महेंद्र सिंह धोनी द्वारा लिए गए 5 साहसिक फैसले जो सही साबित हुए

महेंद्र सिंह धोनी भारत के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक है। वह लंबे समय से क्रिकेट खेलने के बावजूद क्रिकेट प्रशंसकों के चहेते हैं। धोनी को 2007 में जब कप्तान बनाया गया था, तब भारतीय प्रशंसकों को उनकी क़ाबलियत का पूरा ज्ञान नहीं था। हालांकि एमएस धोनी की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने 2007 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित टी -20 अंतरराष्ट्रीय विश्व कप का उद्घाटन संस्करण जीत कर इतिहास रच दिया था। धोनी ने अपनी कप्तानी में भारत को कई ख़िताब जिताए हैं और भारतीय टीम के सफल कप्तानों में से एक बन गए हैं। वह भारत टीम के बेहतरीन फिनिशर हैं और उन्होंने अकेले दम पर टीम को कई मैच जिताए हैं। वह कप्तान के रूप में भारत के सफलतम कप्तान रहे हैं। धोनी मैच के दौरान अक्सर साहसिक फैसले लेते रहे हैं और जो सही फैसले साबित हुए हैं। तो आइये मैच के दौरान एमएस धोनी द्वारा लिए गए शीर्ष पांच साहसिक फैसलों पर एक नज़र डालते हैं:

युवा खिलाड़ियों पर भरोसा दिखाना

पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने हमेशा युवा क्रिकेटरों को प्रोत्साहन दिया है। उनकी कप्तानी में भारत को कई बेहतरीन खिलाड़ी मिले हैं। रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, विराट कोहली और मुरली विजय उन खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने धोनी की कप्तानी में अपने क्रिकेट करियर का आगाज़ किया था। 2011 में ऑस्ट्रेलिया दौरे में निराशाजनक प्रदर्शन करने वाले विराट कोहली को एमएस धोनी ने टेस्ट टीम में रिटेन करने का फैसला किया था और एडिलेड में एक शतक लगाकर कोहली ने अपने कप्तान के भरोसे को टूटने नहीं दिया। रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा, जिन्होंने भारतीय सरज़मीं पर अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन विदेशी दौरों में उनका प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा, लेकिन इसके बावजूद कप्तान धोनी ने उन्हें टीम में बनाए रखा। आज यह दोनों गेंदबाज़ दुनिया के सबसे महान स्पिनरों में से एक हैं, खासकर क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में।

रोहित शर्मा को सलामी बल्लेबाज के रूप में बढ़ावा देना:

महेंद्र सिंह धोनी का एक और महत्वपूर्ण कदम रोहित शर्मा को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सलामी बल्लेबाज के रूप में बढ़ावा देना था। मुंबई के लिए खेलने वाले रोहित शर्मा ने वर्ष 2007 में अपनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी लेकिन अपने शुरुआती दौर में मध्य-क्रम में खेलने वाले रोहित शर्मा अपेक्षा अनुरूप प्रदर्शन नहीं क़र पा रहे थे। इस दौरान नियमित सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग की अनुपस्थिति में तत्कालीन कप्तान एमएस धोनी ने रोहित को 2009 के टी -20 विश्व कप में पारी की शुरुआत करने के लिए भेजा। हालाँकि उन्होंने सलामी बल्लेबाज़ी के तौर पर दो मैचों में 88 रन बनाए, लेकिन इसके बाद उनका सलामी बल्लेबाज़ के रूप में पारी की शरुआत करने का मार्ग प्रशस्त हो गया। हालाँकि नियमित सलामी बल्लेबाज की मौजूदगी में उन्हें लगभग 4 साल का इंतज़ार करना पड़ा। चार साल बाद, उन्हें 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के लिए पारी की शुरुआत करने का मौका मिला और उन्होंने सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन किया। रोहित शर्मा अब भारत के सबसे सफल सलामी बल्लेबाजों में से एक हैं क्योंकि उन्होंने वनडे में रिकार्ड तीन तिहरे शतक और टी 20 में तीन शतक लगाए हैं।

विश्व कप 2011 के फाइनल में खुद ऊपर बल्लेबाजी करने आना

एक कप्तान के रूप में एमएस धोनी द्वारा लिए गए साहिसक फैसलों में से शायद यह सबसे साहसिक फैसला था। विश्व कप 2011 में भारत और श्रीलंका के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए ऐतिहासिक फाइनल में श्रीलंका ने भारत को जीत के लिए 275 रनों का लक्ष्य दिया था। फाइनल में इस स्कोर का पीछा करते हुए, भारत ने सहवाग और सचिन को विकेट जल्दी गंवा दिए थे। उसके बाद गंभीर और विराट ने तीसरे विकेट के लिए कुछ रन जोड़े, लेकिन दिलशान ने कोहली का विकेट लेकर इस सांझेदारी को तोड़ दिया। युवराज सिंह, जो उस समय फॉर्म में चल रहे थे, को 5वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करने के लिए आना था, लेकिन कप्तान धोनी ने साहसिक फैसला लेते हुए अपने आप को प्रमोट करते हुए खुद ऊपर बल्लेबाज़ी करने आए। एमएस धोनी ने पहले सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर के साथ अच्छी सांझेदारी की और फिर युवराज सिंह के साथ मिलकर टीम को मैच जिताया । इस तरह से धोनी की अगुआई वाली भारतीय टीम ने 28 साल बाद अपना दूसरा विश्व कप जीत लिया।

टी 20 विश्व 2007 में जोगिंदर शर्मा को अंतिम ओवर की जिम्मेदारी देना

कप्तान के रूप में अपना पहला टी-20 विश्व कप खेल रहे धोनी ने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए टीम इंडिया को फाइनल तक पहुंचा दिया था, जहां उसका सामना पाकिस्तान से होना था। फाइनल मैच में धोनी ने एक और साहसिक फैसला किया था जिसकी वजह से टीम इंडिया पहली बार टी-20 में विश्व विजेता बनी। भारत के मध्यम गति के गेंदबाज़ जोगिंदर शर्मा को अक्सर विश्व टी -20 के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ अपने आखिरी ओवर के लिए याद किया जाएगा, जहां उन्होंने दवाब को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और भारत को 5 रनों से जीत दिलाई थी। पाकिस्तान को अंतिम ओवर में जीत के लिए 13 रनों की जरूरत थी। मिस्बाह-उल-हक के स्ट्राइक पर होने की वजह से सभी को उम्मीद थी की अंतिम ओवर अनुभवी हरभजन सिंह ही करेंगे लेकिन सबको हैरान करते हुए कप्तान धोनी ने युवा और अनुभवहीन गेंदबाज़ जोगिंदर शर्मा को गेंद थमाई। उनके इस फैसले से सभी क्रिकेट प्रशंसक आश्चर्यचकित थे। पहली गेंद वाइड और दूसरी गेंद खाली जाने के बाद मिस्बाह ने अगली गेंद पर छक्का लगाया। धोनी से कुछ बातचीत करने के बाद जोगिन्दर ने अगली गेंद मिडल-स्टंप पर की जिसे मिस्बाह ने फाइनल लेग की और उछाल दिया और गेंद सीधे श्रीसंत के हाथों में गयी। इस तरह से धोनी के निर्णायक फैसले ने भारत पहला टी-20 विश्व कप जीतने में कामयाब हुआ। चैंपियंस ट्रॉफी 2013 में ईशांत शर्मा का स्पेल चैम्पियंस ट्रॉफी 2013 में धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने टूर्नामेंट का ख़िताब जीता था। फाइनल मैच को 20 ओवरों का करने के बाद भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 129 का स्कोर बनाया। उसके बाद जीत की प्रबल दावेदार मानी इंग्लैंड टीम ने अच्छी शुरुआत की और मेज़बान टीम जीत की ओर बढ़ती हुई दिख रही थी। ऐसे में धोनी ने सूझबूझ से फैसला करते हुए इशांत शर्मा को 18 वें ओवर में गेंद थमाई। इशांत ने एक ही ओवर में शानदार फॉर्म में चल रहे इयोन मॉर्गन और रवि बोपारा का विकेट लेकर भारत को मैच में वापसी दिला दी। उसके बाद अंतिम दो ओवर स्पिनरों द्वारा फैंके गए जिन्होंने बेहरीन गेंदबाज़ी करते हुए भारत की जीत का मार्ग प्रशस्त कर दिया। लेखक: सीलाम्बरासन केवी अनुवादक: आशीष कुमार

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
WWE
WWE
NBA
NBA
NFL
NFL
MMA
MMA
Tennis
Tennis
NHL
NHL
Golf
Golf
MLB
MLB
Soccer
Soccer
F1
F1
WNBA
WNBA
More
More
bell-icon Manage notifications