दिग्गज लेग स्पिनर शेन वॉर्न की बात आपको याद होगी जिसमें उन्होंने एक बार कहा था, "स्पिन गेंदबाज़ी की ख़ासियत ये है कि बल्लेबाज़ों को ऐसा लगे कि उनके ख़िलाफ़ कुछ स्पेशल हो रहा है, लेकिन ऐसा होता नहीं है।" बल्लेबाज़ भी स्पिन खेलने के वक़्त कुछ ज़्यादा ही ध्यान देते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि गेंद किस तरफ़ और कितनी घूम सकती है। हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि स्पिन को अच्छा खेलने के लिए बेहतरीन फ़ुटवर्क ज़रूरी है। इसके बावजूद स्पिन गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ बेहतरीन खेलने वाले बल्लेबाज़ हमने बेहद कम देखे हैं और जो देखे भी हैं वह ज़्यादातर भारत और एशियन उपमहाद्वीप के ही हैं, भारतीय बल्लेबाज़ों के बारे में तो कहा भी जाता है कि स्पिन को खेलने में माहिर होते हैं भारतीय बल्लेबाज़। पिछले 40 सालों में जो बल्लेबाज़ क्रिकेट जगत में आए , उनमें से कुछ स्पिन के ख़िलाफ़ शानदार रहे, आइए एक नज़र डालते हैं उन्हीं में से टॉप-5 बल्लेबाज़ों पर जिन्हें स्पिन खेलने में महारत हासिल थी। #5 ज़हीर अब्बास पाकिस्तान के दिग्गज बल्लेबाज़ ज़हीर अब्बास जिन्हें एशिया का डॉन ब्रैडमैन भी कहा जाता था। 70 के अंत में 80 के शुरुआती दशक में जिस निरंतरता और बेहतरीन औसत के साथ ज़हीर रन बनाते थे, उन्हीं वजहों से उन्हें इस उपाधि से नवाज़ा गया था। ज़हीर अब्बास स्पिन गेंदबाज़ी को बेहद शानदार अंदाज़ में खेलते थे और इसका सबूत भारत के ख़िलाफ़ उनकी लाजवाब बल्लेबाज़ी है। जिस समय टीम इंडिया की स्पिन तिकड़ी से दुनिया डरती थी, तब ज़हीर का बल्ला भगवत चंद्रशेखर, बिशन सिंह बेदी और एरापली परसन्ना का सामना करते हुए रनों का अंबार लगा देता था। ज़हीर अब्बास के करियर के 12 में से 6 शतक भारतीय स्पिन गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ ही आए हैं, जो ये दर्शाते हैं कि ज़हीर अब्बास को स्पिन के ख़िलाफ़ महारत हासिल थी। #4 सुनील गावस्कर इसमें कोई शक नहीं है कि सुनील गावस्कर एक महान बल्लेबाज़ थे और उनका बल्ला कहीं भी और किसी भी परिस्थिति में आग उगलना जानता था। वेस्टइंडीज़ की कहर बरपाती गेंदबाज़ी के सामने तो बिना हेलमेट के इस छोटे कद के बल्लेबाज़ ने रिकॉर्ड चेज़ को भी अंजाम दिया था और सीरीज़ में 700 से ज़्यादा रन भी बनाए थे। गावस्कर सिर्फ़ तेज़ गेंदबाज़ों के ही ख़िलाफ़ नहीं बल्कि स्पिनरों के विरूद्ध भी शानदार बल्लेबाज़ी करते थे और इसकी वजह शायद ये थी कि नेट्स में उनके सामने वह भारतीय स्पिन चौकड़ी होती थी, जिसका ख़ौफ़ दुनिया के तमाम बल्लेबाज़ों पर हुआ करता था। स्पिनरों के ख़िलाफ़ स्वीप करना हो या कवर के क्षेत्र से बाउंड्री हासिल करना, गावस्कर से बेहतर शायद ही कोई बल्लेबाज़ कर पाता। गावस्कर के नाम हर टेस्ट मैच की हर पारी में दोहरा शतक लगाने का रिकॉर्ड है, जो और किसी भी दूसरे बल्लेबाज़ ने आजतक नहीं किया। जो ये दर्शाने के लिए काफ़ी है कि स्पिन के ख़िलाफ़ वह किस तरह और कैसे बल्लेबाज़ी करते होंगे। #3 वीरेंदर सहवाग भारतीय क्रिकेट इतिहास का ऐसा बल्लेबाज़ जिसके नाम टेस्ट क्रिकेट में दो तिहरे शतक हों और एक बार 290 से ज़्यादा का स्कोर। जिस बल्लेबाज़ ने अपने क्रिकेट करियर का और भारतीय इतिहास का पहला तिहरा शतक पाकिस्तान के दिग्गज स्पिनर सक़लैन मुश्ताक़ के ख़िलाफ़ आगे निकलकर लंबा छक्का लगाकर पूरा किया हो, वह स्पिन को कैसा खेलता होगा, इसका अंदाज़ लगाना मुश्किल नहीं। विकेट के सामने स्पिनरों के ख़िलाफ़ खेलना और वह भी एक सलामी बल्लेबाज़ द्वारा ये दर्शाता था इस बल्लेबाज़ की क़ूवत और उनके स्पिन खेलने की क्षमता को। सहवाग ने करियर में 82.23 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए जो इस बात का सबूत है कि गेंदबाज़ को इस बल्लेबाज़ का कितना ख़ौफ़ था। सहवाग की शानदार पारियों में से एक श्रीलंका के ख़िलाफ़ आई गाले में 201 रनों की पारी थी, जब भारत के सारे बल्लेबाज़ अंजता मेंडिस के सामने घुटने टेक रहे थे, तब नजफ़गढ़ के नवाब ने उनकी धज्जियां उड़ाते हुए दोहरा शतक जड़ा था। #2 राहुल द्रविड़ विकेट पर टिके रहने की ललक और अनगिनत मौक़ों पर भारतीय क्रिकेट टीम को संकट से निकालकर जीत दिलाने वाले दिग्गज राहुल द्रविड़ का इस फ़हरीस्त में होना कोई चौंकाने वाली बात नहीं। टीम इंडिया की 'दीवार' से मशहूर राहुल द्रविड़ के नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज़्यादा गेंदो का सामना करने का भी रिकॉर्ड दर्ज है। द्रविड़ जितना अच्छा पेस गेंदबाज़ी को खेलते थे तो उसी तरह उन्हें स्पिनरों के ख़िलाफ़ भी महारत हासिल थी। दुनिया के हर कोने में रन बनाने वाले द्रविड़ को न तो किसी पिच का डर सताता था, न ही किसी गेंदबाज़ का, मुरलीधरण से लेकर शेन वॉर्न या सक़लैन मुश्ताक, अपने वक़्त के सभी स्पिनरों के सामने राहुल द्रविड़ काफ़ी सहज बल्लेबाज़ी करते थे। #1 सचिन रमेश तेंदुलकर सबसे ज़्यादा अंतर्राष्ट्रीय रन, सबसे ज़्यादा शतक, सबसे लंबा करियर, और सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी शायद यही वजह है कि सचिन रमेश तेंदुलकर को क्रिकेट के भगवान के तौर पर देखा जाता है। 15 दिसंबर 2008, चेन्नई का चिदंबरम स्टेडियम जब मुंबई हमले के शॉक से हम उठ भी नहीं पाए थे। तब 35 वर्षीय सचिन तेंदुलकर ने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ एक और मास्टर पारी खेली थी और भारत को हार से निकालते हुए जीत दिलाई थी। ग्रेम स्वान की शानदार गेंदबाज़ी के बावजूद इस भारतीय दिग्गज को कोई परेशानी नहीं हो रही थी और उन्होंने लाजवाब पारी खेलते 387 रनों का पीछा करते हुए भारत को जीत दिलाई थी। और फिर 90 के दशक में सचिन तेंदुलकर और शेन वॉर्न के बीच का मुक़ाबला कौन भूल सकता है। वह भी ऐसा जिसके बाद दुनिया के महानतम स्पिनर ने ये कहा था कि सचिन उनके ख्वाबों में आते हैं और उनके सिर के ऊपर से छक्का लगाते हैं और वह नींद से चौंक कर उठ जाते हैं।