बीते वर्षों में हमने अलग-अलग देशों के कई ऐसे खिलाड़ियों को देखा है जिन्होंने टेस्ट और वनडे क्रिकेट में मैच विनिंग प्रदर्शन कर टीम की जीत में अहम योगदान दिया है। कुछ खिलाड़ी ने क्रीज पर डटकर आक्रमण का सामना किया, धीरज रखा और बुद्धिमान तरीके से पारी खेली, जबकि कुछ ऐसी भी रहे जो निडर होकर बल्लेबाजी करते रहे। लेकिन कुछ मामलों में ऐसे भी बल्लेबाज रहे हैं जिन्होंने पूरी तरह से विरोधी के खिलाफ अपनी पारी में मैदान पर अपना वर्चस्व स्थापित किया और दूसरी छोर से विकेट गिरने के बावजूद खड़े रहे और ढेरों रन बनाए। हाल ही में, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच वनडे सीरीज के फाइनल के दौरान, ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 328 रन बनाने थे, जिसमें बाएं हाथ के बल्लेबाज डेविड वॉर्नर की 173 रन की पारी व्यर्थ चली गई क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई टीम 296 पर ऑलआउट हो गई, वॉर्नर ने लक्ष्य का पीछा करते हुए 58% रन अकेले बनाए थे। एक नजर उन 5 बेहतरीन बल्लेबाजों पर जिन्होंने एक पारी में सबसे ज्यादा प्रतिशत रन बनाए: #5 वीवीएस लक्ष्मण (261 में से 167, 63.98%) बनाम ऑस्ट्रेलिया, सिडनी,2000
वीवीएस लक्ष्मण को हमेशा 2001 में ईडन गार्डन्स पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के लिए याद किया जाता है। लेकिन इसके अलावा, उनकी पसंदीदा विरोधी ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ बहुत सी बेहतरीन पारियां रही हैं। इस दाएं हाथ के बल्लेबाज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 10 शतक लगाए हैं, और उनमें से एक शतक 1999-2000 में ऑस्ट्रेलिया टूर के दौरान तीसरे टेस्ट में लगाया जो यादगार नहीं था, लेकिन ये शतक काफी महत्वपूर्ण था। भारतीय टीम सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेली गई पहली पारी में 150 रन पर ही ढेर हो गई थी, जिसके जवाब में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए बोर्ड पर 552 रन लगा दिए, इसमें जस्टिन लेंगर की डबल सेंचुरी भी शामिल थी। 400 से ज्यादा रन की बढ़त बना चुकी ऑस्ट्रेलियाई टीम से ये मैच बचाना नामुमकिन लग रहा था और भारतीय बल्लेबाजी फेल हो चुकी थी। ग्लेन मैक्ग्राथ की गेंदबाजी ने भारतीय टीम को पूरी तरह से धवस्त कर दिया था, सिर्फ वीवीएस लक्ष्मण आखिर तक क्रीज पर डटे रहे और उनकी 167 रन की पारी व्यर्थ हो गई। #4 कपिल देव (266/8 में से 175 (नाबाद) बनाम ज़िम्बाब्वे, 65.78 %) टनब्रिज वेल्स, 1983 कपिल देव भारत के महान ऑराउंडर खिलाड़ी के तौर पर जाने जाते हैं और उन्होंने ही लॉर्ड्स में खेले गए फाइनल मुकाबले में वेस्ट इंडीज को मात देकर भारत को पहला वर्ल्ड कप दिलाया था। उनके नाम टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट हासिल करने का रिकॉर्ड दर्ज था, जिसके काफी समय बाद कर्टनी वॉल्श ने उनका रिकॉर्ड तोड़ा। हालांकि टेस्ट में उनके नाम 8 शतक हैं लेकिन वनडे करियर में वो एक बार भी अपने स्कोर को तीसरे आंकड़े में तबदील कर पाए थे, जिस वजह से वो इस लिस्ट में शामिल हैं। 1983 वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज मुकाबले के दौरान ज़िम्बाब्वे के खिलाफ जो मैच भारत के लिए आसान लग रहा था, वो एक बुरे सपने में बदलता जा रहा था। भारत ने 17 रन पर अपने 55 विकेट खो दिए थे, और फिर मैदान पर उतरे ‘हरियाणा के हरकेन’ जब सब कुछ मुश्किल में था उस वक्त कपिल देव ने मोर्चा संभाला। सईद किरमानी के साथ कपिल देव ने नौवें विकेट के लिए 126 रन की साझेदारी की और भारतीय पारी को 60 ओवर के खेल में 266 के सम्मानजनक स्कोर पर पहुंचाया। कपिल देव के नाबाद 175 रनों की बदौलत भारतीय टीम ने ज़िम्बाब्वे को 31 रनों से मात दी। #3 माइकल स्लेटर (184 में से 123, 66.84% बनाम इंग्लैंड) सिडनी,1999 माइकल स्लेटर के खेले गए 74 टेस्ट मैचों के दौरान उनके शानदार स्ट्रोक्स की वजह से ऑस्ट्रेलियाई टीम बहुत बार बड़े स्कोर बनाने में कामयाब हुई है। इन न्यू साउथ वेल्स के खिलाड़ी ने बेहतरीन 42.83 के औसत से 14 शतक जड़े हैं। वर्ष 1998-99 की एशेज सीरीज में 2-1 ऑस्ट्रेलिया बढ़त बनाए हुए थी और सीरीज का सिडनी टेस्ट बाकि था। उसमें पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया को मार्क वॉ की शतकीय पारी की वजह से 102 रन की बढ़त मिली लेकिन दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियाई टीम जल्द ही सिमट गई। इस मैच की हाईलाईट थी स्टेलर की शानदार पारी, पूरी टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद कैसे वो डीन हैडली की घातक गेंद से पहले एक स्तंभ की तरह खड़े रहे और उन्होंने 123 रन की बेहतरीन पारी खेली। ऑस्ट्रेलियाई टीम 184 का छोटा स्कोर ही खड़ा कर पाई, जिसके बाद इंग्लैंड को सीरीज बराबरी के लिए 287 रन की दरकार थी। जिसके बाद स्टुअर्ट मैकगिल की गेंदबाजी ने मेहमान टीम के हालत खराब कर 7 विकेट झटके और 188 पर इंग्लैंड बोल्ड आउट हो गई।
जब भी हम चार्ल्स बैनरमैन के बारे में बात करते हैं, हमें टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में जाना होगा और सबसे अहम मार्च 1877 में प्रतिष्ठित मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेले गया सबसे पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच। इस मैच में, दाएं हाथ के बल्लेबाज ने पहली गेंद का सामना किया और पहला रन बनाया, जिसके बाद यहीं पर टेस्ट इतिहास में दर्ज पहली सेंचुरी लगाई। टॉस जीतने के बाद, ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया लेकिन बैनरमैन के अलावा ज्यादातर खिलाड़ी नाकाम साबित हुए। उन्होंने रिटायर्ड हर्ट होने से पहले नाबाद 165 रन की पारी खेली। सिर्फ 4 बल्लेबाज ही अपने स्कोर को डबल फिगर में तबदील कर पाए और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पारी 245 रन पर समाप्त की, जिसमें सबसे ज्यादा रन चार्ल्स ने बनाए थे। इस मैच के बाद उन्होंने कुछ और टेस्ट मैच खेले, लेकिन उन्होंने हमेशा इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए मैच के लिए याद किया जाता है। #1 विवियन रिचर्ड्स (272/9 में से 189, 69.48% बनाम इंग्लैंड), मैनचेस्टर 1984 विवियन रिचर्ड्स वनडे क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में शुमार हैं और उनकी महानता के पीछे हैं उनके सीमित फॉर्मेट में बेशुमार रिकॉर्ड्स हैं। उनकी अनगिनत असाधारण पारियों में से, नाबाद 189 रन की पारी जो उन्होंने ओल्ड ट्रैफोल्ड में इंग्लैंड के खिलाफ बनाई थी, वो सबसे बेबतरीन थी। ये वनडे सीरीज का पहला मैच था और वेस्टइंडीज की ओपनिंग जोड़ी गॉर्डन ग्रीनिज़ और डेसमंड हेन्स को सस्ते में ही खो चुकी थी, और इस खिलाड़ी ने एंटिगा में अपने शानदार बल्लेबाजी से मैच का रुख बदल दिया था। एक छोर से लगातार विकेट गिरने के बावजूद विवियन रिचर्ड्स बिना संकोच किए अपनी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी जारी रखी।
एक दाएं हाथ के बल्लाज ने अपनी धुआंधार बल्लेबाजी से नाबाद 189 रन की पारी खेली जिसमें 21 चौके और 5 छक्के शामिल थे। दुर्भाग्यवश, सिर्फ दो खिलाड़ी ही अपने स्कोर को दोहरे आंकड़े तक पहुंचा पाए, लेकिन रिचर्ड्स से योगदान से वेस्टइंडीज ने 272 रन बोर्ड पर लगाए।