रवि शास्त्री ने भले ही कप्तान कोहली की तारीफों के पुल बांधे हों, लेकिन अभी धोनी के स्तर तक पहुंचने के लिए उन्हें लंबा सफर तय करना है। पहला मैच में जब श्रीलंका बैकफुट पर था, तब कोहली को आक्रामक फील्डिंग सेटअप रखना चाहिए था, लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना। इनफील्ड में कई गैप्स हैरान कर देने वाले थे। उन्होंने डिफेंस को प्राथमिकता दी, जिसके लिए पूर्व में कई कप्तान पछता चुके हैं। अगर ऐसी स्थिति में दक्षिण अफ्रीका या इंग्लैंड जैसी कोई दूसरी मजबूत टीम रही होती, तो शायद भारत को इस रवैये का खामियाजा भुगतना पड़ता। कोहली को बतौर कप्तान अभी और परिपक्व होने की जरूरत है। कुंबले की विवादास्पद विदाई के बाद फैन्स की उन पर पैनी नजर होगी।