टेस्ट क्रिकेट सही मायनों में किसी खिलाड़ी की प्रतिभा का सही आंकलन करता है। जैसा कि हमने भारत के इंग्लैंड दौरे में देखा, वहीं की पिचों पर बल्लेबाज़ों को रन बनाने के लिए जूझना पड़ा। वहीं ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में बल्लेबाज़ों को तेज और उछाल वाले पिचों का सामना करने की चुनौती होती है। उपरोक्त देशों में तेज़ गेंदबाज़ों के अनुकूल पिचें होती हैं वहीं भारतीय उपमहाद्वीप की धीमी पिचों पर बल्लेबाज़ों को रन बनाने में आसानी होती है लेकिन यह पिचें स्पिनरों की मददगार होती हैं। इस लेख में, हम 3 महान टेस्ट खिलाड़ियों की बात करेंगे जो भारत में विफल रहे: - मुथैया मुरलीधरन भारत में रिकॉर्ड: मैच: 11, विकेट: 40, पारी में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी: 7-100, औसत: 45.45, 5 विकेट: 2 बार खेल के इतिहास में सबसे सफल टेस्ट गेंदबाज; श्रीलंका के महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने अपने 18 वर्षीय शानदार करियर के दौरान हर महाद्वीप में शानदार गेंदबाज़ी की है और कई रिकार्ड बनाए, लेकिन भारत में मुरली संघर्ष करते दिखे। मुरलीधरन ने पहली बार 1994 में भारत का दौरा किया था और तीन मैचों में ऑफ स्पिनर ने 35.00 की औसत से 12 विकेट लिए थे, लेकिन इसके तीन साल बाद भारतीय बल्लेबाजों ने उनकी जमकर धुनाई की। दो टेस्ट मैचों में महान ऑफ स्पिनर ने 103.66 की महंगी औसत से रन लुटाये और केवल 2 विकेट लिए। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2005 के भारत दौरे में आया जब उन्होंने 3 टेस्ट मैचों में 31.00 की औसत से 16 विकेट लिए थे। शेन वार्न भारत में रिकॉर्ड: मैच: 9, विकेट: 34, पारी में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी: 6-125, औसत: 43.11, 5-विकेट: 1 बार 90 के दशक के महानतम स्पिनर ऑस्ट्रेलिया के शेन वॉर्न किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उस दौर में तेंदुलकर-वॉर्न में दिलचस्प प्रतिद्वंद्विता देखने को मिलती थी। 1998 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी तेंदुलकर-वॉर्न प्रतिद्वंद्विता की मिसाल थी। वॉर्न ने चेन्नई टेस्ट में भारत की पहली पारी में तेंदुलकर को स्लिप में कैच कराकर पवेलियन वापिस भेजा लेकिन इसके बाद तेंदुलकर ने पूरी तरह से अपना प्रभुत्व बनाए रखा और मैदान के चारों ओर शॉट्स लगाए। वॉर्न ने आखिरकार 2004 में ऑस्ट्रेलिया की ऐतिहासिक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तीन मैचों की टेस्ट श्रृंखला में वॉर्न ने 30.07 की औसत से कुल 14 विकेट लेकर भारत में अपने खराब गेंदबाज़ी रिकार्ड में कुछ सुधार किया। रिकी पोंटिंग भारत में रिकॉर्ड: मैच: 14, रन: 662, औसत: 26.48, 100: 1, सर्वश्रेष्ठ: 123 टेस्ट क्रिकेट में डॉन ब्रैडमैन के बाद ऑस्ट्रेलिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज रिकी पोंटिंग ने हर टीम के खिलाफ ज़बरदस्त प्रदर्शन किया है। पोंटिंग ने भारत के खिलाफ भी शानदार प्रदर्शन किया है। भारत के खिलाफ 15 मैचों में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने 86.04 की बेहतरीन औसत से कुल 1839 रन बनाए। हालांकि, भारत में उनका यह प्रदर्शन देखने को नहीं मिला। टेस्ट बल्लेबाज के रूप में उन्होंने 2001 के भारत दौरे में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया। तीन मैचों की टेस्ट सीरीज़ में पोंटिंग ने 3.40 की औसत से केवल 17 रन बनाए। पोंटिंग ने 2016 में कहा था, "भारत के खिलाफ खेलते हुए हरभजन सिंह हमारे लिए दुःस्वप्न जैसे थे।" आखिरकार उन्हें भारत के छठे दौरे में अपना रिकार्ड सुधारने का मौका मिला जब 2010 में उन्होंने दो टेस्ट मैचों में 56.00 की शानदार औसत से 224 रन बनाए। भारत में पोंटिंग की विफलताओं के प्रमुख कारणों में से एक हरभजन सिंह थे। हरभजन ने पोंटिंग को 14 मैचों में दस बार पवेलियन वापिस भेजा। भारत में खेले 14 मैचों में, पोंटिंग ने 26.48 की औसत से कुल 662 रन बनाए। लेखक: यश मित्तल अनुवादक: आशीष कुमार