भारतीय क्रिकेट टीम के इन 4 तेज़ गेंदबाज़ों ने जगाई है सुनहरे भविष्य की नई उम्मीद

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कोलकाता के ईडन गार्डेन्स में श्रीलंका के ख़िलाफ़ हाल में हुए टेस्ट मैच में भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने 17 विकेट हासिल किए। भारत के 2 स्पिन गेंदबाज़ रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन जो विश्व रैंकिंग में क्रमश: तीसरे और चौथे पायदान पर हैं, कोई विकेट हासिल नहीं कर पाए। भले ही कोलकाता का मौसम ख़राब था और पिच में नमी थी, फिर भी तेज़ गेंदबाज़ों का ये प्रदर्शन लाजवाब था, वो भी तब जब घरेलू मैदान में टेस्ट मैच हो रहा हो। भारतीय क्रिकेट इतिहास में ऐसा शायद पहली बार होगा जब टीम इस बात पर गर्व कर सकती है कि इनके गेंदबाज़ हर मौसम में विकेट लेने की क्षमता रखते हैं। भारत के पास फिलहाल 4 बेहतरीन तेज़ गेंदबाज़ हैं जो करीब 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गेंद फेंकते हैं, सभी के पास अलग-अलग गेंदबाज़ी की तकनीक है। उमेश यादव उमेश यादव जिन्होंने साल 2011 में अपने करियर की शुरुआत की थी लेकिन उनकी गेंदबाज़ी में ज़बरदस्त धार इस साल धर्मशाला में खेले गए मैच में देखने को मिली, जब उन्होंने ऑस्ट्रलिया के टॉप ऑर्डर बल्लेबाज़ों को पवेलियन भेज दिया। ऐसा कारनामा आमतौर पर कम ही देखने को मिलता है। उमेश यादव पहले सिर्फ़ पेस और स्विंग के लिए ही जाने जाते थे, लेकिन धीरे धीरे उन्होंने टाइट स्पेल फेंकना सीख लिया, जिससे उनकी गेंदबाज़ी में ज़बरदस्त सुधार आया। अब वो ऐसे वक़्त में भी बढ़ियां गेंदबाज़ी कर सकते हैं जब हालात उनके विपरीत हों। मोहम्मद शमी SHAMI मोहम्मद शमी ने साल 2013 में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने कुछ वक़्त के लिए अपनी लय खो दी, जिसकी वजह से उन्हें टीम से बाहर रहना पड़ा। कई बार चोटिल होने की वजह से भी उनकी गेंदबाज़ी की धार में कमी आई और वो बिना स्विंग किए अच्छी गेंदबाज़ी नहीं कर पा रहे थे। कुछ वक़्त के बाद उन्होंने रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया जिसका उनको बख़ूबी फ़ायदा मिला और भारतीय टेस्ट टीम में उनकी वापसी हुई। शमी अब एक बेहतर गेंदबाज़ बन चुके हैं, वो अब नई गेंद से भी तेज़ गति से स्विंग गेंदबाज़ी करने की ताक़त रखते हैं। पुरानी गेंद से वो बल्लेबाज़ों के लिए क़हर बन जाते हैं जब वो रिवर्स स्विंग और यॉर्कर फेंकते हैं। पिछले 5 टेस्ट मैचों में उन्होंने 19.57 की औसत से 21 विकेट हासिल किए हैं और उनका स्ट्राइक रेट 37.90 का है, जो किसी भी भारतीय तेज़ गेंदबाज़ के लिए किसी कारनामे से कम नहीं है। इशांत शर्मा ishant-bowling-run-up वो टेस्ट मैच शायद ही कोई भूल सकता है जब पर्थ के वाका मैदान में भारत का सामना ऑस्ट्रेलिया से हो रहा था। इस मैच में इशांत शर्मा ने रिकी पॉन्टिंग को आउट किया था। उस सीरीज़ के बाद इशांत टीम में आते और जाते रहे, उनका प्रदर्शन और उनकी चोट इसकी ख़ास वजह रही। कई बार वो अपनी लाइन और लेंथ से भटक गए और उनकी गेंदबाज़ी की धार में कमी आई। विराट कोहली के कहने पर इशांत अपनी फ़िटनेस और गेंदबाज़ी में सुधार लाने लगे और टीम इंडिया में शानदार वापसी की। अब वो अपने पेस से बल्लेबाज़ों के छक्के छुड़ा रहे हैं। साल 2014 में लॉर्डस मैदान में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ खेलते हुए इशांत ने 74 रन देकर 7 बल्लेबाज़ों को आउट किया था। उसके बाद साल 2015 में कोलंबो के सिंहालीज़ स्पोर्ट्स क्लब में श्रीलंका के ख़िलाफ़ उन्होंने 86 रन देकर 8 विकेट हासिल किए थे। भारत ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ उस सीरीज़ में जीत हासिल की थी। भारतीय टीम को हमेशा एक लंबे और आक्रमक तेज़ गेंदबाज़ की ज़रूरत थी जो इशांत के आने से पूरी हो गई। भुवनेश्वर कुमार BUVI भुवनेश्वर कुमार ने साल 2012 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी और शानदार स्विंग गेंदबाज़ी करते हुए सबका दिल जीता था। लेकिन जैसा कि बाक़ी गेंदबाज़ों के साथ होता आया है वैसी दिक्कत का सामना भुवी को भी करना पड़ा। वो कई बार चोट का शिकार हुए, उनकी स्पीड में कमी आई और उनकी गेंदबाज़ी में वो स्विंग देखने को नहीं मिल पा रही थी जो पहले दिखती थी। वो अब एक ही तरह की गेंदबाज़ी कर पा रहे थे। साल 2014 के इंग्लैंड दौरे पर भुवनेश्वर ने ज़बरदस्त वापसी की, उन्होंने लगातार 2 टेस्ट मैच की एक पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा कर दिखाया। फ़िलहाल उनकी गेंदबाज़ी का औसत 27.18 है जो अभी के भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों में सबसे बेहतर है। उन्होंने अपनी फ़िटनेस और स्पीड पाने लिए काफ़ी मेहनत की है। उन्होंने सीमित ओवर वाले मैच के लिए अपनी गेंदबाज़ी में काफ़ी बदलाव किया है। अब वो सटीक तौर पर यॉर्कर गेंद फेंकने में माहिर हो गए हैं। भुवनेश्वर कुमार जब जसप्रीत बुमराह के साथ मिलकर गेंदबाज़ी करते हैं तो वनडे में भारत के लिए बेहतर साझेदार बनकर उभरते हैं। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीवन स्मिथ ने इन दोनों गेंदबाज़ों को विश्व के ‘सबसे बेहतर डेथ बॉलर’ कह कर तारीफ़ की थी। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने कई तेज़ गेंदबाज़ों को अच्छी गेंदबाज़ी करते हुए देखा है, लेकिन कई बार चोट की वजह से वो टीम में आते-जाते रहे हैं। लेकिन हाल के दौर में टीम इंडिया गेंदबाज़ों को बदल कर भी इस्तेमाल कर सकती है, क्योंकि भारत के पास अब पहले से ज़्यादा बेहतर तेज़ गेंदबाज़ मौजूद हैं। अगर किसी एक को चोट लग भी जाए तो उसे आराम देकर दूसरे गेंजबाज़ों को आज़माया जा सकता है। बीसीसीआई और टीम मैनेजमेंट ने ये सुनिश्चित किया है कि जब किसी तेज़ गेंदबाज़ को चोट लगे तो उन्हें एमआरएफ़ पेस एकैडमी में भेज दिया जाए जिससे उनकी फ़िटनेस बरक़रार रहे। इन तेज़ गेंदबाज़ों की वजह से कप्तान कोहली को भी बेहतर विकल्प चुनने का मौक़ा मिला है। अगर पिच में स्विंग दिखती है तो कोहली की पहली पसंद भुवनेश्वर कुमार ही होते हैं। अगर तेज़ पिच हो तो उमेश और इशांत को मौक़ा दिया जाता है। तेज़ गेंदबाज़ों को अश्विन और जडेजा जैसे स्पिनर का भी साथ मिलता है जिनका जीत में अहम योगदान होता है। किसी भी तेज़ गेंदबाज़ की असली परीक्षा तब होती है जब वो विदेशी मैदान में कमाल दिखाते हैं। पिछले 2 सालों में जैसा प्रदर्शन तेज़ गेंदबाज़ों ने किया है वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। उम्मीद है कि भारत के 4 तेज़ गेंदबाज़ शमी, यादव, भुवी और इशांत अगले साल दक्षिणअफ़्रीका में हाशिम आमला और एबी डीविलियर्स जैसे बल्लेबाज़ों के लिए क़हर बनकर उतरेंगे। साल 2018 की शुरूआत में भारत और प्रोटियाज़ के बीच पहला टेस्ट मैच केप टाउन में होगा। भारत की इस पेस चौकड़ी ने पिछले 3-4 सालों में ख़ूब शोहरत हासिल की है, लेकिन इन सभी गेंदबाज़ों के लिए अगला 2 साल काफ़ी चुनौतियों से भरा होगा क्योंकि टीम इंडिया दक्षिण अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के दौरे पर जाएगी। अब आने वाली सीरीज़ का नतीजा जो भी निकले, इन तेज़ गेंदबाज़ों ने भारतीय दर्शकों में नई उम्मीद ज़रूर बढ़ा दी है।