विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया तेजतर्रार है और श्रीलंका के साथ हुई हालिया सीरीज में शेरों पर जबरदस्त तरीके से हावी भी रही है। लेकिन क्या भारत को निश्चिंत हो जाना चाहिए? क्या टीम इंडिया को सच में किसी सुधार की जरूरत नहीं? हम बात करेंगे उन 5 अहम पहलुओं के बारे में, जिनमें भारत को है सुधार की जरूरत: #5 ओपनिंग स्लॉट के असमंजस को सुलझाने की जरूरत धवन ने पहले टेस्ट में 190 रनों की शानदार पारी खेली और खूब तारीफ बटोरी, लेकिन उन्हें केएल राहुल के लिए कैसी राह बनाई? सीरीज से पहले, टीम को साफतौर पर इस बात का अंदाजा था कि मुरजी विजय और लोकेश राहुल ही उनके टेस्ट ओपनर होंगे, लेकिन श्रृंखला से ठीक पहले दोनों खिलाड़ी चोटिल हो गए। अभिनव मुकंद को तीसरे विकल्प के तौर पर चुना गया। शिखर धवन को टेस्ट टीम से बाहर कर दिया गया था और फिर से वापस बुलाया गया। धवन ने मौके को भुनाया और शानदार खेल दिखाया। मुकुंद ने भी दूसरी पारी में 81 रन बनाए और मैच में शानदार फील्डिंग की। भारत के पास ओपनिंग स्लॉट के लिए कई विकल्प हैं। यह बात जितनी फायदेमंद हो सकती है, ठीक तरह से न भुनाने पर उतनी ही खतरनाक भी। इस तरह के कई सवाल कप्तान कोहली और चयनकर्ताओं के सामने आएंगे। आगामी ओवरसीज श्रृंखलाओं के लिए भारत की तैयारी कैसी होगी? इस सवाल का जवाब काफी हद तक ओपनिंग स्लॉट से जुड़े इन सवालों से जुड़ा होगा। #4 विदेशी जमीन के लिए अश्विन को तैयार करना रविचंद्रन अश्विन से जुड़ा बहुत ही रोचक तथ्य है कि वह घरेलू जमीन पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं और फैन्स उनकी तारीफ करते नहीं थकते। लेकिन जैसे ही वह विदेशी पिचों पर खेलने उतरते हैं, उनके प्रदर्शन पर सवाल उठने लगते हैं। अश्विन ने इस दिशा में सुधार भी दिखाया है, लेकिन अभी उन्हें और सुधार की जरूरत है। जडेजा के पास बोलिंग के कुछ कारगर दांव है, जिनके बल पर वह बल्लेबाजों को परेशान कर सकते हैं। अश्विन धीरज खो देते हैं और जब उन्हें सफलता नहीं मिलती, तब वह जल्दी-जल्दी प्रयोग करने लगते हैं। सीरीज के बाकी हिस्से में अभी अश्विन की परीक्षा बाकी है। #3 कप्तानी रवि शास्त्री ने भले ही कप्तान कोहली की तारीफों के पुल बांधे हों, लेकिन अभी धोनी के स्तर तक पहुंचने के लिए उन्हें लंबा सफर तय करना है। पहला मैच में जब श्रीलंका बैकफुट पर था, तब कोहली को आक्रामक फील्डिंग सेटअप रखना चाहिए था, लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना। इनफील्ड में कई गैप्स हैरान कर देने वाले थे। उन्होंने डिफेंस को प्राथमिकता दी, जिसके लिए पूर्व में कई कप्तान पछता चुके हैं। अगर ऐसी स्थिति में दक्षिण अफ्रीका या इंग्लैंड जैसी कोई दूसरी मजबूत टीम रही होती, तो शायद भारत को इस रवैये का खामियाजा भुगतना पड़ता। कोहली को बतौर कप्तान अभी और परिपक्व होने की जरूरत है। कुंबले की विवादास्पद विदाई के बाद फैन्स की उन पर पैनी नजर होगी। #2 तेज गेंदबाजों की धार रहे बरकरार आने वाले महीनों में भारत को घर से बाहर तेज पिचों पर कई मैच खेलने हैं। घरेलू जमीन पर स्पिनरों की वजह से तेज गेंदबाजों का श्रेय दब जाता है, लेकिन विदेशी धरती पर जहां अश्विन और जडेजा की चमक कुछ फीकी सी पड़ जाती है।भारत को भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव, मोहम्मद शमी और इशांत शर्मा पर खास ध्यान देना होगा। उमेश यादव और शमी ने गॉल में अपनी गेंदबाजी से सबका ध्यान खींचा। भुवनेश्वर कुमार ने भी मौका दिए जाने पर कभी निराश नहीं किया। हालांकि, पांड्या की मौजूदगी में उनकी राह कुछ मुश्किल होगी। टीम मैनेजमेंट, कोच और स्किपर के पास इन बातों को मैनेज करने की चुनौती होगी। #1 बतौर गेंदबाज हार्दिक पांड्या का सही इस्तेमाल पहले ही मैच में अर्धशतक और उसके बाद तीसरे टेस्ट में शतक जमा कर हार्दिक ने क्रिकेट फैन्स को रोमांचित कर दिया था। हालांकि, अब जरूरत है कि यह ऑलराउंडर गेंद से भी कुछ कमाल दिखाए। पांड्या को टीम में तेज गेंदबाजी करने में सक्षम ऑलराउंडर के तौर पर जगह दी गई थी, लेकिन पहले टेस्ट की पहली पारी में उन्हें सिर्फ 3 ओवर ही फेंकने दिए गए। दूसरी पारी में मौका मिलने पर पांड्या ने रिवर्स स्विंग की मदद से श्रीलंकाई बल्लेबाजों को खासा परेशान किया। इस बात को ध्यान में रखते हुए पांड्या को गेंदबाजी का और मौका दिया जाए। खासकर ऐसे विकेट पर जहां घास ज्यादा हो। पांड्या का भविष्य इस बात पर काफी हद तक निर्भर करता है कि टीम उन्हें किस तरह इस्तेमाल करती है। लेखकः रोहित शंकर, अनुवादकः देवान्श अवस्थी