जब से हमारे और आपके या किसी भी क्रिकेट फ़ैन के हाथों में गेंद और बल्ला आया है, तभी से एक चीज़ भी सुनते आए हैं कि ''क्रिकेट अनिश्चित्ताओं का खेल है''। इस कथन में नजफ़गढ़ के वीरेंद्र सहवाग ने एक और लाइन जोड़ दी है, ''सारे प्रेडिक्शन यहां फ़ेल हैं''। क्रिकेट की इस संज्ञा को सच साबित कर रही है चैंपियस ट्रॉफ़ी जहां तीन दिनों में तीन उलटफेर देखने को मिले, लेकिन इतना ही नहीं शुक्रवार की देर रात अफ़ग़ानिस्तान ने वेस्टइंडीज़ को उन्हीं के घर में शिकस्त देकर कर दिया 3 दिनों में चौथा उलटफेर। पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका ने तो चैंपियंस ट्रॉफ़ी को बेहद रोमांचक मोड़ पर पहुंचा दिया है। जिसके बाद अब सभी मुक़ाबले वर्चुअल क्वार्टर फ़ाइनल हो गए हैं, जो इस चैंपियंस ट्रॉफ़ी को अब तक की सबसे शानदार बना रहे हैं। इन उलटफेरों की शुरुआत हुई नंबर-8 पर काबिज़ पाकिस्तान से जिन्होंने आईसीसी रैंकिंग में टॉप पर मौजूद प्रोटियाज़ को शिकस्त दे दी। अगले ही दिन नंबर-2 टीम इंडिया को छठे पायदान और परिवर्तन काल से गुज़र रही श्रीलंका ने मात देकर सभी को हैरान कर दिया। क्रिकेट फ़ैन्स अभी इन उलटफेरों के बारे में बात ही कर रहे थे कि शुक्रवार को नंबर-7 रैंकिंग वाली बांग्लादेश ने पांचवें नंबर की न्यूज़ीलैंड को हराकर एक और उलटफेर कर दिया। हालांकि इन उलटफेरों ने चैंपियंस ट्रॉफ़ी में जान फूंक दी और अब इंग्लैंड को छोड़कर किसी ने भी अगले दौर में जगह नहीं बनाई है। चैंपियंस ट्राफ़ी में बांग्लादेश की जीत के बाद जब एशियाई महाद्विपों में क्रिकेट फ़ैन्स सो रहे थे तो उस दौरान अफ़ग़ानिस्तान के राशिद ख़ान (7/18) की फिरकी पर कैरबियाई टीम नाच रही थी और 65 रनों से मुक़ाबला हार गई। सुबह में नींद से जागने के बाद फ़ैन्स को इसकी जानकारी मिली तो कईयों को तो लगा कि वह अभी तक सो ही रहे हैं क्या ! बहरआल, अफ़ग़ानिस्तान की वेस्टइंडीज़ पर इस जीत ने उन्हें टेस्ट स्टेटस के बेहद क़रीब ला खड़ा किया है। इन उलटफेरों से जो सकारात्मक चीज़ सामने आ रही है, वह है क्रिकेट का सुनहरा भविष्य। छोटी और कम रैंकिंग वाली टीमें जब अपने से कहीं बेहतर टीम को मात देती हैं तो इससे क्रिकेट के स्तर और उसके प्रति फ़ैन्स की दीवानगी चरम पर पहुंचती है। आने वाले वक़्त में या यू कहें आने वाले दशकों में क्रिकेट का भविष्य भी यही टीमें हो सकती हैं। 1990 के दशक में श्रीलंका की जीत भी उलटफेर ही कही जाती थी लेकिन 1996 वर्ल्डकप जीतकर उन्होंने क्रिकेट दुनिया को हिला दिया था। बांग्लादेश के लिए भी पिछले कुछ साल शानदार जा रहे हैं और अब तो उनकी जीत को उलटफेर कहना भी उनकी प्रतिभा को कम आंकने जैसा लगता है। कुछ ऐसा ही हाल अफ़ग़ानिस्तान का भी है, 19 अप्रैल 2009 को स्कॉटलैंड के ख़िलाफ़ जीत के साथ अंतर्राष्ट्रीय वनडे मैच का आग़ाज़ करने वाली अफ़ग़ानिस्तान का ग्राफ़ पहले मैच से ही लगातार ऊपर जा रहा है। इन 7 सालों में इस टीम ने 81 मैच खेले हैं जिसमें 42 जीत दर्ज की है, और 38 में हार मिली है। इतना ही नहीं इनमें 14 जीत उन्होंने टेस्ट खेलने वाले देशों के ख़िलाफ़ दर्ज की है जिसमें ज़िम्बाब्वे (11), बांग्लादेश (2) और अब वेस्टइंडीज़ (1) शामिल हैं। मतलब साफ़ है, क्रिकेट के आने वाले दशकों में अगर ये टीमें इसी तरह से प्रदर्शन करती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब इनकी जीत की जगह इनकी हार को माना जाएगा ''उलटफेर''।