लाल गेंद से खेले जाने वाले टेस्ट प्रारूप में फिलहाल तीन तरह की गेंदों का इस्तेमाल होता है। चमड़े और कागज से तैयार क्रिकेट की गेंद, अंतरराष्ट्रीय और प्रथम श्रेणी क्रिकेट के लिए इस्तेमाल की जाती है। क्रिकेट में वैसे तो दो रंगों (लाल और सफ़ेद) की गेंदों का ही इस्तेमाल होता है लेकिन 2015 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच खेले गए दिन-रात के टेस्ट मैच में पहली बार गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया गया था।
लेकिन ज़्यादातर देशों में दिन में ही टेस्ट मैच खेले जाते हैं, जहां लाल गेंद का इस्तेमाल होता है और यह लाल गेंद तीन प्रकार की होती है। भारत में पांच दिन तक खेले जाने वाले टेस्ट मैच में मुख्य रूप से एसजी (SG) गेंद का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं इंग्लैंड और वेस्टइंडीज़ जैसे देशों में टेस्ट मैचों में ड्यूक गेंद का इस्तेमाल होता है तो ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका और ज़िम्बाब्वे में कूकाबूरा गेंद का उपयोग होता हैं।
आइये जानते हैं टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली इन तीन तरह की लाल गेंदों के बारे में:
#1. एसजी गेंद
भारत में खेले जाने वाले टेस्ट मैचों में इस्तेमाल होने वाली एसजी (संसपारेल्स ग्रीनलैंड्स) गेंदों का निर्माण मेरठ में किया जाता है। इस गेंद को हाथ से बनाया जाता है और यह गेंद 80-90 ओवर तक अच्छी स्थिति में बनी रहती है और तेज़ गेंदबाज़ों को इससे मदद मिलती है।
शुरुआत में इस गेंद से अच्छी रिवर्स स्विंग मिलती है और पुरानी होने पर यह स्पिनरों के लिए मददगार साबित होती हैं। दिलचस्प बात यह है कि एसजी गेंद केवल भारत में इस्तेमाल की जाती है और कूकाबूरा गेंद से 5 गुना सस्ती होती है।
वहीं टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली का मानना है कि भारत में इस्तेमाल की जाने वाली एसजी गेंद पर टेस्ट मैच के आखिरी दिन गेंदबाज़ों को पकड़ बनाने में मुश्किल होती है और स्पिनरों को भी इससे टर्न नहीं मिलता। कोहली के मुताबिक अब भारत में एसजी की जगह ड्यूक गेंदों का इस्तेमाल होना चाहिए क्यूँकि यह स्पिनर्स और पेसर्स दोनों के लिए मैच के आखिरी दिन भी मददगार साबित होती है।
#2. कूकाबूरा गेंद
सफेद कूकाबूरा गेंद का इस्तेमाल एकदिवसीय और टी -20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में किया जाता है, जबकि लाल कूकाबूरा गेंद का इस्तेमाल अधिकांश टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले देश करते हैं। सिर्फ वेस्टइंडीज़ एवं इंग्लैंड में ड्यूक और भारत में एसजी गेंदों का प्रयोग होता है।
यह गेंद मशीन से बनाई जाती हैं और मैच के शुरुआती ओवरों में इससे तेज़ गेंदबाज़ों को स्विंग मिलती है और उसके बाद पुरानी हो जाने पर लेग-स्पिनरों के लिए मददगार साबित होती है। इस गेंद का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि बाकी दो गेंदों की तुलना में इसपर पकड़ बनाना थोड़ा मुश्किल होता है। क्रिकेट खेलने वाले ज़्यादातर देश जिनमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका और ज़िम्बाब्वे शामिल हैं, कूकाबूरा गेंद से खेलते हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह गेंद सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में बनाई जाती है और टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले छह देशों में इसका इस्तेमाल होता है। ।
#3. ड्यूक गेंद
ड्यूक गेंदों का निर्माण इंग्लैंड में होता है और एसजी गेंदों की तरह ये भी हस्तनिर्मित होती हैं। हालाँकि, एसजी और कूकाबूरा गेंदों की तुलना में यह गहरे लाल रंग की होते हैं क्योंकि इन गेंदों पर लाह (लाख) की कोटिंग की जाती है जिसकी वजह से यह स्विंग के लिए आदर्श मानी जाती है और तेज़ गेंदबाज़ों के लिए मददगार साबित होती है।
ड्यूक गेंदों का इस्तेमाल मुख्य रूप से इंग्लैंड और वेस्टइंडीज़ में खेले जाने वाले टेस्ट मैचों में होता है। चूंकि यह गेंद लंबे समय तक हार्ड बनी रहती है इसलिए तेज़ गेंदबाज़ों के साथ-साथ स्पिनर्स भी इससे अच्छी टर्न ले सकते हैं।
ग़ौरतलब है कि यह गेंद बाकी दो गेंदों की तुलना में गेंदबाज़ों के लिए सबसे बढ़िया मानी जाती है। टीम इंडिया के इंग्लैंड दौरे में खेली गई टेस्ट सीरीज़ में इसी गेंद का इस्तेमाल हुआ था, जहां हमने भारतीय बल्लेबाज़ों को रन बनाने के लिए जूझते देखा।