Quinn Rooney/Getty Images) सुरेश रैना को अंडर-19 विश्वकप में अपने शानदार प्रदर्शन के आधार पर मात्र 19 साल की उम्र में ही भारत के लिए खेलने का मौका मिल गया। बाएं हाथ का यह बल्लेबाज अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के साथ ही साथ विश्व के सबसे अच्छे फील्डरों में गिना जाता है। शॉर्ट गेंदों को खेलने में नाकाम होने की वजह से रैना का टेस्ट करियर ज्यादा लम्बा नहीं चल सका पर सीमित ओवरों के खेल में आज भी उनका बोलबाला है। कुछ साल पहले तक रैना सीमित ओवर के मैचों में भारत के सबसे महत्वपूर्ण बल्लेबाज थे जो बड़े शॉर्ट खेलने के साथ ही विकेटों के बीच भी काफी तेजी से रन चुराता थे। इसी दौरान जिम्बाब्वे दौरे पर रैना को भारतीय टीम की कप्तानी भी मिली। अपने एकदिवसीय करियर में रैना ने 36 अर्द्धशतकों की मदद से 5000 से ज्यादा रन बनाये हैं वहीं उन्होंने अपने पहले ही टेस्ट में शतक भी बनाया था। भारत की तरफ से टी-20 में शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज भी सुरेश रैना ही हैं। 6. शिखर धवन dhww अपने पदार्पण के बाद से शिखर धवन ने 3 आईसीसी प्रतियोगिताओं ( चैंपियंस ट्रॉफी 2013, 2017 और विश्वकप 2015) में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाये हैं। इसके अलावा धवन अभी तक 17 अन्तर्राष्ट्रीय शतक भी लगा चुके हैं। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में ही शतक जड़ दिया था। धवन ने अपने करियर के पहले टेस्ट मैच में सबसे तेज शतक लगाने के विश्व रिकॉर्ड के साथ ही 187 रनों की पारी खेली थी। उसके बाद वो टेस्ट मैचों उतने सफल नहीं हुए जैसे एकदिवसीय मैचों में हुए। अपने करियर के 90 एकदिवसीय मैचों में 11 शतकों की मदद से धवन ने लगभग 4000 रन बनाये हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि इन 11 शतकों में से 5 शतक उन्होंने आईसीसी की प्रतियोगितओं में बनाये हैं। 5. नारी कॉन्ट्रैक्टर nARI गुजरात के प्रतिभाशाली बल्लेबाज नारी कॉन्ट्रैक्टर का करियर चोट की वजह से उस समय समाप्त हो गया जब वह सबसे करियर के अच्छे दौर से गुजर थे। एक बाउंसर सीधे उनके सिर पर लगी जिसके बाद उन्हें कई ऑपरेशन कराने पड़े। इसके बाद उन्होंने दोबारा अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में हिस्सा नहीं लिया। उस घटना से पहले कॉन्ट्रैक्टर ने 31 टेस्ट में 31.58 की औसत से 1611 रन बनाये थे, लेकिन सबसे बड़ी बात ये थी कि उन्होंने ये रन उस मौके पर बनाये जब टीम की उनको सबसे ज्यादा जरूरत थी। 1959 में इंग्लैंड के खिलाफ पसली टूटने से पहले कॉन्ट्रैक्टर ने 81 रन बनाये थे और भारतीय टीम का कुल स्कोर 168 रन था। कॉन्ट्रैक्टर ने अपने करियर में मात्र एक शतक बनाया वो भी उस समय की सबसे अच्छी टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ। उन्हें कुछ समय के लिए भारतीय टीम की कप्तानी भी मिली लेकिन चोट की वजह से उनके करियर पर पूर्ण विराम लग गया। 4. अजित वाडेकर AJIT अजित वाडेकर भारत के सबसे अच्छे बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं। टेस्ट मैचों में तीन नंबर पर बल्लेबाजी करने वाले वाडेकर अपने आप को आसानी से किसी भी माहौल में ढाल लेते थे और परिस्थितियों के अनुसार गियर बदलने में भी मशहूर थे। 1971 में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज पर भारत की जीत के समय वाडेकर ही टीम के कप्तान थे। अपने करियर के खेले 71 पारियों में वाडेकर ने 31.07 की औसत से रन बनाये जिसमें 14 अर्द्धशतक और 1 शतक शामिल हैं। 3. गौतम गंभीर GAUTI गौतम गंभीर को भारतीय क्रिकेट का “गुमनाम हीरो” कहा जाता है। 2009 में गंभीर टेस्ट मैचों में दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज थे। उस दौरान गंभीर खेल के तीनों प्रारूपों में जबरदस्त बल्लेबाजी कर रहे थे और वीरेंदर सहवाग के साथ उनकी सलामी जोड़ी भी काफी सफल हुई थी। गंभीर ने अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में 10 हजार से ज्यादा रन बनाये हैं। इसके अलावा वो लगातार 5 टेस्ट मैचों में 5 शतक लगाने वाले इकलौते भारतीय बल्लेबाज भी हैं। आईसीसी के फाइनल मैचों में उनका प्रदर्शन और निखर जाता था। 2007 वर्ल्ड टी-20 के फाइनल में भारत के 157 रनों में से 75 रन गंभीर के ही थे, साथ ही 2011 क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में भी गंभीर में 97 रनों की पारी खेलकर टीम को मुश्किल से निकला था और टीम को विश्व विजेता बनने में मदद की थी। 2. युवराज सिंह YUVI युवराज सिंह का पूरा करियर उतार-चढाव भरा रहा है। 2000 में 18 साल की उम्र में अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने वाले युवराज ने पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलफ़ 80 गेंदों में 84 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली थी। युवराज ने साल 2002 में नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ ने शानदार अर्धशतक और मोहम्मद कैफ के साथ साझेदारी कर टीम को एतिहासिक जीत दिलाई। इसके बाद वो रातों-रात पुरे देश के चहेते बन गये। उसके बाद युवी ने 2007 वर्ल्ड टी-20 में स्टुअर्ड ब्रॉड के एक ओवर में 6 छक्के लगाये और फिर सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 30 गेंदों में 70 रनों की पारी भी खेली। इसके 4 साल बाद 2011 विश्वकप में युवराज ने ऑलराउंड प्रदर्शन करते हुए टीम को विश्वकप जीतने में मदद की और “मैन ऑफ़ द सीरीज” का पुरस्कार भी हासिल किया। कुछ समय बाद ही पता चला कि युवराज कैंसर से पीड़ित हैं लेकिन अपने जज्बे से युवी ने कैंसर को मात दी और फिर दोबारा मैदान में उतरे। 1. सौरव गांगुली DADA ऑफ साइड में शॉट खेलने की क्षमता और स्पिनरों के खिलफ जबरदस्त कदमों का इस्तेमाल गांगुली को एक आकर्षक बल्लेबाज बनाता था। जिसकी मदद से उन्होंने एकदिवसीय करियर में दस हजार से ज्यादा रन बनाये थे। गांगुली ने लॉर्ड्स में में अपने डेब्यू टेस्ट मैच में ही शतक लगाया था जिसके बाद टेस्ट मैचों में उनका औसत कभी भी 40 के नीचे नहीं गया। वहीं एकदिवसीय मैचों में वो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में एक थे और सचिन तेंदुलकर के साथ उन्होंने विश्व की सर्वश्रेष्ठ सलामी जोड़ी बनाई थी। सौरव गांगुली ने टेस्ट में 16 और एकदिवसीय मैचों में 22 शतक के साथ कुल 18 हजार से ज्यादा रन बनाये हैं। इसी वजह से वो इस सूची में सबसे ऊपर हैं।