जो सीरीज़ पूरी तरह से भारत की गिरफ्त में थी , मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर उसका एक अनोखा अंत देखने को मिला और इंग्लैंज ने जीत की अनोखी कहानी लिखकर पलटवार करते हुए फाइनल मैच 5 रन से जीता । इंग्लैंड सीरीज़ का पांचवा मुकाबला भी 2 रन से जीतने में सफल रहा था जिसके चलते सीरीज़ 3-3 से ड्रॉ रही । पहले बल्लेबाज़ी करते हुए मार्कस ट्रेसकोथिक ने भारतीय गेंदबाजों की क्लास लगाई और 80 गेंद पर 95 रन की पारी खेलकर इंग्लैंड को मजबूत शुरुआत दी। हरभजन सिंह सही समय पर ट्रेसकोथिक का विकेट लेने में सफल रहे और फिर हरभजन ने उसी मैच में कुल पांच विकेट लिए। एंड्र्यू फ्लिंटॉफ की 40 रन की मूल्यवान पारी की मदद से इंग्लैंड 255 के सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचने में सफल रहा । हालांकि लोकल ब्वॉय सचिन तेंदुलकर का जल्द ही आउट हो गए, लेकिन विरेंदर सहवाग और सौरव गांगुली ने भारतीय टीम को लक्ष्य का पीछा करने के लिए शानदार आधारशिला रखी। भारत सीरीज़ जीत से सिर्फ 100 रन दूर था और उनके आठ विकेट बाकी थे। टारगेट हासिल करने के लिए भी भारत के पास 20 ओवर का लंबा समय बाकी था , लेकिन तभी इंग्लैंड ने जोश दिखाया और पलटवार किया । गांगुली के 88 रन पर आउट होने के बाद , इंग्लिश गेंदबाज़ों ने भारतीय लोवर ऑर्डर को ढहा दिया खासतौर पर फ्लिटॉफ ने आखिरी स्पेल में खूब आग उगली । भारत को आखिरी 3 गेंद पर 6 रन की जरूरत थी, लेकिन फ्लिटॉफ ने एक रन आउट किया और फिर मैच की आखिरी गेंद पर श्रीनाथ को बोल्ड कर दिया जिसके बाद फ्लिटॉफ ने अपनी जर्सी उतार कर खूब जश्न मनाया और मैदान में लबालब भरे भारतीय फैंस को निराश कर दिया। कुछ ही महीनों बाद लॉर्ड्स के मैदान पर 326 रन का लक्ष्य हासिल कर और नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतकर गांगुली ने भी फ्लिंटॉफ को उसी अंदाज में जवाब दिया।