ग़लत युग में पैदा होने वाले खिलाड़ियों की एक ऐसी एकादश जिसमें सितारों की भरमार है

गेंदबाज़

जब अमित मिश्रा ने 2001/02 में एक किशोर के रूप में अपनी भारतीय 'ए' टीम में शामिल हुए थे। उस समय भारत के महान स्पिनर अनिल कुंबले अपने सर्वश्रेष्ठ दौर से गुज़र रहे थे। इसके बाद आये स्पिनर हरभजन सिंह और रविचंद्रन अश्विन और फिर रविंद्र जडेजा के लगातार अच्छे प्रदर्शन की वजह से अमित मिश्रा क ज़्यादा वनडे खेलने का मौका नहीं मिला। लेकिन अपने खेले 36 वनडे मैचों में उन्होंने 23.60 की बेहतरीन औसत पर 64 विकेट लिए हैं। बर्ष 1996/97 में अपने अंतराष्ट्रीय करियर की शुरुआत करने वाले पाकिस्तानी तेज गेंदबाज़ मोहम्मद जहिद ने अपने पहले ही टेस्ट में 11 विकटें लेकर तहलका मचा दिया था।हालांकि, वसीम अकरम, वकार यूनिस और शोएब अख्तर की उपस्थिति के कारण उन्हें वनडे में बहुत कम खेलने का मौका मिला। 2002 में क्रिकेट संन्यास लेने वाले इस तेज़ गेंदबाज़ ने सिर्फ 11 एकदिवसीय मैचों में हिस्सा लिया। डग बोलिंगर ने ऑस्ट्रेलिया की तरफ से 39 मैचों में शिरकत की और 23.90 की उत्कृष्ट औसत और 4.57 की किफायती इकोनॉमी रेट से 62 विकेट हासिल किए। ग्लेन मैकग्रा और ब्रेट ली जैसे महान गेंदबाज़ों की उपस्थिति में बाएं हाथ के सीमर को ज़्यादा मैच खेलना का मौका नहीं मिल पाया और उसके बाद मिशेल स्टार्क जैसे युवा गेंदबाज़ की वजह से टीम में उनकी वापसी की उम्मीद भी जाती रही। बोलिंगर ने इस साल की शुरुआत में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से अपने संन्यास की घोषणा की थी। त्रिनिदाद के गेंदबाज़ टोनी ग्रे ने अपनी टीम के लिए सिर्फ 25 एकदिवसीय मैचों में शिरकत की और 18.97 की औसत और 3.94 की शानदार इकोनॉमी रेट से 44 विकेट हासिल किये। ग्रे को विंडीज़ टीम में जोएल गार्नर, माइकल होल्डिंग, मैल्कम मार्शल, कोर्टनी वॉल्श और कर्टली एम्ब्रोस जैसे बेहतरीन गेंदबाज़ों की मौजूदगी की वजह से अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा मौका नहीं मिला।

Edited by Staff Editor
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