मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए टॉप-10 मुक़ाबले

India v West Indies: 3rd Test Day 3

2011 का विश्वकप फाइनल हो , सचिन तेंदुलकर का फाइनल आंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच हो या फिर 2016 टी20 वर्ल्ड कप का दिलतोड़ देने वाला फाइनल मुकाबला, 1975 में पहले मैच की मेज़बानी से लेकर आज तक मुंबई के एतिहासिक वानखेड़े स्टेडियम ने क्रिकेट फैंस को अनेक यादगार लम्हें दिए हैं। ये वही वानखेडे स्टेडियम है जहां रवि शास्त्री ने रणजी ट्रॉफी में एक ओवर में छह छक्के लगाने का कारनामा किया था। बीते सालों में, खासतौर पर वनडे और टी 20 मुकाबलों के लिए वानखेडे स्टेडियम की ऐसी छवी बनी है जहां बल्लेबाज़ों के लिए तेज़ी से रन बनाना आसान है। वानेखेडे स्टेडियम आईपीएल की मुंबई इंडियंस टीम का घरेलू मैदान है । शुरुआत में यहां 45000 दर्शकों के बैठने के क्षमता थी, लेकिन 2011 वनडे वर्ल्ड कप के लिए हुए स्टेडियम के नवीनीकरण के बाद ये क्षमता घटकर 33000 की रह गई। समुद्र के पास स्थित मुंबई के वानखेडे स्टेडियम ने अपने 41 साल के इतिहास में कई हाई वॉल्टेज मुकाबलों की मेजबानी की है और हर भारतीय क्रिकेट प्रशंसक के दिल में वानखेडे की एक अलग पहचान है बावजूद इसके की वानखेडे स्टेडियम का निर्माण बॉम्बे जिमखाना और ब्रेबोर्न स्टेडियम के बाद में हुआ। बीते सालों में वानखेडे में हुए 10 बेहद खास मुकाबलों पर एक नजर डालते हैं । #10 वर्ष 2000 - भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका, टेस्ट मैच बेहद कम टीमें ऐसी रही हैं जो भारत दौरे पर टेस्ट सीरीज़ में भारतीय टीम पर पूरी तरह से हावी रही हों, साल 2000 की प्रोटियाज़ टीम उनमें से एक है। 2 मैच की टेस्ट सीरीज़ साउथ अफ्रीका ने अपने नाम की खासतौर पर दूसरा टेस्ट एकतरफा रहा। लेकिन मुंबई में हुआ पहला टेस्ट बेहद रोमांचक फिल्म की तरह रहा, जो लो स्कोरिंग था और दोनों में से कोई भी टीम पूरे मैच में एक बार भी 250 का आंकड़ा भी नहीं छू सकी। शुरुआत में गेंदबाज़ों का स्वर्ग लगने वाली पिच पर कप्तान सचिन तेंदुलकर की शानदार बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी की बदौलत भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका पर पकड़ बनाई और पहली पारी में 49 रन की बढ़त ले ली। जहां बाकी बल्लेबाज़ फेल हो रहे थे वहां पहले तो सचिन ने 97 रन की बेशकीमती पारी खेलते हुए टीम को 225 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया फिर गेंद से भी कमाल दिखाते हुए तीन विकेट झटके जिसमें दोनों सलामी बल्लेबाज़ों के विकेट शामिल थे, जिन्होंने पहले विकेट के लिए 90 रन की साझदारी की थी। एक समय बिना किसी विकेट के 90 रन से अफ़्रीकी टीम 176 पर ऑलआउट हो गई । लेकिन दूसरी पारी में शॉन पोलाक और हैंसी क्रोन्ये ने भारतीय टीम को झंकझोरते हुए घरेलू दर्शकों को अचेत कर दिया और सचिन की अगुआई वाली टीम महज़ 113 रन पर ही ऑलआउट हो गई। 164 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए, अनिल कुंबले के शानदार पलटवार से पहले एक समय साउथ अफ्रीकी टीम आसानी से जीत की ओर बढ़ रही थी । कुंबले ने 4 विकेट लिए , लेकिन अंत में भारत कुछ रन पीछे रह गया और साउथ अफ्रीका ने 4 विकेट से ज़ोरदार जीत हासिल की । #10 वर्ष 2007 - भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया , वनडे 9-1474530295-800 एक और लो स्कोरिंग मुकाबला लेकिन 50 ओवर के इस मैच में जीत टीम इंडिया को मिली। इस मैच को बाएं हाथ के स्पिनर मुरली कार्तिक कभी नहीं भुला पाएंगे। हरभजन सिंह और अनिल कुंबले के टीम में रहते हुए बहुत कम मौकों पर कार्तिक को टीम में खेलने का मौका मिलता था, लेकिन वानखेड़े पर मिले इस मौके को कार्तिक ने दोनों हाथों से लपका और खूब भुनाया। खचाखच भरे वानखेड़े के दर्शक ऑस्ट्रलिया के पतन के गवाह बने , मुरली के जादुई प्रदर्शन के सामने ऑस्ट्रेलिया एक समय 20वें ओवर में 117 रन पर 2 विकेट से 193 रन पर ऑलऑउट हो गया । मुरली कार्तिक ने 27 रन देकर 6 विकेट लिए और करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। रिकी पॉन्टिंग इस मुकाबले में अर्धशतक जड़ने वाले अकेले बल्लेबाज़ थे। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही और सौरव गांगुली और दिनेश कार्तिक बिना खाता खोले ही पवेलियन लौट गए। महज़ 64 रन पर 6 विकेट खोने के बाद भारत को हार सामने दिख रही थी , लेकिन तभी हरभजन सिंह और रॉबिन उथप्पा ने गज़ब की वापसी की दास्तां लिखी। उथप्पा के आउट होने से पहले दोनों ने सातवें विकेट के लिए 65 रन की साझदारी की और एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया के लिए जीत के दरवाजे खुल गए। लेकिन भारतीय टेलएंडर्स के इरादे कुछ और ही थे और हरभजन सिंह और मुरली कार्तिक ने आठवें विकेट के लिए नाबाद 52 की साझेदारी कर भारत को 4 विकेट से यादगार जीत दिला दी । हालांकि इस सीरीज़ में भारत के लिए ये जीत काफी देर में आई और ऑस्ट्रेलियाई टीम सीरीज़ पहले ही अपने नाम कर चुकी थी। #8 वर्ष 2016 टी- 20 वर्ल्डकप, इंग्लैंड बनाम दक्षिण अफ्रीका 8-1474530421-800 इस लिस्ट में शुमार होने वाला ये मैच हालही में हुए टी 20 वर्ल्ड का इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के बीच का मुकाबला है जहां 39.4 ओवर्स में 459 रन बने। किसी टीम को स्कोरबोर्ड पर 229 रन लगाते देखना कोई आम बात नहीं है। और इतने विशाल लक्ष्य को हासिल करते देखने का गनाह बनना तो बेहद दुर्लभ दृश्यों में से एक है। हाशिम अमला और क्विंटन डी कॉक के ताबड़तोड़ अर्धशतकों की बदौलत साउथ अफ्रीका ने पहले 9 ओवर के अंदर ही 114 रन बना लिए। लोवर आर्डर में जे पी ड्यूमिनी ने 28 गेंद पर 54 रनों की पारी खेलकर साउथ अफ्रीका को 229 तक पहुंचा दिया। इंग्लैंड ने लक्ष्य का पीछा करते हुए अपने इरादे जग जाहिर कर दिए और पारी के तीसरे ओवर में ही 50 रन बना लिए। पावरप्ले में तीन विकेट खोने के बावजूद भी इंग्लैंड ने 89 रन बंटोर लिए। इसके बाद भी गेंदबाज़ों पर जो रूट का कहर जारी रहा और रूट ने 44 गेंद पर 83 रन की पारी खेली। हालांकि अंत में साउथ अफ्रीकी टीम ने जरा सी वापसी जरूर की, लेकिन वो उनकी दो विकेट की हार को नहीं टाल सकी। #7 भारत बनाम इंग्लैंड, टेस्ट मैच, 2006 7-1474530580-800 इस टेस्ट सीरीज के आखिरी मुकाबले में इंग्लैंड ने मेजबान टीम की जीत को छीन सीरीज 1-1 से बराबर कर दी। कप्तान द्रविड़ का 100वां टेस्ट मेहमान टीम ने बुरी याद में तबदील करते हुए 212 रन के बड़े अंतराल से जीत लिया। एंड्रयू स्ट्रॉस के शतक और ओवैस शाह और एंड्रयू फ्लिनटॉफ के अर्धशतकीय पारी की वजह से इंग्लैंड ने पहली पारी में 400 रन बना लिए थे। गेंदबाजी में जेम्स एंडर्सन ने अपनी काबिलियत दिखाते हुए भारतीय टीम को 279 पर रोक दिया जिसमें द्रविड़ और धोनी ही अर्धशतक लगाने में कामयाब रहे। इंग्लैंड की 100 रन से ज्यादा की बढ़त होने के बावजूद, भारत ने दूसरी पारी में सधी हुई गेंदबाजी करते हुए 191 पर ऑल आउट कर दिया। लेकिन मैच के आखिरी दिन 313 रन का लक्ष्य भारत पर भारी पड़ गया और इंग्लैंड के शॉन उडल ने 4 विकेट लेकर भारतीय बल्लेबाजी को धवस्त कर इंग्लैंड को मुम्बई टेस्ट में विजय दिलाई। #6 1996 वर्ल्ड कप, भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया 6-1474531072-800 उनमें से एक वनडे जब भारतीय टीम सचिन तेंदुलकर पर काफी ज्यादा निर्भर करती थी और हर बार सचिन के आउट होने के बाद टीम सरेंडर कर देती ,मेजबान टीम के लिए इस तरह के निराशाजनक दृश्य 2000 से पहले आम थे। ये मौका 1996 वर्ल्ड कप का था जब ग्रुप स्टेज में ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ तगड़ी शुरुआत की और पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी की। कप्तान मार्क टेलर ने अर्धशतकीय पारी खेली, जबकि मार्क वॉ ने 126 रन जड़ दिए। लेकिन उस दिन ऑस्ट्रेलियाई टीम भारतीय फील्डर्स का दबाव नहीं झेल सकी और नाटकीय अंदाज़ में ऑस्ट्रेलिया के पांच बल्लेबाज़ रन आउट हो गए जिसकी वजह से उनकी पारी 258 रन पर सिमट गई। अजय जडेजा का विकेट जल्दी गिरने के बावजूद सचिन एक छोर से मजबूती से आगे बढ़ रहे थे और 100 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से रन बंटोर रहे थे। सचिन और मांजरेकर के बीच साझेदारी से एक पल के लिए ऐसा लगा की मैच भारत जीत जाएगा लेकिन तभी शतकीय पारी खेलने वाले मार्क वॉ ने सचिन को शतक जड़ने से रोकते हुए आउट कर दिया। सचिन की विकेट ने तो मानो ऑस्ट्रेलिया के लिए जीत के दरवाजे ही खोल दिए और इसके बाद डेमियन फ्लेमिंग ने 5 हासिल कर अपनी टीम को 16 रन की जीत दिला दी। वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में भारत को श्रीलंका के हाथों हार का मुंह देखकर नॉकआउट होना पड़ा , जबकि ऑस्ट्रेलिया टीम को फाइनल में लंकाई टीम से शिकस्त झेलनी पड़ी। #6 वर्ष 2012 भारत बनाम इंग्लैंड, टेस्ट मैच cook-pietersen-1474543496-800 ये टेस्ट गलत कारणों के चलते हर भारतीय क्रिकेट प्रशंसक के जहन में कई सालों तक ताज़ा रहेगा । पहले टेस्ट में इंग्लैंड टीम को बुरी तरह रौंदने के बाद भारतीय टीम ने वानखेड़े पर मेहमान टीम की परेशानियां बढ़ाने के लिए पूरी तरह से स्पिन फ्रेंडली ट्रैक बनवाया । हालांकि भारत की ये चाल बिलकुल उलटी पड़ गई और ग्रेम स्वान और मोंटी पानेसर ने पलटवार करने के लिए उन परिस्थितियों का पूरा लाभ उठाया । इंडिया ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए चेतेश्वर पुजारा की 135 रनों की पारी की मदद से 327 रन बनाए । जवाब में इंग्लैंड के कप्तान कुक और केविन पीटरसन ने शतकीय पारी खेली औऱ पहली पारी में इंग्लैंड को 87 रन की बढ़त दिला दी। जहां कुक ने 122 रन की पारी खेली वहीं पीटरसन का कहर स्पिनर्स पर जारी रहा और उन्होंने 186 रन की भव्य पारी खेली। भारत के 9 बल्लेबाज़ दूसरी पारी में दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सके और पानेसर और स्वान ने टीम इंडिया को महज 142 रन पर ऑलआउट कर दिया जिससे इंग्लैंड के सामने सिर्फ 57 रन का टारगेट था। ये रन इंग्लैंड के ओपनर्स ने आसानी से बना लिए और सीरीज़ 1-1 से बराबर हो गई। #5 वर्ष 2004, भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया , टेस्ट मैच 4-1474531576-800 सीरीज पहले ही गंवाने के बाद भारत टीम सिर्फ सम्मान बचाने के लिए खेल रही थी। ऑस्ट्रेलिया 35 साल बाद भारत में बॉर्डर गावस्कर सीरीज़ जीतने में सफल हुई थी, लिहाज़ा उन्होंने नाथन हॉरिट्स को डेब्यू करने का मौका दिया जो खतरनाख दिख रहा था। दूसरी तरफ भारत की ओर से गौतम गंभीर और दिनेश कार्तिक ने टेस्ट में डेब्यू किया। कप्तान की भूमिका संभाल रहे राहुल द्रविड़ ही अकेले ऐसे बल्लेबाज़ थे जिन्होंने भारत के लिए प्रतिरोधक पारी खेली और भारतीय पारी महज 104 रन पर ही सिमट गई। अनिल कुंबले और मुरली कार्तिक ने साझेदारी में गेंदबाजी कर आपस में 9 विकेट झटके और ऑस्ट्रेलिया को 203 पर ऑलआउट कर दिया। इस तरह के पिच पर 99 रन की लीड भी विशाल लग रही थी। दूसरी पारी में गौतम गंभीर और सहवाग का विकेट जल्द खो देने के बाद सचिन और लक्ष्मण ने बाकी बल्लेबाज़ों के सामने मुश्किल पिच पर टिकने का नमूना पेश करते हुए अर्धशतकीय पारियां खेली और भारतीय पारी को संभाल लिया। बाकी के बल्लेबाज़ पूरी तरह फेल रहे और पार्ट टाइम गेंदबाज़ माइकल क्लार्क ने 6 विकेट लेकर सभी को चौंका दिया । जीत के लिए 107 रन का पीछा करने उतरे कंगारुओं से उम्मीद लगाई जा रही थी कि वो सीरीज़ में 3-0 की बढ़त बनाएंगे लेकिन हरभजन सिंह और मुरली कार्तिक ने लगातार ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों को पवेलियन की राह दिखाकर भारत को 13 से जीत दिला दी। #3 वर्ष 2011 – भारत बनाम श्रालंका , वर्ल्ड कप फाइनल 3-1474531627-800 भले ही ये मैच सबसे ज्यादा रोमांचक न हो लेकिन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया क्योंकि 2011 में यहीं फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर भारत दूसरि बार वनडे का वर्ल्डकप जीता । पहले बल्लेबाज़ी करते हुए श्रीलंकाई ने महेला जयवर्धने की एतिहासिक शतकीय पारी की मदद से 274 रन बनाए। लसिथ मलिंगा ने फिर सचिन तेंदुलकर और विरेंदर सहवाग का विकेट चटकाकर भारत के समर्थकों को शांत करा दिया। गौतम गंभीर और धोनी फिर एक महत्वपूर्ण साझेदारी कर भारत की पारी को पटरी पर ले आए। हालांकि गंभीर 97 रन की पारी खेलकर आउट हो गए , लेकिन धोनी जो युवराज से पहले बल्लेबाज़ी के लिए आए थे दूसरे छोर से लगातार रन बनाते रहे और आखिर तक 91 रन बनाकर नाबाद रहे। कुलासेखरा की गेंद और धोनी का वो लॉन्ग ऑन पर लगाया हुआ छक्का , वो पल हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी में दिल में हमेशा हमेशा के लिए बस गया। #2 वर्ष 2011, भारत बनाम वेस्टइंडीज़, टेस्ट मैच 22-1474531689-800 इस मैच के शुरु होने से पहले ही भारतीय टीम टेस्ट सीरीज़ में 2-0 की अजय बढ़त बना चुकी थी उनकी निगाहें आने वाले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी। लेकिन असल मायने में यही अर्थहीन मैच सीरीज़ का सबसे रोमांचक मैच था और वानखेड़े पर मौजूद तमाम दर्शक इस टेस्ट के आखिरी दिन के रोमांचक के गवाह बने । टेस्ट इतिहास में ये दूसरी बार हुआ जब कोई टेस्ट मैच टाई रहते हुए ड्रॉ हुआ । वेस्टइंडीज़ के टॉप 6 बल्लेबाज़ों ने शानदार बल्लेबाज़ी की और 500 रन का स्कोर पार किया जिसमें डैरन ब्रावो ने बड़ा शतक जमाते हुए वेस्टइंडीज़ को 590 के विशालकाय स्कोर तक पहुंचा दिया। जवाब में आर अश्विन की शतकीय पारी की मदद से भारत वेस्टइंडीज़ के स्कोर से सिर्फ 108 रन पीछे रहा। अश्विन और प्रज्ञान ओझा ने दूसरी पारी में जबरदस्त वापसी की और मेहमान टीम को सिर्फ 134 रन पर ऑलआउट कर दिया जिससे भारत को जीत के लिए 243 रन बनाने की जरूरत थी। घरेलू टीम जब 101 रन पर 1 विकेट खोकर मजबूती से टारगेट की ओर बढ़ रही थी तभी वेस्टइंडीज़ ने पलटवार करते हुए जल्द ही मेजबान टीम को 6 विकेट पर 189 रन पर ला खड़ा किया। विराट कोहली अर्धशतक बनाकर भारतीय टीम को आगे ले जा रहे थे लेकिन उनके आउट होने के बाद मैच ने अंतिम क्षणों में रोमांचक मोड़ ले लिया । भारत के दो विकेट शेष थे और आखिरी ओवर में तीन रन बनाने की दरकार थी। वरुण एरॉन ने पहले तीन गेंदों पर संघर्ष करते हुए अपना विकेट बचाया और फिर चौथी गेंद पर 1 रन बंटोर लिया। आखिरी गेंद पर अश्विन ने लॉन्ग ऑन की दिशा में शॉट खेला और दूसरा रन दौड़ते हुए अश्विन रन आउट हो गए । बहरहाल , इतिहास लिखा गया और भारत ने सीरीज़ 2-0 से जीता। #1 वर्ष 2002 , भारत बनाम इंग्लैंड , वनडे मैच 111-1474531749-800 जो सीरीज़ पूरी तरह से भारत की गिरफ्त में थी , मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर उसका एक अनोखा अंत देखने को मिला और इंग्लैंज ने जीत की अनोखी कहानी लिखकर पलटवार करते हुए फाइनल मैच 5 रन से जीता । इंग्लैंड सीरीज़ का पांचवा मुकाबला भी 2 रन से जीतने में सफल रहा था जिसके चलते सीरीज़ 3-3 से ड्रॉ रही । पहले बल्लेबाज़ी करते हुए मार्कस ट्रेसकोथिक ने भारतीय गेंदबाजों की क्लास लगाई और 80 गेंद पर 95 रन की पारी खेलकर इंग्लैंड को मजबूत शुरुआत दी। हरभजन सिंह सही समय पर ट्रेसकोथिक का विकेट लेने में सफल रहे और फिर हरभजन ने उसी मैच में कुल पांच विकेट लिए। एंड्र्यू फ्लिंटॉफ की 40 रन की मूल्यवान पारी की मदद से इंग्लैंड 255 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचने में सफल रहा । हालांकि लोकल ब्वॉय सचिन तेंदुलकर का जल्द ही आउट हो गए, लेकिन विरेंदर सहवाग और सौरव गांगुली ने भारतीय टीम को लक्ष्य का पीछा करने के लिए शानदार आधारशिला रखी। भारत सीरीज़ जीत से सिर्फ 100 रन दूर था और उनके आठ विकेट बाकी थे। टारगेट हासिल करने के लिए भी भारत के पास 20 ओवर का लंबा समय बाकी था , लेकिन तभी इंग्लैंड ने जोश दिखाया और पलटवार किया । गांगुली के 88 रन पर आउट होने के बाद , इंग्लिश गेंदबाज़ों ने भारतीय लोवर ऑर्डर को ढहा दिया खासतौर पर फ्लिटॉफ ने आखिरी स्पेल में खूब आग उगली । भारत को आखिरी 3 गेंद पर 6 रन की जरूरत थी, लेकिन फ्लिटॉफ ने एक रन आउट किया और फिर मैच की आखिरी गेंद पर श्रीनाथ को बोल्ड कर दिया जिसके बाद फ्लिटॉफ ने अपनी जर्सी उतार कर खूब जश्न मनाया और मैदान में लबालब भरे भारतीय फैंस को निराश कर दिया। कुछ ही महीनों बाद लॉर्ड्स के मैदान पर 326 रन का लक्ष्य हासिल कर और नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतकर गांगुली ने भी फ्लिंटॉफ को उसी अंदाज में जवाब दिया।