सीरीज पहले ही गंवाने के बाद भारत टीम सिर्फ सम्मान बचाने के लिए खेल रही थी। ऑस्ट्रेलिया 35 साल बाद भारत में बॉर्डर गावस्कर सीरीज़ जीतने में सफल हुई थी, लिहाज़ा उन्होंने नाथन हॉरिट्स को डेब्यू करने का मौका दिया जो खतरनाख दिख रहा था। दूसरी तरफ भारत की ओर से गौतम गंभीर और दिनेश कार्तिक ने टेस्ट में डेब्यू किया। कप्तान की भूमिका संभाल रहे राहुल द्रविड़ ही अकेले ऐसे बल्लेबाज़ थे जिन्होंने भारत के लिए प्रतिरोधक पारी खेली और भारतीय पारी महज 104 रन पर ही सिमट गई। अनिल कुंबले और मुरली कार्तिक ने साझेदारी में गेंदबाजी कर आपस में 9 विकेट झटके और ऑस्ट्रेलिया को 203 पर ऑलआउट कर दिया। इस तरह के पिच पर 99 रन की लीड भी विशाल लग रही थी। दूसरी पारी में गौतम गंभीर और सहवाग का विकेट जल्द खो देने के बाद सचिन और लक्ष्मण ने बाकी बल्लेबाज़ों के सामने मुश्किल पिच पर टिकने का नमूना पेश करते हुए अर्धशतकीय पारियां खेली और भारतीय पारी को संभाल लिया। बाकी के बल्लेबाज़ पूरी तरह फेल रहे और पार्ट टाइम गेंदबाज़ माइकल क्लार्क ने 6 विकेट लेकर सभी को चौंका दिया । जीत के लिए 107 रन का पीछा करने उतरे कंगारुओं से उम्मीद लगाई जा रही थी कि वो सीरीज़ में 3-0 की बढ़त बनाएंगे लेकिन हरभजन सिंह और मुरली कार्तिक ने लगातार ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों को पवेलियन की राह दिखाकर भारत को 13 से जीत दिला दी।