भारतीय क्रिकेट के 4 दिल तोड़ने वाले पल जो सौरव गांगुली की कप्तानी में आये

# 2 ऑस्ट्रेलिया से 35 सालों बाद घर पर हारना (2004 में 1-2)

यह भारतीय कप्तान के रूप में गांगुली के कार्यकाल का सबसे ख़राब परिणाम था। 2001 में ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराने और 2003-04 में ड्रॉ (1-1) खेलकर, भारत 2004 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत की जीत की उम्मीदें ज्यादा थी। लेकिन पहले टेस्ट ने कप्तान गांगुली और भारत के लिए निराशाजनक सीरीज़ की शुरुआत की कहानी लिख दी। पहला मैच खेल रहे माइकल क्लार्क ने अपना पहला शतक बनाया और 155 रन की पारी खेलकर टीम को बेंगलुरू में पहले टेस्ट में 217 रनों की जीत दिलाई। भारत ने अनिल कुंबले के 13 विकेट और सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग ने 155 रनों की पारी के चलते मेजबानों पर दूसरे मैच में दबाव बनाया और भारत को श्रृंखला में बराबरी करने के लिये 209 रनों की जरूरत थी लेकिन चेन्नई में बारिश के चलते अंतिम दिन खेल नही हो पाया और ड्रॉ के चलते ऑस्ट्रेलिया हार से बच गयी। हालांकि ताबूत में आखिरी कील नागपुर में पड़ी, जब कप्तान गांगुली पिच के बारे में क्यूरेटर के साथ झगड़े के कारण टेस्ट से बाहर बैठे थे और टेस्ट शुरू होने के बाद यह स्पष्ट था कि गांगुली की चिंता क्या थी। एक हरे सीमिंग विकेट पर, जेसन गिलेस्पी (5-56 और 4-24) की अगुवाई में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने प्रसिद्ध भारतीय बल्लेबाजी क्रम को घरेलू 342 रनों की बड़ी हार दी और 4-मैच की श्रृंखला में 2-0 की बढ़त बना ली। भारत ने मुंबई में हुआ आखिरी टेस्ट (13 रनों से) जीता था, जिसमें टेस्ट मैच तीन दिन से कम समय के साथ खत्म हो गया था। लेकिन, भारत श्रृंखला हार गया और कंगारुओं ने आखिरकार एक काफी समय के इंतज़ार के बाद भारत में सीरिज विजय प्राप्त की थी।