इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच 24 अगस्त से शुरू हो रही 5 मैचो की वनडे सीरीज़ में एक क्रांतिकारी प्रयोग देखने को मिलेगा। अक्सर देखा जाता है कि बल्लेबाज़ के आउट होने के बाद फ़ील्ड अंपयार कई बार नो बॉल चेक करने के लिए तीसरे अंपायर की मदद लेते हैं। कई बार तीसरे अंपायर से बात करने के बाद उन्हें अपना फ़ैसला बदलना भी पड़ता है। बुधवार से शुरू हो रहे इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच पहले वनडे में अब फ़ील्ड अंपायर को इस बात की चिंता नहीं होगी कि गेंदबाज़ का पैर कहीं पॉपिंग क्रीज़ से आगे तो नहीं निकल गया। क्योंकि आईसीसी ने प्रयोग के तौर पर इस सीरीज़ में फ्रंट फ़ुट नो बॉल देखने और इशारा करने की ज़िम्मेदारी तीसरे अंपायर को दे दी है। कई बार गेंदबाज़ों को इसका फ़ायदा भी मिलता है और वह नो बॉल से बच जाते हैं, क्योंकि ज़्यादातर मौक़ों पर अंपायर तभी टीवी अंपायर से मदद लेते हैं जब उस गेंद पर बल्लेबाज़ के ख़िलाफ़ आउट होने की अपील होती है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) का ये फ़ैसला आने वाले वक़्त में क्रांतिकारी बदलाव साबित हो सकता है। ''इस प्रयोग का मक़सद ये है कि फ़्रंट फ़ुट नो बॉल और भी सही और अच्छे तरीक़े से देखी जा सके। साथ ही साथ हमारी नज़र टीवी अंपयार की बढ़ती हुई ज़िम्मेदारी और खेल पर पड़ते हुए असर पर भी है। मैच शुरू होने से पहले अंपायर्स और मैच रेफ़री के साथ एक ट्रेनिंग सेशंस भी रखा जाएगा।'': ऐड्रियन ग्रिफ़िथ. मुख्य प्रबंधक, आईसीसी आईसीसी का ये फ़ैसला फ़िलहाल एक प्रयोग के तौर पर शुरू किया जा रहा है, जहां फ़ील्ड अंपायर के पास एक वाइब्रेट घड़ी होगी। जैसे ही टीवी अंपायर को लगेगा कि फ़्रंट फ़ुट नो बॉल है, तो वह फ़ील्ड अंपायर को वाइब्रेट घड़ी के ज़रिए अगाह करेंगे। अगर इसका अच्छा असर इस सीरीज़ में पड़ा तो फिर आने वाले दिनों में इसे नियमित तौर पर अमल में लाया जा सकता है।