एक महान खिलाड़ी को खेल में उसका प्रदर्शन ही दूसरे खिलाड़ियों से अलग बनाता है। कोई खिलाड़ी मुश्किल हालातों में जितना दमदार प्रदर्शन करेगा वो खेल की दुनिया में उतना ही महान होता जाएगा। क्रिकेट के खेल में भी कई महान खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने खेल के जरिए मुश्किल हालातों में टीम की कश्ती पार लगाई है। किसी टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में अच्छा प्रदर्शन करना हमेशा से एक कठिन काम रहा है। दवाब में भी अच्छा प्रदर्शन करने के कारण कोई खिलाड़ी खुद को भीड़ से अलग दिखा पाने में कामयाब होता है। दबाव के क्षणों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को हमेशा याद भी रखा जाता है। किसी टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में दबाव झेलते हुए शानदार प्रदर्शन करना अपने आप में खास होता है। ऐसे ही कुछ बल्लेबाजों के बारे में जानते हैं जिन्होंने वनडे में टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में सबसे ज्यादा रन बनाए हों:
# 5 महेला जयवर्धने - 1103 रन
श्रीलंका के पूर्व कप्तान महेला जयवर्धने ने 1998 में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपने एकदिवसीय करियर की शुरुआत की थी। अपने 17 साल लंबे करियर के दौरान महेला जयवर्धने ने 32 टूर्नामेंट के फाइनल खेले हैं। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के बाद महेला जयवर्धने ऐसे एकमात्र दूसरे खिलाड़ी हैं जिनको 600 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का अनुभव प्राप्त है। महेला जयवर्धने ने क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबलों में 38.03 के औसत से 1,103 रन बनाए हैं। साल 2011 में हुए आईसीसी विश्वकप में कुमार संगकारा की अगुआई में श्रीलंकाई टीम फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम से हार गई थी। उस समय भारतीय टीम का नेतृत्व महेंद्र सिंह धोनी के हाथों में था। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए 2011 के आईसीसी विश्वकप फाइनल में महेला जयवर्धने एकमात्र खिलाड़ी थे जिन्होंने शतकीय पारी खेली थी। हालांकि उनका ये शतक उनकी टीम के लिए किसी काम नहीं आया और उनकी टीम को हार का सामना करना पड़ा। इस मुकाबले में महेला जयवर्धने ने 88 गेंदों पर 103 रनों की नाबाद पारी खेली थी। ये महेला जयवर्धने का किसी भी वनडे टूर्नामेंट के फाइनल में बनाया गया सर्वोच्च स्कोर था। महेला जयवर्धने के शतक के बदौलत फाइनल मुकाबले में भारत के खिलाफ श्रीलंकाई टीम 50 ओवर में कुल 274/6 रन बनाने में कामयाब रही थी। हालांकि, लक्ष्य का पीछा करने आई टीम इंडिया ने शुरुआती झटकों से उभरते हुए 275 रन बनाकर श्रीलंका को हरा दिया और 6 विकटों से जीत दर्ज करते हुए विश्वकप की ट्रॉफी अपने नाम की।
# 4 एडम गिलक्रिस्ट - 1163 रन
1998 और 2008 के बीच एडम गिलक्रिस्ट ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 33 फाइनल मुकाबले खेले। इनमें उन्होंने 37.51 के औसत से 1,163 रन बनाए। इसके साथ ही एडम गिलक्रिस्ट 2002 में विस्डेन क्रिकेटर ऑफ द ईयर भी थे। एडम गिलक्रिस्ट ने अपने वनडे करियर में 16 शतक लगाए हैं। इनमें से तीन निर्णायक मैचों में उन्होंने बनाए हैं। अपने 12 साल के वनडे करियर में उन्होंने कुल 287 मैच खेले हैं। इसके साथ ही फाइनल मुकाबलों में एडम गिलक्रिस्ट की 2007 में आईसीसी विश्वकप में खेली गई उनकी सबसे यादगार पारी थी। इस फाइनल मुकाबले में एडम गिलक्रिस्ट ने विरोधी टीम के गेंदबाजों के नाक में दम करके रख दिया और शानदार खेल दिखाते हुए बल्ले से रनों की बौछार करने लगे। इस मुकाबले में एडम गिलक्रिस्ट ने शानदार 104 गेंदों में 149 रनों की पारी खेली। इस पारी में एडम गिलक्रिस्ट ने 13 चौके और 8 छक्के लगाए। एडम गिलक्रिस्ट की पारी के बदौलत ही ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हैट्रिक लगाते हुए लगातार तीसरी बार विश्वकप को अपने नाम किया। फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने श्रीलंका की टीम को 53 रनों से डकवर्थ लुईस नियम के तहत मात दी।
# 3 रिकी पॉन्टिंग - 1345 रन
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने साल 1995 से 2009 के बीच 41 एकदिवसीय मैच टूर्नामेंट फाइनल में खेले। इसमें उन्होंने 38.42 की औसत से 1,345 रन बनाए। रिकी पॉन्टिंग ने साल 1995 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने 50 ओवर फॉर्मेट क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी। रिकी पॉन्टिंग ने अपने एकदिवसीय करियर में 375 मैच खेले, जिनमें उन्होंने 30 शतक लगाए हैं। इन शतकों में से 2 शतक उन्होंने टूर्नामेंट फाइनल में बनाए हैं। रिकी पॉन्टिंग ने 1999 में स्टीव वॉ के नेतृत्व में अपने पहले विश्वकप की सफलता का स्वाद चखा। जिसके बाद साल 2003 और साल 2007 में ऑस्ट्रेलिया को लगातार विश्वकप जीत दिलाने वाली टीम का नेतृत्व रिकी पॉन्टिंग ने ही किया था। इसके साथ ही उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की विश्वकप में हैट्रिक को भी पूरा किया। रिकी पॉन्टिंग की जोहानसबर्ग में भारत के खिलाफ 2003 के फाइनल मुकाबले की पारी सबसे यादगार फाइनल पारियों में से एक रही। जब उन्होंने अपनी शानदार बल्लेबाजी की बदौलत फाइनल मुकाबले को एकतरफा कर दिया था। रिकी पॉन्टिंग 121 गेंदों में 140 रन बनाकर नाबाद रहे, जिसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने भारत के सामने जीत के लिए 360 रनों का लक्ष्य रखा था। वहीं लक्ष्य का पीछा करने आई भारतीय टीम इसे चेज नहीं कर पाई, जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया को 125 रन से मैच में जीत हासिल हुई। ऑस्ट्रेलिया ऐसी पहली टीम बन गई जिसने तीन बार विश्व खिताब को अपने नाम किया हो।
# 2 सनथ जयसूर्या - 1613 रन
श्रीलंका के बल्लेबाज सनथ जयसूर्या अपने आक्रामक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। सीमित ओवरों की बल्लेबाजी में उन्हें कई धमाकेदार पारियों को अंजाम दिया है। साल 1989 में अपने वनडे करियर की शुरुआत करने वाले सनथ जयसूर्या ने 2011 में सीमित ओवर क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इस दौरान उन्होंने 445 मैच खेले, जिनमें उनके नाम 28 शतक दर्ज हैं। साल 1999 से लेकर 2009 के बीच सनथ जयसूर्या ने 39 टूर्नामेंट फाइनल खेले। जिनमें उन्होंने 42.44 की औसत से 1,613 रन बनाए। अपनी धाकड़ बल्लेबाजी के लिए पहचाने जाने वाले सनथ जयसूर्या वनडे क्रिकेट में 4 बार 150 रनों का आंकडा पार कर चुके हैं। इसमें उनकी सर्वोच्च स्कोर की पारी भी शामिल हैं, जिसमें उन्होंने विरोधी खेमे के गेंदबाजों की नाक में दम करते हुए 189 रन ठोक डाले थे। ये कारनामा उन्होंने शारजाह में 2000 में भारत के खिलाफ किया। सनथ जयसूर्या ने अपनी इस पारी में 161 गेंदों का सामना कर 189 रनों की शानदार पारी खेली। सनथ जयसूर्या 200 रनों के स्कोर तक पहुंच ही रहे थे कि सौरव गांगुली ने 11 रन पहले ही उनकी पारी पर लगाम लगा दी। हालांकि सौरव गांगुली भारत की शर्मनाक हार को नहीं बचा पाए। इस मैच में 300 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत सिर्फ 54 रन ही बना पाया। इसके साथ ही श्रीलंका ने 245 रन से मैच और ट्रॉफी दोनों अपने नाम करने में कामयाबी हासिल की। टीम इंडिया का 54 रनों का स्कोर अब तक का सबसे न्यूनतम स्कोर रहा है।
# 1 सचिन तेंदुलकर - 1851 रन
सबसे ज्यादा रन बनाने की बात हो और उस लिस्ट में सचिन तेंदुलकर का नाम न हो ऐसा हो नहीं सकता। क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में भी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर सबसे आगे हैं। 24 साल तक भारतीय क्रिकेट टीम में अपना योगदान देने वाले सचिन तेंदुलकर ने साल 1991 से लेकर साल 2011 तक 40 टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले खेले हैं। एकदिवसीय प्रारूप में रन स्कोर करने के मामले में सबसे आगे रहने वाले सचिन तेंदुलकर ने टूर्नामेंट के फाइनल में 54.44 की औसत से 1851 रन बनाए हैं। क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक लगाने का रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले सचिन तेंदुलकर के नाम फाइनल मुकाबलों में भी सबसे ज्यादा शतक लगाने का रिकॉर्ड दर्ज है। सचिन तेंदुलकर ने फ़ाइनल मैचों में 6 शतक लगाए हैं। साल 2009 में कोलम्बो में श्रीलंका के खिलाफ 2009 कॉम्पैक कप फाइनल में मास्टर ब्लास्टर ने शानदार पारी खेली। मैच जिताऊ पारी खेलते हुए सचिन तेंदुलकर ने 133 गेंदों में 138 रन बनाए, सचिन की इस शतकीय पारी के दम पर टीम इंडिया ने 46 रनों से मैच और खिताब जीत लिया।