इंग्लैंड के क्रिकेट इतिहास के 10 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी

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क्रिकेट की शुरुआत करने वाले देश इंग्लैंड को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हुए 140 साल से ज्यादा हो चुके हैं। इंग्लिश टीम खेल के सभी प्रारूपों को मिलाकर कुल 1783 मैच खेल चुकी है। इस मामले में सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई टीम (1802 मैच) ही उनसे आगे है। इस सफर में अभी तक 728 खिलाड़ी टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाली सभी टीमों में सर्वाधिक है। 507 खिलाड़ियों के साथ ऑस्ट्रेलिया दूसरे नंबर पर है। आइए जानते हैं कि इस लंबे सफर में किन इंग्लिश खिलाड़ियों ने प्रतिमान स्थापित किए और खुद को दिग्गजों की फेहरिस्त शुमार कियाः उल्लेखनीय नामः एलिस्टेयर कुक, डेरेक अंडरवुड, केन बैरिंगटन, हैरल्ड लारवुड और जिम लेकर। #10 एलन नॉट इस खिलाड़ी ने अपने करियर में 269 बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा, जो बतौर विकेटकीपर इंग्लैंड के क्रिकेट इतिहास का सर्वश्रेष्ठ आंकड़ा है। चाहे वह डेरेक अंडरवुड की स्पिन बोलिंग हो या फिर बॉब विली की खतरनाक रफ्तार, दोनों के साथ गजब का तालमेल था नॉट का। बेहद अप्रत्याशित पिचों पर एलन नॉट को विकेटकीपरिंग करते देखना फैन्स के लिए एक तरह की ट्रीट हुआ करता था। नॉट सिर्फ एक बेहतरीन विकेटकीपर ही नहीं, बल्कि मौके पर काम आने वाले बल्लेबाज भी थे। अच्छे से अच्छे गेंदबाज को नॉट अपने शानदार शॉट्स से छकाने का माद्दा रखते थे। करियरः 1967-1981 टेस्टः 95 मैच, 250 कैच, 19 स्टम्पिंग, 4389 रन, 32.75 का औसत, 5 शतक और 30 अर्धशतक। #9 ग्राहम गूच Graham Gooch आंकड़ों के मुताबिक, भले ही केन बैरिंगटन और डेनिस कॉम्पटन का औसत बेहतर हो, लेकिन क्रिकेट इतिहास के सबसे खतरनाक गेंदबाजी आक्रमण के सामने गूच का शानदार खेल, उन्हें इंग्लिश दिग्गजों की सूची में जगह दिलाता है। 1980-90 के दशकों में जब वेस्टइंडीज के गेंदबाजों का खौफ हुआ पूरी दुनिया के बल्लेबाजों पर हुआ करता था, गूच उन बल्लेबाजों में से थे, जिन पर इसका कोई असर न था। होल्डिंग, मार्शल, गार्नर और क्रॉफ्ट जैसे कैरेबियाई गेंदबाजों की मौजूदगी में जमैका टेस्ट मैच (1981) में 213 गेंदों में 153 रनों की गूच की पारी फैन्स कभी नहीं भूल पाएंगे। टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड की तरफ से सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में गूच (8900) अभी भी दूसरे नंबर पर कायम हैं। टेस्ट के बाद जब वनडे क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ने लगी तब गूच ने अपने खेलने की शैली में भी उपयुक्त बदलाव किए और उनके नाम पर एक सम्मानजनक औसत के साथ 4000 रन दर्ज हैं। करियरः 1975-1995 टेस्टः 118 मैच, 42.58 औसत के साथ 8900 रन, 20 शतक, 46 अर्धशतक वनडेः 125 मैच, 36.98 औसत के साथ 4290 रन, 8 शतक, 23 अर्धशतक #8 जेम्स एंडरसन England v West Indies - 3rd Investec Test: Day Two एंडरसन एकमात्र ऐसे इंग्लिश गेंदबाज हैं, जिनके नाम पर 500 टेस्ट विकेट दर्ज हैं। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच एक टेस्ट सीरीज खत्म हुई है। इस श्रृंखला के चौथे टेस्ट में जेम्स ने कुछ ऐसा खेल दिखाया, जो इस खेल के इतिहास में कभी नहीं देखा गया। स्विंग गेंदबाजी में माहिर एंडरसन हालिया दौर में इंग्लैंड क्रिकेट के लिए एक आदर्श हैं। अगर रफ्तार के माहिर डेल स्टेन को छोड़ दिया जाए तो बल्लेबाज की तकनीक के हिसाब से अपनी स्विंग गेंदबाजी के दांवों को तय करना, शायद एंडरसन से बेहतर फिलहाल कोई नहीं जानता। अक्सर आलोचक विदेशी जमीन पर उनके सामान्य प्रदर्शन पर उंगलियां उठाते रहे हैं। हालांकि, हर सत्र के साथ उनके प्रदर्शन में सुधार हुआ है। ऑस्ट्रेलिया और भारत में इंग्लैंड ने कई बड़े टूर्नामेंट पर कब्जा जमाया है और जिसमें एंडरसन का विशेष योगदान रहा है। करियरः 2003 से जारी टेस्टः 129 मैच, 506 विकेट, 27.39 का औसत, 55.8 का स्ट्राइक रेट, 5 विकेटों के 24 स्पेल, 10 विकेटों के 3 स्पेल वनडेः 194 मैच, 269 विकेट, 29.22 का औसत, 4.92 इकॉनमी रेट, 5 विकेटों के 2 स्पेल #7 वॉली हैमंड Wally Hammond अपने वक्त में वॉली का शुमार बेहद कुशल बल्लेबाजों में हुआ करता था। 1947 में जब वॉली ने अपना आखिरी टेस्ट खेला था, तब तक वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। उनके बाद इंग्लिश क्रिकेट के 70 सालों के इतिहास में भले ही कई बल्लेबाजों ने उनके रनों (7249) का रिकॉर्ड तोड़ा हो, लेकिन जिस तरह का प्रभाव वॉली ने फैन्स के ऊपर छोड़ा था, शायद ही वैसा कोई और बल्लेबाज छोड़ सका हो। वैली सिर्फ एक असाधारण बल्लेबाज ही नहीं, बल्कि एक अच्छे फील्डर और गेंदबाज भी थे। उनके नाम पर दर्ज 110 कैच और 83 विकेट, इस बात के गवाह हैं। वैसे तो वॉली के पास शानदार शॉट्स की भरमार थी, लेकिन बैक-फुट पर उनका खेल लाजवाब था। उनके ड्राइव्स न केवल फैन्स को रोमांचित करते थे, बल्कि गेंदबाजों के आत्मविश्वास को भी कमजोर करते थे। करियरः 1927-1947 टेस्टः 85 मैच, 58.45 का औसत, 7249 रन, 22 शतक, 24 अर्धशतक #6 केविन पीटरसन 52674440HB036_Fifth_Test_En डेविड गावर के बाद केविन पीटरसन ही एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं, जो नैचुरल टैलेंट के धनी थे। पीटरसन ने लंबा वक्त साउथ अफ्रीका में बिताया। वैसे तो चयनकर्ताओं और पीटरसन के बीच का सामंजस्य कुछ अच्छा नहीं रहा, लेकिन फिर भी अपनी योग्यता के बल पर पीटरसन विश्व क्रिकेट के हीरोज में शामिल हैं। करियरः 2004-2014 टेस्टः 104 मैच, 8181 रन, 47.28 का औसत, 61.72 स्ट्राइक रेट, 23 शतक, 35 अर्धशतक वनडेः 136 मैच, 4440 रन, 40.73 का औसत, 86.58 स्ट्राइक रेट, 9 शतक, 25 अर्धशतक टी-20- 37 मैच, 1176 रन, 37.93 का औसत, 141.51 स्ट्राइक रेट, 7 अर्धशतक #5 सिडनी बार्न्स 139433964 अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो सिडनी को विश्व क्रिकेट का सबसे खतरनाक गेंदबाज कहना गलत नहीं होगा। टेस्ट गेंदबाज, जिनके नाम पर कम से कम 150 विकेट हों, वे सिडनी के औसत (16.43) के आगे कहीं नहीं टिकते। सिडनी ने अपने वक्त में ही आने वाली पीढ़ी के लिए नई गेंद के शानदार और सार्थक इस्तेमाल की तकनीक की नींव रख दी थी। आधुनिक क्रिकेट की अवधारणा के विपरीत, सिडनी ने नए बल्लेबाजों को कम ही अपना शिकार बनाया है। अपने करियर में सिडनी ने विरोधियों के तौर पर सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका का ही सामना किया। करियरः 1901-1914 टेस्टः 27 मैच, 189 विकेट, 16.43 का औसत, 41.6 का स्ट्राइक रेट, 5 विकेटों के 24 स्पेल, 10 विकेटों के 7 स्पेल #4 सर लेन हटन [caption id="attachment_152441" align="alignnone" width="1000"]J141666104 J141666104[/caption] सर लेन हटन के खेल की सबसे बड़ी खासियत थी कि वह आसानी से अपने खेल को डिफेंसिव से अटैकिंग बना देते थे। लॉर्ड के ऐतिहासिक मैदान पर करियर शुरू करने के बाद 4 साल तक हटन गंभीर चोट से जूझते रहे। इलाज के दौरान उनका बायां हाथ, दाएं हाथ से लगभग 2 इंच तक छोटा हो गया। इस समस्या को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने अपने शरीर के हिसाब से अपने खेल की शैली को बदल लिया। हटन के सामने चुनौती थी न सिर्फ अपनी तकनीक को बदलने की, बल्कि धुरंधर गेंदबाजों के सामने अपने खेल को उसी मोड़ से शुरू करने की, जहां से उन्होंने विराम लिया था। हटन के पास न सिर्फ लंबे समय तक पिच पर जमे रहने की क्षमता थी, बल्कि वह समय-समय पर अपने स्ट्रोक्स से फैन्स का मनोरंजन भी करते रहते थे। करियरः 1937-1955 टेस्टः 79 मैच, 6971 रन, 56.67 का औसत, 19 शतक और 33 अर्धशतक #3 सर इयान बॉथम 3270298 अपने करियर के चरम पर सर बॉथम सभी क्रिकेट फैन्स के लिए आकर्षण का केंद्र रहते थे। क्रिकेट के दो ऐतिहासिक टूर्नामेंट्स (बॉम्बे में हुआ जुबली टेस्ट और 1981 की ऐशज सीरीज) को इस खिलाड़ी ने अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से और भी यादगार बना दिया। एक तरफ उन्होंने 60.71 के बेहतरीन औसत के साथ 5000 से ज्यादा टेस्ट रन बनाए और दूसरी ओर उनके 383 टेस्ट विकेट के रिकॉर्ड को सिर्फ एक ही इंग्लिश खिलाड़ी (जेम्स ऐंडरसन) पार कर सका। अपने करियर के खराब दौर के बावजूद, बॉथम ने 1992 विश्व कप में 16 विकेट लिए और इंग्लैंड को फाइनल तक पहुंचाने में बेहद अहम भूमिका निभाई। करियरः 1976-1992 टेस्टः 102 मैच, 383 विकेट, 28.40 का औसत, 56.9 का स्ट्राइक रेट, 5 विकेटों के 27 स्पेल, 10 विकेटों के 4 स्पेल, 33.54 के औसत और 60.71 के स्ट्राइक रेट के साथ 5200 रन, 14 शतक, 22 अर्धशतक वनडेः 116 मैच, 145 विकेट, 28.54 का औसत, 3.96 इकॉनमी रेट, 23.21 के औसत के साथ 2113 रन, 79.10 का स्ट्राइक रेट, 9 अर्धशतक #2 फ्रेड ट्रूमैन J135201602 टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 300 विकेट लेने का कारनामा इस खिलाड़ी के नाम पर ही दर्ज है। 1952 के हेडिंगले टेस्ट में पहली पारी के बाद इंग्लैंड 41 रनों से पीछे था। हालांकि, दूसरी पारी में इंग्लैंड को करारी मात देने की भारत की उम्मीदों को इस गेंदबाज ने चकनाचूर कर दिया। वह मैच, ट्रूमैन का डेब्यू मैच था और इस 21 वर्षीय गेंदबाज ने 0 के स्कोर पर भारत के 4 बल्लेबाजों को पवेलियन भेज दिया। टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण के साथ ही ट्रूमैन ने दुनियाभर के बल्लेबाजों के अंदर अपना खौफ पैदा कर दिया। ट्रूमैन का सबसे बड़ा हथियार था, उनका पेस। बढ़ती उम्र भी उनके इस हथियार को कमजोर नहीं कर सकी। करियरः 1952-1965 टेस्टः 67 मैच, 307 विकेट, 21.57 का औसत, 49.4 का स्ट्राइक रेट, 5 विकेटों के 17 स्पेल, 10 विकेटों के 3 स्पेल। #1 सर जैक हॉब्स J000679805 अगर पहला विश्व युद्ध का क्रिकेट जगत पर असर न पड़ा होता तो शायद सर हॉब्स अपने फैन्स का और अधिक मनोरंजन कर पाते। टेस्ट करियर में उनके नाम पर 5410 रन दर्ज हैं। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सर हॉब्स के रिकॉर्ड के आस-पास भी कोई नहीं पहुंच सका। उनके नाम पर 834 फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैचों में 61760 रन हैं, जिनमें 199 शतक दर्ज हैं। करियरः 1908-1930 टेस्टः 61 मैच, 56.94 के औसत के साथ 61 मैच, 15 शतक, 28 अर्धशतक लेखकः राम कुमार, अनुवादकः देवान्श अवस्थी