तस्वीरों में सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट जीवन

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सचिन तेंदुलकर भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े बल्लेबाज माने जाते हैं, यहाँ तक की क्रिकेट इतिहास के भी। क्रिकेट के मैदान पर किये सचिन के कारनामे के आसपास शायद ही कोई बल्लेबाज पहुँच पाए। आज हम सचिन के जीवनी के बारे में आपको फोटो के द्वारा बतायेंगे बचपन से ही सचिन की रगों में क्रिकेट का खेल दौड़ता था, लेकिन सचिन को क्रिकेट में अपना करियर बनाने की सलाह उनके भाई अजित तेंदुलकर ने दी। अजित हमेशा सचिन के साथ ही क्रिकेट खेलते थे। सचिन अपने करियर के अंत तक अजित से सलाह लेते थे। जिस सचिन तेंदुलकर को आज क्रिकेट जगत जानता है उसे बनाने में उनके कोच रमाकांत आचरेकर का बहुत बड़ा हाथ है। मैदान पर कड़क स्वभाव के माने जाने वाले रमाकांत आचरेकर की पहचान एक अच्छे कोच की है। उन्होंने कई बड़े खिलाड़ियों को कोचिंग दी है। सचिन आज भी अपने कोच का का उतना ही आदर करते हैं जितना शुरूआती दिनों में किया करते थे। sss22 हैरिस-शील्ड इंटर स्कूल प्रतियोगिता में सेंट जेवियर्स के खिलाफ 1988 में 326 रनों की नबाद पारी खेल सचिन रातोंरात मुंबई क्रिकेट में चर्चा में आ गयें। इस पारी के दौरान सचिन ने विनोद काम्बली के साथ मिलकर 664 रनों की साझेदारी निभाकर कीर्तिमान स्थापित किया था, जो 2006 तक कायम रहा था। sss33 रणजी ट्रॉफी में अपने दमदार प्रदर्शन के दम पर सचिन ने मात्र 16 साल के उम्र में भारतीय टीम में जगह बना ली। सचिन ने अपना पहला मैच नवम्बर 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में खेला था। उस उम्र में सचिन ने पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों के सामने जिस साहस का परिचय दिया था वह अतुलनीय था। उसी दौरे में खेले गये एक प्रदर्शनी मैच में सचिन ने 18 गेंदों पर 53 रनों की पारी खेली थी, जिसमे अब्दुल कादिर के एक ही ओवर के 4 छक्के भी शामिल थे। ss4 सितम्बर 1994 में सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोलंबो में अपना पहला एकदिवसीय शतक जमाया। anjali फररी 1995 में सचिन तेंदुलकर ने पेशे से डॉक्टर अंजली मेहरा से शादी रचाई। दोनों की पहली मुलाकात 1990 में हुई थी। sss555 1999 विश्वकप के दौरान सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर का निधन हो गया। पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद लौटकर सचिन ने केन्या के खिलाफ 140 रनों की पारी खेली थी, जिसे उन्होंने अपने पिता को समर्पित की थी। sss6 2003 विश्वकप में सचिन ने जबरदस्त खेल का प्रदर्शन करते हुए “मैन ऑफ़ दी सीरीज” का पुरस्कार हासिल किया था। उस विश्वकप में सचिन ने 673 रन बनाये थे जो आज भी किसी एक विश्वकप में बनाया गया सर्वाधिक रन का रिकॉर्ड है। दुख की बात यह रही कि वह अपनी टीम को फाइनल तक तो ले गये लेकिन विश्व विजेता नहीं बना पाये। पाकिस्तान के खिलाफ खेली गई उनकी 98 रनों की धुआंधार पारी आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। sss7 2004 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सचिन लगातार अपने फॉर्म से जूझ रहे थे, लेकिन सिडनी में खेले गये अंतिम टेस्ट मैच में उन्होंने 241 रनों की नाबाद पारी खेली। उस पारी के दौरान मजेदार बात यह रही कि उन्होंने पूरी पारी में एक भी शॉट कवर की तरफ नहीं खेला। s8 2007 विश्व कप भारतीय टीम और प्रशंसकों के लिए एक बुरे सपने की तरह था, जहां भारतीय टीम ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो गई। सचिन उस समय बल्ले से कुछ खास नहीं कर पाए और उस समय के कोच ग्रेग चैपल ने उन पर सवाल खड़े किये थे। कुछ समय बाद सचिन तेंदुलकर ने माना कि वह उनके करियर का सबसे बुरा समय था और वह संन्यास के बारे में भी सोच रहे थे। s9 सचिन तेंदुलकर ने 2008 में ऑस्ट्रेलिया में हुए सीबी सीरीज में भारत की जीत में अहम योगदान निभाया था। “बेस्ट ऑफ़ थ्री” के फाइनल मुकाबले में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2-0 से हराया था। सचिन ने दोनों ही फाइनल में 117 नाबाद और 91 रनों की पारी खेली थी। ipl आईपीएल के पहले ही सत्र से सचिन तेंदुलकर मुंबई इंडियंस के साथ थे। आईपीएल में भी सचिन अपनी बढ़ती उम्र के बाजूद लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, इसके लिए उन्होंने अपने खेल में कई तरह के बदलाव भी किये। world cup सचिन तेंदुलकर के विश्व कप जीतने का बचपन का सपना 2011 में पूरा हुआ जब भारतीय टीम ने उन्ही के घरेलू मैदान मुंबई में श्रीलंका को हराकर 28 साल बाद विश्व कप जीता और सचिन ने ट्रॉफी उठाई। महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने 1983 में कपिल देव की टीम द्वारा किया गया कारनामा दोहराया। 100 अपने प्रशंसकों को कुछ समय तक इंतजार करवाने के बाद सचिन तेंदुलकर ने मार्च 2012 में बंगलादेश के खिलाफ अपने करियर का 100वां शतक जमाया। इसके लिए उन्हें काफी इंतजार करना पड़ा और उन्होंने माना कि इस शतक ने उनके सिर से बहुत बड़ा भार कम कर दिया। test नवम्बर 2013 में सचिन ने अंतर्राष्ट्रीय को क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपना अतिम मैच अपने घरेलू मैदान वानखेड़े स्टेडियम पर वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। मैच खत्म होने के बाद सचिन काफी भावुक हो गए और पिच को भी उन्होंने जाते-जाते प्रणाम किया। उन्होंने मैच के बाद काफी भावुक स्पीच दी। playing नवम्बर 2014 में सचिन ने अपनी आत्मकथा “प्लेयिंग ईट माय वे” का विमोचन किया। इस किताब ने 2016 लिम्का रिकॉर्ड बुक में सबसे ज्यादा प्री-आर्डर अपना नाम दर्ज करवाया, इसकी संख्या 1,50,289 थी। लेखक- दीप्तेश सेन अनुवादक- ऋषिकेश सिंह