कप्तान के तौर पर धोनी की सबसे खास बात ये थी कि हर परिस्थिति में वो अपने टीम के खिलाड़ियों के साथ होते थे। अगर कोई खिलाड़ी अच्छी फॉर्म में नहीं होता था तो वो उसका पूरा साथ देते थे। रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, ईशांत शर्मा, मुरली विजय और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के खेल के विकास में धोनी का काफी योगदान है। 2011 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में कोहली को टीम में शामिल करने के लिए धोनी अड़ गए और कोहली ने भी एडिलेड टेस्ट में शतक लगाकर अपने कप्तान के फैसले को सही साबित किया। वहीं उनका दूसरा सबसे बड़ा फैसला था रोहित शर्मा से ओपनिंग करवाना। इसी वजह से रोहित शर्मा वनडे मैचों में 2 बार दोहरा शतक लगाने में कामयाब रहे। इसमें उनका वनडे क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर 264 रन भी शामिल है। वहीं विदेशों में रविंद्र जडेजा और अश्विन के लगातार फ्लॉप होने के बावजूद धोनी ने उनका समर्थन किया। इस विश्वास का ही नतीजा था कि आज दोनों ही गेंदबाज भारतीय टीम के सबसे बड़े मैच जिताऊ गेंदबाज हैं।