अपने घरेलू मैदान (फिरोजशाह कोटला) पर गंभीर की इस पारी को इस मैदान के इतिहास की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक माना जा सकता है। मोहाली में दूसरा टेस्ट जीतने के बाद भारत, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 1-0 की लीड पर था। तीसरा टेस्ट दिल्ली में होना था। भारत ने पहले बल्लेबाजी की और शुरूआत में ही सहवाग और द्रविड़ के विकेट गंवा दिए। अपने टेस्ट करियर का पहला दोहरा शतक लगाते हुए गंभीर ने पूरी तरह से भारत को मैच में वापस ला दिया और ऑस्ट्रेलिया के लिए परेशानी खड़ी कर दी। गंभीर ने तेंदुलकर के साथ 130 रन और लक्ष्मण के साथ 278 रनों की साझेदारियां कीं। गंभीर 206 रन बनाकर आउट हुए। भारत ने 613/7 के स्कोर पर अपनी पारी घोषित की। मैच ड्रॉ हुआ। शेन वॉटसन को एल्बो मारने के चलते गंभीर को आखिरी टेस्ट से सस्पेंड कर दिया गया। इसके बावजूद गंभीर सीरीज के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे।