भुवनेश्वर कुमार ने साल 2012 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की थी और शानदार स्विंग गेंदबाज़ी करते हुए सबका दिल जीता था। लेकिन जैसा कि बाक़ी गेंदबाज़ों के साथ होता आया है वैसी दिक्कत का सामना भुवी को भी करना पड़ा। वो कई बार चोट का शिकार हुए, उनकी स्पीड में कमी आई और उनकी गेंदबाज़ी में वो स्विंग देखने को नहीं मिल पा रही थी जो पहले दिखती थी। वो अब एक ही तरह की गेंदबाज़ी कर पा रहे थे। साल 2014 के इंग्लैंड दौरे पर भुवनेश्वर ने ज़बरदस्त वापसी की, उन्होंने लगातार 2 टेस्ट मैच की एक पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा कर दिखाया। फ़िलहाल उनकी गेंदबाज़ी का औसत 27.18 है जो अभी के भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों में सबसे बेहतर है। उन्होंने अपनी फ़िटनेस और स्पीड पाने लिए काफ़ी मेहनत की है। उन्होंने सीमित ओवर वाले मैच के लिए अपनी गेंदबाज़ी में काफ़ी बदलाव किया है। अब वो सटीक तौर पर यॉर्कर गेंद फेंकने में माहिर हो गए हैं। भुवनेश्वर कुमार जब जसप्रीत बुमराह के साथ मिलकर गेंदबाज़ी करते हैं तो वनडे में भारत के लिए बेहतर साझेदार बनकर उभरते हैं। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीवन स्मिथ ने इन दोनों गेंदबाज़ों को विश्व के ‘सबसे बेहतर डेथ बॉलर’ कह कर तारीफ़ की थी। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने कई तेज़ गेंदबाज़ों को अच्छी गेंदबाज़ी करते हुए देखा है, लेकिन कई बार चोट की वजह से वो टीम में आते-जाते रहे हैं। लेकिन हाल के दौर में टीम इंडिया गेंदबाज़ों को बदल कर भी इस्तेमाल कर सकती है, क्योंकि भारत के पास अब पहले से ज़्यादा बेहतर तेज़ गेंदबाज़ मौजूद हैं। अगर किसी एक को चोट लग भी जाए तो उसे आराम देकर दूसरे गेंजबाज़ों को आज़माया जा सकता है। बीसीसीआई और टीम मैनेजमेंट ने ये सुनिश्चित किया है कि जब किसी तेज़ गेंदबाज़ को चोट लगे तो उन्हें एमआरएफ़ पेस एकैडमी में भेज दिया जाए जिससे उनकी फ़िटनेस बरक़रार रहे। इन तेज़ गेंदबाज़ों की वजह से कप्तान कोहली को भी बेहतर विकल्प चुनने का मौक़ा मिला है। अगर पिच में स्विंग दिखती है तो कोहली की पहली पसंद भुवनेश्वर कुमार ही होते हैं। अगर तेज़ पिच हो तो उमेश और इशांत को मौक़ा दिया जाता है। तेज़ गेंदबाज़ों को अश्विन और जडेजा जैसे स्पिनर का भी साथ मिलता है जिनका जीत में अहम योगदान होता है। किसी भी तेज़ गेंदबाज़ की असली परीक्षा तब होती है जब वो विदेशी मैदान में कमाल दिखाते हैं। पिछले 2 सालों में जैसा प्रदर्शन तेज़ गेंदबाज़ों ने किया है वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। उम्मीद है कि भारत के 4 तेज़ गेंदबाज़ शमी, यादव, भुवी और इशांत अगले साल दक्षिणअफ़्रीका में हाशिम आमला और एबी डीविलियर्स जैसे बल्लेबाज़ों के लिए क़हर बनकर उतरेंगे। साल 2018 की शुरूआत में भारत और प्रोटियाज़ के बीच पहला टेस्ट मैच केप टाउन में होगा। भारत की इस पेस चौकड़ी ने पिछले 3-4 सालों में ख़ूब शोहरत हासिल की है, लेकिन इन सभी गेंदबाज़ों के लिए अगला 2 साल काफ़ी चुनौतियों से भरा होगा क्योंकि टीम इंडिया दक्षिण अफ़्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के दौरे पर जाएगी। अब आने वाली सीरीज़ का नतीजा जो भी निकले, इन तेज़ गेंदबाज़ों ने भारतीय दर्शकों में नई उम्मीद ज़रूर बढ़ा दी है।