#3 मिस्बाह-उल-हक़
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के अहम खिलाड़ी मिस्बाह उल हक ने भी साल 2017 में संन्यास ले लिया। अपने लंबे करियर में मिस्बाह उल हक ने कई उतार चढ़ाव का सामना किया। असफल होने पर उन्हें आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। मिस्बाह उल हक से ये बात हर कोई सीख सकता है कि जब तक सफलता न मिल जाए तब तक कोशिश करती रहनी चाहिए। मिस्बाह उल हक हार मानने वालों खिलाड़ियों में से नहीं थे, वे जब भी आउट ऑफ फॉर्म होते तो फॉर्म में वापस आने के लिए जी जान लगा देते थे। साल 2001 में मिस्बाह उल हक ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। शुरुआत में मिस्बाह उल हक असफल रहे लेकिन साल 2007 में उन्होंने दमदार प्रदर्शन के बूते पाकिस्तान क्रिकेट टीम में फिर से वापसी की। मिस्बाह उल हक ने अपने करियर में 75 टेस्ट मैचे खेले। जिनमें उन्होंने 46.62 की औसत से 5222 रन बनाए। वहीं एकदिवसीय मैचों में मिस्बाह उल हक ने 162 मैच खेले। इनमें उन्होंने 43.41 की औसत से 5122 रन बनाए। साल 2007 में खेले गए पहले आईसीसी टी20 टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला हर किसी को याद होगा। जब मिस्बाह उल हक भारत के खिलाफ मैच को जीतने के लिए पाकिस्तान के लिए अंत तक कमान संभाले हुए थे और पाकिस्तान को जीत की दहलीज तक ला खड़ा किया था, हालांकि वो टीम को जीत दिलाने में नाकाम साबित हुए थे। इसके बाद से ही मिस्बाह उल हक टीम का अहम हिस्सा हो गए थे। इसके बाद मिस्बाह उल हक पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान भी बने। अपनी कप्तानी में मिस्बाह उल हक ने पाकिस्तान को मजबूत किया और टीम को नंबर 1 टेस्ट टीम बनाया था।