भारतीय क्रिकेट के 4 दिल तोड़ने वाले पल जो सौरव गांगुली की कप्तानी में आये

20वीं सदी के अंत में, भारतीय क्रिकेट मुश्किलों से गुज़र रहा था। मैच फिक्सिंग प्रकरण ने पूरी क्रिकेट की दुनिया को हिलाकर रख दिया था और भारतीय क्रिकेट भी प्रभावित हुआ था। मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय जडेजा को टीम से हटा दिया गया और सौरव गांगुली को कप्तान बनाया गया। गांगुली की कप्तानी में भारत एक ऐसी टीम बन गई जो विदेशों में लड़ सके। 2000 से 2005 के बीच भारत ने वेस्टइंडीज (पोर्ट ऑफ स्पेन , 2002) में एक टेस्ट जीता, 2002 में इंग्लैंड के साथ सीरीज बराबरी की (1- 1) और 2004 में पाकिस्तान में टेस्ट और एकिदवसीय श्रृंखला दोनों जीती। लेकिन, गांगुली की राह इतनी आसान नही थीं और उनकी कप्तानी में कई ऐसे पल आये जो यादगार नहीं रहे। आइये एक नज़र डालते हैं सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत के ऐसे ही 4 दिल तोड़ने वाले पलों पर: # 4 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप, फाइनल, 2003 भारतीय टीम का 2003 विश्वकप का अभियान डच टीम के खिलाफ कड़ी मेहनत करने के बाद मिली जीत से हुआ। इसके बाद 125 रनों से ऑस्ट्रेलिया के हाथों एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। विश्व चैंपियंस के खिलाफ इस हार ने गांगुली की टीम को झकझोरा और इसके बाद लगातार 9 मैच जीत कर फाइनल में जगह बनाने में सफल रहे। फाइनल में गांगुली ने टॉस जीता और वह एकमात्र चीज रही जिसे उस दिन भारत ने जीता। ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हेडन और एडम गिलक्रिस्ट ने पहले 15 ओवरों में ही अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी से अपने इरादे स्पष्ट कर दिये। लेकिन वह रिकी पोंटिंग थे जिन्होंने एक पारी ऐसी पारी खेली जिसने टीम इंडिया से मैच छीन लिया। 140 रनों की शानदार पारी में, पोंटिंग ने मार्टिन (88) के साथ गेंद को मैदान के हर कोने में पहुँचाया और ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवर में 359 रन बना डाले। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की जीत की पहले ओवर में खत्म हो गयी जब सचिन तेंदुलकर ग्लेन मैकग्रा की गेंद पर टॉप एज थमा बैठे। सहवाग ने 81 रनों के साथ कुछ देर संघर्ष करते रहे, लेकिन मैक्ग्रा, ब्रेट ली और बिकल की जोड़ी के खिलाफ जीत भारत के लिए दूर ही थी। आखिरकार भारत 234 रनों पर सिमट गया और 125 रन से मैच हार गया। # 3 भारत बनाम न्यूजीलैंड, आईसीसी नॉकआउट फाइनल, 2000 गांगुली की कप्तानी में आईसीसी नॉकआउट पहला प्रमुख टूर्नामेंट था। इस टूर्नामेंट में भारत को भविष्य के दो सितारे युवराज सिंह और जहीर मिले। दोनों ने टूर्नामेंट के दौरान अहम योगदान किये और भारत ने विश्व चैंपियंस ऑस्ट्रेलिया मजबूत दक्षिण अफ़्रीकी टीम को हरा फाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले। गांगुली ने सेमीफाइनल और साथ ही साथ फाइनल मुकाबले में आगे बढ़ते हुए टीम का नेतृव करते हुए शतक लगाया, जिससे भारत ने 50 ओवरों में 6-264 रन बनाये। बल्लेबाजी की तरह ही, भारत ने गेंदबाजी की शुरुआत भी अच्छी की और वेंकटेश प्रसाद (3-27) ने स्पियरमैन (3) और कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग (5) को आउट करके अच्छी शुरुआत दी, जिससे किवी टीम एक समय 2-37 पर संघर्ष करती नज़र आई। चीजें किवी टीम के लिए हालात और खराब हो गए जब अनिल कुंबले (2-55) और तेंदुलकर (1-38) ने ट्वोज (31) और मैकमिलन (15) को आउट कर दिया और न्यूजीलैंड 132 पर 5 विकेट गवा संघर्ष करता नज़र आया। लेकिन, क्रिस केर्न्स ने कुछ और ही सोच रखा था। इस ऑलराउंडर पहले ही 10 ओवरों में 0-40 के किफायिती गेंदबाज़ी आंकड़ों के साथ एक छाप छोड़ी थी और उसके बाद अपनी पारी को बखूबी रफ़्तार प्रदान की। केर्न्स ने नाटकीय अंदाज़ में भारत के हाथों से मैच निकाल लिया और अपनी 113 गेंद पर 102 रन की बेहतरीन पारी के दम पर न्यूजीलैंड को 5 विकेट से मैच जिताकर खिताब जीतवाया। # 2 ऑस्ट्रेलिया से 35 सालों बाद घर पर हारना (2004 में 1-2) यह भारतीय कप्तान के रूप में गांगुली के कार्यकाल का सबसे ख़राब परिणाम था। 2001 में ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराने और 2003-04 में ड्रॉ (1-1) खेलकर, भारत 2004 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत की जीत की उम्मीदें ज्यादा थी। लेकिन पहले टेस्ट ने कप्तान गांगुली और भारत के लिए निराशाजनक सीरीज़ की शुरुआत की कहानी लिख दी। पहला मैच खेल रहे माइकल क्लार्क ने अपना पहला शतक बनाया और 155 रन की पारी खेलकर टीम को बेंगलुरू में पहले टेस्ट में 217 रनों की जीत दिलाई। भारत ने अनिल कुंबले के 13 विकेट और सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग ने 155 रनों की पारी के चलते मेजबानों पर दूसरे मैच में दबाव बनाया और भारत को श्रृंखला में बराबरी करने के लिये 209 रनों की जरूरत थी लेकिन चेन्नई में बारिश के चलते अंतिम दिन खेल नही हो पाया और ड्रॉ के चलते ऑस्ट्रेलिया हार से बच गयी। हालांकि ताबूत में आखिरी कील नागपुर में पड़ी, जब कप्तान गांगुली पिच के बारे में क्यूरेटर के साथ झगड़े के कारण टेस्ट से बाहर बैठे थे और टेस्ट शुरू होने के बाद यह स्पष्ट था कि गांगुली की चिंता क्या थी। एक हरे सीमिंग विकेट पर, जेसन गिलेस्पी (5-56 और 4-24) की अगुवाई में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने प्रसिद्ध भारतीय बल्लेबाजी क्रम को घरेलू 342 रनों की बड़ी हार दी और 4-मैच की श्रृंखला में 2-0 की बढ़त बना ली। भारत ने मुंबई में हुआ आखिरी टेस्ट (13 रनों से) जीता था, जिसमें टेस्ट मैच तीन दिन से कम समय के साथ खत्म हो गया था। लेकिन, भारत श्रृंखला हार गया और कंगारुओं ने आखिरकार एक काफी समय के इंतज़ार के बाद भारत में सीरिज विजय प्राप्त की थी। # 1 2005 में पाकिस्तान से 2-4 से हार बैंगलोर में खेले गए तीसरे टेस्ट में हार के साथ भारत को टेस्ट सीरीज जीतना का मौका गँवाना पड़ा। यूनिस खान ने बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान को सीरीज में बराबरी दिलाई। भारत ने एकदिवसीय श्रृंखला की शुरुआत एक के बाद एक दो मैच जीत के की, जिसमें दूसरा मैच एमएस धोनी के चलते याद किया जाता है। धोनी को दूसरे मैच में नंबर 3 के भेजा गया था और उन्होंने 148 रनों की धमाकेदार पारी खेली और छह मैचों की श्रृंखला में भारत ने 2-0 की बढ़त बना ली। हालांकि, तीसरे मैच से हालात बदल गये और पाकिस्तान ने वापसी करते हुए क्रमशः 106 रनों से, फिर तीन विकेट, उसके बाद पांच विकेट और अंत में 159 रनों से भारत को हरा कर 4-2 से श्रृंखला अपने नाम कर ली। लेखक: यश मित्तल अनुवादक: राहुल पांडे

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
Cricket
Cricket
WWE
WWE
Free Fire
Free Fire
Kabaddi
Kabaddi
Other Sports
Other Sports
bell-icon Manage notifications