अपने देश के लिए पहला टेस्ट शतक बनाने वाले खिलाड़ियों की फ़ेहरिस्त

अपनी पहली टेस्ट पारी में 130 रनों में ऑल-आउट होने के बाद आयरिश टीम ने शानदार वापसी की औरदूसरी पारी में 159 रन बनाने के बाद पाकिस्तान के तीन विकेट 14 रन पर गिरा दिए थे। इस प्रदर्शन ने उन्हें टेस्ट टीमों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। ऐसे में जब आयरलैंड और अफगानिस्तान जैसी टीमें टेस्ट क्रिकेट में पर्दापण कर रही हैं, आइए हम टेस्ट खेलने वाली हरेक टीम के खिलाड़ी के शतक पर एक नज़र डालें।

आयरलैंड: केविन ओ'ब्रायन

एक शक्तिशाली पाकिस्तानी गेंदबाज़ी आक्रमण के आगे आयरलैंड के ओ'ब्रायन ने साहसिक प्रदर्शन किया था। ओ'ब्रायन उस समय क्रीज़ पर आए जब आयरलैंड का स्कोर 94-4 पर था टीम को पारी की हार टालने के लिए 86 रनों दरकार थी। दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने साढ़े पांच घंटे क्रीज़ पर बिताये और 217 गेंदों का सामना करते हुए 12 चौके की मदद से 114 रनों की शानदार पारी खेली और स्टुअर्ट थॉम्पसन (53) के साथ मिलकर अपनी टीम को पारी से हारने से बचाया। इंग्लैंड के खिलाफ विश्व कप 2011 में सबसे तेज शतक जमाने वाले इस बल्लेबाज़ ने अपनी हमलावर प्रवृति के विरुद्ध बहुत ही सूझबूझ से बल्लेबाज़ी की। उनके शतक की बदौलत ना केवल उन्हें अपनी टीम को हार से बचाया बल्कि मैच भी जीता दिया। अपने देश के पहले टेस्ट में शतक लगाने वाले केविन ओ'ब्रायन को मैन ऑफ द मैच के सम्मान से नवाज़ा गया था। टेस्ट मैच क्रिकेट के इतिहास में पहला शतक बनाने वाले दाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने पहले दिन के खेल में तीन रिकार्ड बनाए थे। 165 रन बनाने के बाद वह चोटिल होकर मैदान से बाहर चले गए औरउनका टेस्ट करियर सिर्फ 3 टेस्ट खेलने तक ही सीमित रहा।

ऑस्ट्रेलिया: चार्ल्स बैनरमैन

इंग्लैंड में पैदा हुए ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज चार्ल्स बैनरमैन ने क्रिकेट इतिहास में कई रिकार्ड बनाए हैं। टेस्ट क्रिकेट में गेंद का सामना करने वाले पहले व्यक्ति, बैनरमैन ने 1877 में एमसीजी में हुए उद्घाटन टेस्ट में पहला रन बनाने वाले भी पहले व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने सलाहकार और कोचिंग पद पर अपनी सेवाएं दीं। नाबाद 165 का उनका स्कोर अब तक किसी भी टेस्ट खेलने वाले देश के खिलाड़ी का उच्चतम स्कोर है ।

इंग्लैंड: डब्ल्यू जी ग्रेस

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1880 में द ओवल में इंग्लैंड के लिए खेलते हुए अपने पहले मैच में, ग्रेस के 152 रन बैनरमैन के 165 * के लिए एक उपयुक्त जवाब था और ग्रेस ने यह सुनिश्चित किया कि इंग्लैंड अपना उद्घाटन टेस्ट मैच जीते। 'फादर ऑफ़ क्रिकेट' के रूप में याद किये जाने वाले विलियम गिल्बर्ट ग्रेस का नाम टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है।54000 से अधिक प्रथम श्रेणी रन और 870 मैचों के अपने लंबे और शानदार करियर में 2809 विकेट लिए हैं। यह ऐसा प्रदर्शन है जो शायद पढ़ने वालों को दोबारा पढ़ने पर मजबूर करे।

दक्षिण अफ्रीका: जिमी सिंक्लेयर

अपने चौथे और अपने देश के आठवें मैच में खेलते हुए, दाएं हाथ के जिमी सिंक्लेयर ने 1898 में केप टाउन में इंग्लैंड के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका की और से अपना पहला टेस्ट शतक (106) जड़ा था। नंबर 4 पर पर बल्लेबाज़ी करने उतरे इस बल्लेबाज़ ने पिछले मैच में एक अर्धशतक भी बनाया था। दक्षिण अफ्रीका ने 1889 में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया था लेकिन उनके किसी बल्लेबाज़ को एक शतक लगाने में एक दशक का समय लग गया। हालांकि, बैनरमैन और ग्रेस के विपरीत, सिंकलेयर की महत्वपूर्ण पारी दक्षिण अफ्रीका को जीत नहीं दिला पाई और उन्हें लगातार आठ मैचों में हार झेलनी पड़ी। ऑल-राउंड क्षमता वाले खिलाड़ी सिंकलेयर ने अपने करियर में कुल 25 टेस्ट खेले और 23.23 की औसत से 1069 रन बनाये हैं और गेंदबाज़ी में 31.68 की औसत से 63 विकेट अपने नाम किये हैं।

वेस्टइंडीज़: क्लिफोर्ड रोच

1928 में अपने और वेस्टइंडीज़ के पहले टेस्ट की पहली पारी में ज़ीरो पर आउट होने वाले विंडीज़ के आक्रामक सलामी बल्लेबाज रोच ने अगली ही पारी में शतक (122) जड़ कर इतिहास रच दिया था। उनकी आक्रमक बल्लेबाज़ी ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया और उनके अधिकांश रन चौकों और छक्कों से ही आये थे। क्लिफोर्ड रोच बल्लेबाजी कौशल के साथ साथ कमाल के क्षेत्ररक्षक भी रहे हैं।

न्यूज़ीलैंड: स्टीवी डेम्पस्टर

अपने दूसरे टेस्ट मैच में, जो कि न्यूज़ीलैण्ड का भी दूसरा टेस्ट था, इस महान सलामी बल्लेबाज़ ने साथी खिलाड़ी जैकी मिल्स के साथ मिलकर पहले विकेट के लिए 276 रन जोड़े थे जो आज भी एक रिकॉर्ड है। स्टीवी डेम्पस्टर न्यूजीलैंड के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक रहे हैं। तकनीक, चुस्त फुटवर्क, और गेंद को सफाई से हिट करने की उनकी क्षमता, उन्हें दुनिया के महानतम बल्लेबाज़ों में शामिल करती है। उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में वर्षों तक रन चार्ट का नेतृत्व किया है। अपने दूसरे टेस्ट मैच में डेम्पस्टर ने मिल्स से पहले ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की इस प्रकार टेस्ट शतक बनाने वाले पहले किवी बल्लेबाज बने। उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 44.98 के औसत से 12,000 से अधिक के रन बनाए, जिसमें 35 शतक और 55 अर्धशतक शामिल हैं।

भारत: लाला अमरनाथ

अपने पहले मैच में, लाला अमरनाथ ने इंग्लैंड के शक्तिशाली गेंदबाज़ी आक्रमण को तहस नहस करते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था।अमरनाथ टेस्ट मैच क्रिकेट में शतक लगाने वाले भारत के पहले खिलाड़ी हैं। 1932 में लॉर्ड्स में अपना पहला टेस्ट खेलने वाली भारतीय टीम ने दिसंबर 1933 में दूसरे टेस्ट के लिए बॉम्बे जिमखाना क्लब में इंग्लैंड की मेज़बानी की। भले ही भारत यह टेस्ट हार गया हो लेकिन उस समय आज़ादी की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहे देशवासियों के लिए अमरनाथ का शतक एक नैतिक जीत की तरह था। अपने छोटे क्रिकेट करियर के बावजूद लालाजी ने कई कीर्तिमान स्थापित किये। क्रिकेट से सन्यास के बाद उन्होंने टीम मैनेजर से लेकर चयनकर्ता तक की भूमिका बेहतरीन तरीके से निभाई। उनके तीनों बेटे भी क्रिकेटर रहे, जिनमें से दो (मोहिंदर और सुरिंदर अमरनाथ) ने टेस्ट क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया और एक (राजिंदर अमरनाथ) भी प्रथम श्रेणी क्रिकेटर रहे।

पाकिस्तान: नज़र मोहम्मद

1952 में लखनऊ में भारत के ख़िलाफ दूसरे टेस्ट मैच में, पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाज नज़र मोहम्मद ने शतक (124 रन) जड़ कर इतिहास रच दिया था। इस पारी की बदौलत पाकिस्तान ने भारत को एक पारी से हराया था। 1947 में भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान की यह पहली टेस्ट श्रृंखला थी। इससे पहले दिल्ली में खेले गए पहले टेस्ट में भारत ने पाकिस्तानी को हराया था और 5 मैचों की वो टेस्ट सीरीज़ भारत ने 2-1 से जीत दर्ज थी। नज़र मोहम्मद के लिए भी यह पहली और अंतिम सीरीज़ थी क्यूंकि उन्होंने अपने टेस्ट करियर में केवल 5 मैच ही खेले हैं।

श्रीलंका: सिदाथ वेटिमुनी

अपने देश के तीसरे टेस्ट में, वेटिमुनी ने अपने बल्लेबाज़ी कौशल का प्रदर्शन करते हुए 157 रन की यादगार पारी खेली थी। अपनी ठोस तकनीक के साथ दाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ ने 1982 में फैसलाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ अपना पहला टेस्ट शतक जमाकर इतिहास रच दिया था और वह टेस्ट शतक बनाने वाले पहले श्रीलंकाई खिलाड़ी बने। उन्होंने 23 टेस्ट और 35 वनडे में श्रीलंका का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें उन्होंने क्रमशः 1221 और 786 रन बनाए। संन्यास के बाद वह मैच रेफरी और अपने देश की क्रिकेट टीम के चयनकर्ता भी रहे।

ज़िम्बाब्वे: डेव हॉटन

1992 में हरारे स्पोर्ट्स क्लब में भारत के खिलाफ खेले गए अपने पहले टेस्ट में डेव हॉटन ने शानदार 121 रन बनाकर अपनी टीम को हार से बचाया था। उस मैच में कप्तान रहे हॉफटन ने जिम्बाब्वे के क्रिकेट इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिख दिया और अपने पहले ही टेस्ट में शतक जड़ने वाले (चार्ल्स बैनरमैन के बाद) दुनिया के दूसरे खिलाड़ी बने। डेव हॉटन एक सम्पूर्ण बल्लेबाज थे, जो तेज और स्पिन गेंदबाज़ों को बड़ी आसानी से खेल लेते थे। 266 का उनका सर्वोच्च स्कोर किसी भी जिम्बाब्वे के खिलाड़ी का उच्चतम टेस्ट स्कोर है।

बांग्लादेश: अमीनुल इस्लाम

दाएं हाथ के बेहतरीन बल्लेबाज़ अमीनुल इस्लाम ने 2000 में भारत के खिलाफ खेले टेस्ट मैच में लगभग नौ घंटे क्रीज पर बिताये और शतक लगाकर इतिहास रच दिया था। अपनी 145 रनों की पारी में उन्होंने 17 चौके लगाए थे। बांग्लादेश ने ढाका में भारत के खिलाफ खेले इस मैच में टेस्ट क्रिकेट में अपना पर्दापण किया था। बंगलादेश ने अपनी पहली पारी में 400 रन बनाए थे लेकिन दूसरी पारी में पूरी टीम केवल 91 रन ही बना पाई थी और यह मैच भारत ने आसानी से जीत लिया था। हालाँकि, बांग्लादेशी प्रशंसकों के बीच रातों रात सुपरस्टार बनने वाले अमीनुल अपने इस प्रदर्शन को कभी दोहरा नहीं सके और अपने टेस्ट करियर के अगले 13 मैचों में उन्होंने सिर्फ 385 रन ही बनाए। लेखक: कुशाग्रा अग्रवाल अनुवादक: आशीष कुमार