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सर लेन हटन के खेल की सबसे बड़ी खासियत थी कि वह आसानी से अपने खेल को डिफेंसिव से अटैकिंग बना देते थे। लॉर्ड के ऐतिहासिक मैदान पर करियर शुरू करने के बाद 4 साल तक हटन गंभीर चोट से जूझते रहे। इलाज के दौरान उनका बायां हाथ, दाएं हाथ से लगभग 2 इंच तक छोटा हो गया। इस समस्या को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने अपने शरीर के हिसाब से अपने खेल की शैली को बदल लिया। हटन के सामने चुनौती थी न सिर्फ अपनी तकनीक को बदलने की, बल्कि धुरंधर गेंदबाजों के सामने अपने खेल को उसी मोड़ से शुरू करने की, जहां से उन्होंने विराम लिया था। हटन के पास न सिर्फ लंबे समय तक पिच पर जमे रहने की क्षमता थी, बल्कि वह समय-समय पर अपने स्ट्रोक्स से फैन्स का मनोरंजन भी करते रहते थे।
करियरः 1937-1955
टेस्टः 79 मैच, 6971 रन, 56.67 का औसत, 19 शतक और 33 अर्धशतक