कप्तान के तौर पर धोनी के 5 बड़े फैसले

JOHANNESBURG, SOUTH AFRICA - SEPTEMBER 24:  The Indian Team celebrate their win with Misbah-ul-Haq looking on after the Twenty20 Championship Final match between Pakistan and India at The Wanderers Stadium on September 24, 2007 in Johannesburg, South Africa.  (Photo by Hamish Blair/Getty Images)

भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ दी है। धोनी के अचानक लिए गए इस फैसले से सभी हैरान हैं। हमेशा से ही कैप्टन कूल लोगों के फेवरिट खिलाड़ी रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पर्दापण करने के साथ ही अपने खेल से उन्होंने सबको दीवाना बना लिया। 2007 में जब धोनी को भारतीय टीम की कमान सौंपी गई थी तब कई लोगों को शक था कि क्या धोनी कप्तानी का बोझ उठा पाएंगे ? लेकिन धोनी ने लोगों की उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया और उसी साल दक्षिण अफ्रीका में हुए पहले टी-20 वर्ल्ड कप में भारत को चैंपियन बनाया। इसके अलावा धोनी ने भारत को और कई अहम सीरीज और टूर्नामेंट में जीत दिलाई। 2013 में अपनी कप्तानी में उन्होंने भारत को चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब दिलाया। अपने फैसलों की वजह से धोनी ने सबका दिल जीत लिया। वहीं बल्लेबाजी में निचले क्रम में आकर शानदार बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम को कई नाजुक मौकों से निकालकर जीत दिलाया। उनकी तकनीक और कप्तान के तौर पर लिए गए फैसले ने हमेशा सबको हैरान किया है। धोनी लीक से हटकर फैसले लेते थे और हर बार बाजी मार ले जाते थे। आइए आपको बताते हैं कप्तान के तौर पर धोनी के 5 बड़े फैसलों के बारे में जिससे फैंस हैरान तो हुए लेकिन उस फैसले से भारतीय टीम को काफी फायदा हुआ। 5. 2007 टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में आखिरी ओवर जोगिंदर शर्मा से करवाना महेंद्र सिंह धोनी का कप्तान के तौर पर ये पहला बड़ा फैसला था। इस फैसले से भारतीय क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया। धोनी 2007 में ही भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने थे और 2007 में ही दक्षिण अफ्रीका में पहला टी-20 वर्ल्ड कप खेला गया। धोनी के सामने युवा टीम के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की बड़ी जिम्मेदारी थी। इससे पहले इसी साल हुए 50 ओवरों के वर्ल्ड कप में भारतीय टीम पहले ही दौर में हार कर बाहर हो चुकी थी। ऐसे में धोनी के सामने चुनौतियां काफी ज्यादा थीं। लेकिन धोनी ने टी-20 विश्व कप में जबरदस्त कप्तानी की और भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचा दिया। फाइनल मैच में भारत का मुकाबला चिर प्रतिद्वंदी टीम पाकिस्तान से था। वर्ल्ड कप का फाइनल और वो भी पाकिस्तान के खिलाफ, रोमांच अपने चरम पर था। जैसा कि उम्मीद थी दो चिर प्रतिद्वंदियों के बीच फाइनल मैच आखिरी ओवर तक चला। पाकिस्तानी टीम को आखिरी ओवर में जीत के लिए 13 रन चाहिए थे और विकेट मात्र एक बचा था। मिस्बाह-उल हक क्रीज पर और वो काफी अच्छे टच में दिख रहे थे, ऐसे में धोनी के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि 13 रन बचाने के लिए वो आखिरी ओवर किसे दें। अनुभवी स्पिनर हरभजन सिंह का एक ओवर बचा हुआ था। सब यही उम्मीद कर रहे थे कि धोनी गेंद हरभजन को थमाएंगे लेकिन धोनी के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। सभी को चौंकाते हुए उस नाजुक मौके पर धोनी ने गेंद मीडियम पेसर जोगिंदर शर्मा को सौंप दी। धोनी के इस फैसले से सभी हैरान रह गए, क्योंकि जोगिंदर शर्मा नियमित गेंदबाज नहीं थे और ना ही इतनी तेजी से गेंद करते थे कि बल्लेबाजों को परेशान कर सकें। लेकिन हरभजन सिंह महंगे साबित हो रहे थे और वो मिस्बाह स्पिनरों को काफी अच्छे से खिला रहे थे। इसीलिए शायद धोनी ने जोगिंदर से गेंदबाजी कराने का फैसला किया। जोगिंदर शर्मा ने पहली गेंद वाइड कर दी शायद ये दबाव का नतीजा था अब पाकिस्तान को 6 गेंदों पर 12 रन चाहिए थे। अगली गेंद पर मिस्बाह बीट हो गए लेकिन दूसरी गेंद पर उन्होंने शानदार छक्का जड़ दिया। अब पाकिस्तान को जीत के लिए 4 गेंदों पर महज 6 रन चाहिए थे। भारतीय फैंस की धड़कनें तेज हो गईं। सबको लगा कि मैच हाथ से गया, लेकिन ओवर की तीसरी गेंद को स्कूप करने के चक्कर में मिस्बाह गेंद को हवा में खेल बैठे और फाइन लेग में खड़े श्रीसंथ ने कैच पकड़कर पूरे भारत को जश्न मनाने का मौका दे दिया। बाद में जोगिंदर शर्मा ने बताया कि धोनी ने कहा था कि अगर भारत मैच हारा तो इसकी जिम्मेदारी मेरी होगी। ऐसे कप्तान को कौन नहीं पसंद करेगा ? 4. पाकिस्तान के खिलाफ बॉल आउट DURBAN, SOUTH AFRICA - SEPTEMBER 14:  India celebrate as Shahid Afridi of Pakistan misses the stumps in a bowl off giving victory to India after the match was tied at the end of both teams innings, during the ICC Twenty20 Cricket World Championship match between India and Pakistan at Kingsmead on September 14, 2007 in Durban, South Africa.  (Photo by Hamish Blair/Getty Images) 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज के मैच चल रहे थे। भारत और पाकिस्तान के बीच पहला मुकाबला बेहद रोमांचक रहा और मैच टाई हो गया। अब मैच का फैसला बॉल आउट से होना था। बॉल आउट में हर टीम के 3 खिलाड़ियों को स्टंप को हिट करना था, हालांकि फुटबाल की तरह इस दौरान गेंद और विकेट के बीच कोई बल्लेबाज नहीं रहता था। ज्यादा बार विकेट हिट करने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता। पाकिस्तान ने जहां अपने सबसे 3 बेहतरीन गेंदबाजों को विकेट पर हिट मारने की जिम्मेदारी सौंपी तो वहीं कप्तान धोनी ने लीक से हटकर फैसला लिया। धोनी ने नियमित गेंदबाजों की बजाय सहवाग, रॉबिन उथप्पा और हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ियों से गेंद करवाया। कप्तान धोनी की ये चाल काम कर गई। भारत के तीनों ही गेंदबाजों ने विकेट उखाड़ दिया, लेकिन पाकिस्तान का कोई भी गेंदबाज विकेट को छू तक नहीं सका। धोनी का मानना था कि ऐसे हालात में तेज गेंदबाजी की अपेक्षा धीमी गति के गेंदबाज ज्यादा कारगर साबित होते हैं। 3. 2011 के वर्ल्ड कप फाइनल में बल्लेबाजी में खुद को प्रमोट करना MUMBAI, INDIA - APRIL 02:  Mahendra Singh Dhoni of India hits the winning runs during the 2011 ICC World Cup Final between India and Sri Lanka at the Wankhede Stadium on April 2, 2011 in Mumbai, India.  (Photo by Tom Shaw/Getty Images) 2011 आते-आते धोनी एक बल्लेबाज और कप्तान के तौर पर पूरी तरह परिपक्कव हो चुके थे। 2011 के वर्ल्ड कप फाइनल में एक बार फिर से उन्होंने भारतीय टीम को फाइनल तक पहुंचाया। फाइनल में पहुंचने के साथ ही भारतीय क्रिकेट फैंस की उम्मीदें जग गईं कि 28 साल बाद भारतीय टीम वर्ल्ड कप अपने नाम करेगी। धोनी जानते थे कि फाइनल मैच के दबाव से कैसे निपटा जाता है। फाइनल मैच में भारत के सामने श्रीलंका जैसी मजबूत टीम थी। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 274 रनों का मजबूत स्कोर बनाया। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही। सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर जल्द ही आउट हो गए। हालांकि युवा बल्लेबाज कोहली और गंभीर ने इसके बाद कुछ देर तक पारी को संभाला। लेकिन तिलकरत्ने दिलशान ने अपनी ही गेंद पर एक बेहतरीन कैच लेकर इस साझेदारी को तोड़ा। भारतीय टीम मुश्किल में नजर आ रही थी सबको लगा शानदार फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह अब क्रीज पर आएंगे। लेकिन धोनी ने इस बार भी सबको चौंका दिया और युवराज को ना भेजकर खुद बल्लेबाजी के लिए आए। कमेंटेटरों ने उस समय धोनी के इस फैसले की काफी आलोचना की क्योंकि युवराज पूरे टूर्नामेंट में शानदार बल्लेबाजी करते आ रहे थे जबकि धोनी का बल्ला खामोश था। लेकिन धोनी के इस फैसले के पीछे बहुत बड़ी वजह थी। जिस समय कोहली आउट हुए उस समय श्रीलंका के दिग्गज स्पिनर मुथैया मुरलीधरन गेंदबाजी कर रहे थे। मुरलीधरन शानदार फॉर्म में थे और युवराज सिंह स्पिनर के अच्छे खिलाड़ी नहीं हैं। इसी वजह से युवराज की जगह धोनी खुद बल्लेबाजी के लिए आए, क्योंकि अगर उस समय एक विकेट और गिरता तो भारतीय टीम के लिए जीत असंभव हो जाती। धोनी के इस फैसले ने इतिहास रच दिया। 1983 के बाद भारतीय टीम ने दूसरी बार वर्ल्ड कप का खिताब जीता। कप्तान धोनी ने खुद छक्का लगाकर टीम की विजयगाथा लिखी। 2. अपने खिलाड़ियों के साथ खड़े रहना India's Rohit Sharma (L) celebrates after scoring a century as teammate MS Dhoni looks on (R) during the one-day international (ODI) cricket match between Australia and India at the Melbourne Cricket Ground on January 18, 2015.     AFP PHOTO / Theo KARANIKOS   -- IMAGE RESTRICTED TO EDITORIAL USE - STRICTLY NO COMMERCIAL USE --        (Photo credit should read THEO KARANIKOS/AFP/Getty Images) कप्तान के तौर पर धोनी की सबसे खास बात ये थी कि हर परिस्थिति में वो अपने टीम के खिलाड़ियों के साथ होते थे। अगर कोई खिलाड़ी अच्छी फॉर्म में नहीं होता था तो वो उसका पूरा साथ देते थे। रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, ईशांत शर्मा, मुरली विजय और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के खेल के विकास में धोनी का काफी योगदान है। 2011 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में कोहली को टीम में शामिल करने के लिए धोनी अड़ गए और कोहली ने भी एडिलेड टेस्ट में शतक लगाकर अपने कप्तान के फैसले को सही साबित किया। वहीं उनका दूसरा सबसे बड़ा फैसला था रोहित शर्मा से ओपनिंग करवाना। इसी वजह से रोहित शर्मा वनडे मैचों में 2 बार दोहरा शतक लगाने में कामयाब रहे। इसमें उनका वनडे क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर 264 रन भी शामिल है। वहीं विदेशों में रविंद्र जडेजा और अश्विन के लगातार फ्लॉप होने के बावजूद धोनी ने उनका समर्थन किया। इस विश्वास का ही नतीजा था कि आज दोनों ही गेंदबाज भारतीय टीम के सबसे बड़े मैच जिताऊ गेंदबाज हैं। 1.2013 के आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में इशांत शर्मा पर भरोसा जताना CARDIFF, WALES - JUNE 20:  Ishant Sharma (C) of India is congratulated on the wicket of Kumar Sangakkara of Sri Lanka, after he was caught by Suresh Raina of India during the ICC Champions Trophy Semi Final match between India and Sri Lanka at SWALEC Stadium on June 20, 2013 in Cardiff, Wales.  (Photo by Matthew Lewis-ICC/ICC via Getty Images) 2013 में इंग्लैंड में दुनिया की 8 बेस्ट क्रिकेट टीमों के बीच चैंपियंस ट्रॉफी के लिए जंग हो रही थी। बड़ी-बड़ी टीमों को हराते हुए भारतीय टीम कप्तान धोनी की अगुवाई में फाइनल तक पहुंच चुकी थी। फाइनल में भारत का मुकाबला मेजबान इंग्लैंड से था। बारिश की वजह से मैच 20-20 ओवरों का हो रहा था। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 129 रन बनाए जो कि इंग्लैंड जैसी बल्लेबाजी के सामने काफी कम स्कोर था। लेकिन कप्तान धोनी ने इंग्लिश टीम पर अपने स्पिनरों के साथ मिलकर जवाबी हमला बोल दिया। इंग्लिश बल्लेबाजों को भारतीय स्पिनरों को खेलने में काफी दिक्कत हो रही थी लेकिन वो तेज गेंदबाज इशांत शर्मा की जमकर धुनाई कर रहे थे।18वें ओवर में जब मैच रोमांचक मोड़ पर था और इंग्लैंड की जीत पक्की लग रही थी उस समय धोनी ने अच्छी गेंदबाजी कर रहे स्पिनरों की बजाय महंगे साबित हो रहे इशांत को गेंद थमा थी। धोनी के इस फैसले से भारतीय फैंस काफी निराश हुए सबको लगा कि भारतीय टीम अब ये मैच हार जाएगी। लेकिन इशांत ने अपने कप्तान के फैसले को सही साबित किया और उसी ओवर में इयान मोर्गन और रवि बोपारा के विकेट चटका दिए। दोनों ही बल्लेबाज टिककर खेल रहे थे और काफी खतरनाक लग रहे थे। लेकिन इशांत ने इस साझेदारी को तोड़कर भारतीय टीम को मैच में वापस ला दिया। इसके बाद इंग्लिश टीम पर दबाव बढ़ गया और धोनी ने आखिर के 2 ओवर स्पिनरों से करवाकर इंग्लिश बल्लेबाजों की मुश्किलें और बढ़ा दीं। भारतीय स्पिनरों ने आखिरी 2 ओवरों में शानदार गेंदबाजी करते हुए भारतीय टीम को 2 विकेट से जीत दिला दी। इस तरह से कप्तान धोनी ने अपने एक और फैसले से चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के साथ ही लोगों का दिल भी जीत लिया।