3 देश जो आईसीसी वर्ल्डकप 2019 में खेलने के हक़दार थे

क्रिकेट की सबसे बड़ी जंग यानी आईसीसी क्रिकेट वर्ल्डकप अगले साल इंग्लैंड में खेला जाना है। 1975 से शुरू हुए वनडे क्रिकेट वर्ल्डकप का ये 12वां संस्करण कुल 10 टीमों के बीच खेला जाएगा। जिनमें शामिल होने वाली सभी टीमों के नामों पर अब मुहर लग गई है, आईसीसी रैंकिंग में टॉप-8 टीमों के अलावा 2 और देशों को आईसीसी वर्ल्डकप क्वालिफ़ायर से क्रिकेट के इस सबसे बड़े महाकुंभ में आने का अवसर हासिल हुआ है। 2 बार की वर्ल्ड चैंपियन विंडीज़ को भी इस बार आईसीसी वर्ल्डकप क्वालिफ़ायर से गुज़रना पड़ा, जहां वह फ़ाइनल में पहुंचकर वर्ल्डकप 2019 का टिकट हासिल कर चुके हैं। विंडीज़ के अलावा अफ़ग़ानिस्तान भी नाटकिय अंदाज़ में इस टूर्नामेंट के फ़ाइनल में पहुंच गई और लगातार दूसरी बार वर्ल्डकप का टिकट हासिल करने में क़ामयाब रही। विंडीज़ और अफ़ग़ानिस्तान का वर्ल्डकप के लिए क्वालिफ़ाई न करने सही में सभी के लिए हैरानी होती लेकिन कुछ ऐसे देश भी हैं जो इस बार 2019 वर्ल्डकप में नहीं दिखेंगे। एक नज़र डाल लेते हैं उन्हीं में से 3 ऐसे देशों पर जो सही मायनों में 2019 वर्ल्डकप में जाने के हक़दार थे।

#3 स्कॉटलैंड

1999 से 2015 तक 3 विश्वकप में हुए शामिल

स्कॉटलैंड के लिए आईसीसी क्वालिफ़ायर काफ़ी शानदार रहा था और सभी को लग रहा था कि ये टीम एक बार फिर वर्ल्डकप में जगह बनाएगी। क्वालिफ़ायर में स्कॉटलैंड ने लीग स्टेज में एक भी मैच नहीं हारा था, इस स्कॉटिश टीम ने 4 लीग मुक़ाबलों में से 3 जीते और 1 मैच टाई रहा। जिसकी बदौलत स्कॉटलैंड सुपरसिक्स में पहुंची, लेकिन दूसरे दौर में स्कॉटिश टीम के हाथ केवल एक जीत लगी जो उन्होंने UAE पर दर्ज की। उसके अलावा आयरलैंड और विंडीज़ के हाथों उनका हारना उनसे वर्ल्डकप 2019 की टिकट छीन ले गया। वर्ल्डकप में स्कॉटलैंड पहली बार 1999 में शामिल हुई थी, हालांकि उसके बाद 2003 वर्ल्डकप में भी वह जगह नहीं बना पाईं थीं। फिर 2007 में स्कॉटलैंड को दूसरी बार विश्वकप खेलने का मौक़ा मिला, लेकिन जीत का खाता उनका इस बार भी नहीं खुल पाया। 2011 में एक बार फिर स्कॉटलैंड वर्ल्डकप के लिए क्वालिफ़ाई नहीं कर पाई थी, उन्हें 2015 में तीसरी बार मौक़ा मिला और उन्होंने इस बार भी कोई जीत दर्ज नहीं की थी।

वर्ल्डकप में स्कॉटलैंड: 14 मैच, 14 हार

#2 आयरलैंड

2007 से 2015 तक हर विश्वकप में हुए शामिल

आयरलंड ने आईसीसी वर्ल्डकप क्वालिफ़ायर में लीग स्टेज में 4 में से 3 जीत के साथ सुपरसिक्स में जगह बनाई थी। जहां उन्हें UAE पर जीत हासिल हुई लेकिन विंडीज़ और अफ़ग़ानिस्तान से मिली हार ने उनके वर्ल्डकप में खेलने के अरमानों पर पानी फेर दिया। आयरलैंड को पहली बार 2007 विश्वकप में खेलने का मौक़ा मिला था, और उन्होंने अपना आग़ाज़ ज़ोरदार अंदाज़ में किया था। विश्वकप इतिहास के पहले मैच में उन्होंने ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ टाई खेलकर सभी को हैरान कर दिया था। अगले ही मैच में इस आयरिश टीम ने मज़बूत पाकिस्तान को भी 3 विकेट से हरा दिया था, विश्वकप इतिहास में आयरलैंड की ये पहली जीत थी। इस टूर्नामेंट में आयरलैंड ने बांग्लादेश को भी शिकस्त दी थी, इसके बाद 2011 विश्वकप में भी आयरलैंड ने इंग्लैंड को हराते हुए सभी को अपना दीवाना बना लिया था। 2015 वर्ल्डकप आयरलैंड के लिए सबसे शानदार रहा था, जब उन्होंने विंडीज़, UAE और ज़िम्बाब्वे को हराते हुए सबसे ज़्यादा 3 जीत दर्ज की थी। हाल ही आयरलैंड को अफ़ग़ानिस्तान के साथ टेस्ट का भी स्टेटस हासिल हुआ है, और उसके बाद 2019 वर्ल्डकप के लिए क्वालिफ़ाई न कर पाना ज़ाहिर तौर पर सभी के लिए हैरान करने वाला है।

वर्ल्डकप में आयरलैंड: 20 मैच, 7 जीत, 13 हार, 1 टाई

#1 ज़िम्बाब्वे

1983 से 2015 तक हर विश्वकप में हुए शामिल

ज़िम्बाब्वे का 2019 आईसीसी वर्ल्डकप में न पहुंच पाना क्रिकेट जगत के लिए किसी झटके से कम नहीं। एक ऐसी टीम जो 36 सालों से लगातार वर्ल्डकप का हिस्सा थी, वह इस बार 12वें विश्वकप में नदारद रहेगी। ज़िम्बाब्वे ने आईसीसी वर्ल्डकप क्वालिफ़ायर में शुरुआत तो शानदार तरीक़े से की थी जब 4 मैचों में 3 जीत और स्कॉटलैंड से एक टाई खेलकर अनबिटेन सुपरसिक्स में पहुंची थी। जहां उन्हें आयरलैंड पर तो जीत मिली, लेकिन विंडीज़ से हार नसीब हुई थी। हालांकि अभी भी ज़िम्बाब्वे के पास UAE को शिकस्त देकर वर्ल्डकप की टिकट हासिल करने का आसान सा मौक़ा था। पर 3 रनों से UAE के हाथों हार ने ज़िम्बाब्वे की उम्मीदों को ख़त्म कर दिया और अफ़ग़ानिस्तान ने इस मौक़े को भुना लिया। बात अगर विश्वकप की करें तो 1983 में पहली बार ज़िम्बाब्वे ने विश्वकप में शिरकत की थी और अपने पहले ही मैच में इतिहास रच डाला था। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान डंकन फ़्लेचर की कप्तानी में इस टीम ने ऑस्ट्रेलिया जैसी मज़बूत टीम को हरा दिया था, और आगे आने वाले मैच में टीम इंडिया को भी हार की दहलीज़ पर खड़ा कर दिया था। जब कपिल देव ने 175* रनों की पारी खेलते हुए भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी। हालांकि इसके बाद 1987 में ज़िम्बाब्वे को एक भी जीत नहीं मिली, लेकिन 1992 वर्ल्डकप में इस टीम ने इंग्लैंड को हराते हुए सभी को दंग कर दिया था वह भी तब जब ज़िम्बाब्वे 134 रनों पर ऑलआउट हुई थी और इंग्लिश टीम को 125 रनों पर ही ढेर कर दिया था। 1996 में ज़िम्बाब्वे ने पटना में खेले गए मुक़ाबले में केन्या को मात दी थी जो उनकी 1996 विश्वकप में एकमात्र जीत थी। ज़िम्बाब्वे के लिए सबसे यादगार रहा था 1999 वर्ल्डकप , जहां उन्होंने केन्या, भारत और दक्षिण अफ़्रीका को हराते हुए सुपरसिक्स में जगह बनाई थी। 2003 वर्ल्डकप में भी ज़िम्बाब्वे को 3 जीत मिली थी जिसमें से एक इंग्लैंड के ऊपर वॉकओवर के तौर पर आई थी। 1987 के बाद 2007 ही ऐसा विश्वकप था जहां ज़िम्बाब्वे को एक मैच में भी जीत नहीं मिली थी, हालांकि 2007 में आयरलैंड के ख़िलाफ़ उन्होंने एक टाई ज़रूर खेला था। 2011 में 2 जबकि 2015 में इस टीम ने एक जीत हासिल की थी, लेकिन 36 साल बाद अब 2019 वर्ल्डकप में ज़िम्बाब्वे क्रिकेट टीम शामिल नहीं होगी।

वर्ल्डकप में ज़िम्बाब्वे: 57 मैच, 11 जीत, 42 हार, 1 टाई, 3 में कोई नतीजा नहीं