आज के समय ऐसी बहुत कम चीजें हैं, जिसको पाना विराट कोहली के लिए मुश्किल हो। लोग बात करते हैं, इनकी पर्पल पैच की, लेकिन उनका पैच तो पिछले 4-5 साल से चलता आ रहा है। यह वक़्त के साथ लगातार मजबूत होते जा रहे हैं, पहले उन्होंने वनडे में अपनी योग्यता साबित की और अब टेस्ट क्रिकेट में। यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय टीम के टेस्ट कप्तान मानसिक रूप से और मजबूत हो गए है। अगर वो अपने आप को मोटिवेट रखने में कामयाब हो गए, तो शायद ही क्रिकेट में कोई ऐसा रिकॉर्ड बचे, जिसे वो तोड़ न पाए। वो फिट है और हर एक चुनौती के लिए वो मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार भी हैं। हालांकि उनके टेस्ट करियर को लेकर सबक़ों कुछ न कुछ शक हमेशा ही रहता हैं, अगर उनके वनडे रिकॉर्ड के साथ किसी भी चीज की तुलना करेंगे, तो वो छोटा ही लगेगा। यह शक हैं कि क्या विराट खुद को टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए मोटिवेट रख पाएंगे। उनकी टेस्ट में औसत 44.02 की हैं, जोकि बिल्कुल भी बुरी नहीं है, लेकिन उनकी क्षमता को देखते हुए यह काफी कम है। हालांकि यह औसत लगातार बड़ रही हैं और आगामी वेस्टइंडीज दौरा, उनके लिए बहुत बड़ा टेस्ट होगा, ना सिर्फ उनकी कप्तानी को लेकर, बल्कि उनकी बल्लेबाज़ी को लेकर भी। विराट अपने टेस्ट करियर के 5वें साल में कदम रख चुके हैं। आइये नज़र डालते हैं उनकी 5 शानदार टेस्ट सेंचुरी पर। #5 119 Vs साउथ अफ्रीका(वांडरर्स 2013 में) कई मायने में इस पारी ने उन्हें यह विश्वास दिया कि वो एशिया के बाहर भी भी रन बना सकते है। डेल स्टेन, मोर्ने मोर्केल और वेरनॉन फिलेंडर का सामना करते हुए, विराट ने मैच के पहले दिन शानदार शतक लगाया और टीम को ड्राइविंग सीट पर ले गए। जब वो बल्लेबाज़ी करने आए, तो टीम का स्कोर था 24 रन और टीम ने 2 विकेट भी गवां भी दिए थे, उसके बाद उन्होंने चेतेश्वर पुजारा के साथ मिलकर टीम को संभाला। यह सचिन तेंदुलकर के रिटायर होने के बाद पहला टेस्ट मैच था और विराट उस मैच में चौथे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने आए और सचिन की लेगेसी को आगे बढ़ाया। उन्होंने डेल स्टेन और मोर्ने मोर्केल के खतरनाक स्पैल को संभला, उसके बाद इमरान ताहिर और जेपी डुमिनी पर हल्ला बोला। वो विराट की तरह तो नहीं खेले, लेकिन वो रन बनाने में कामयाब जरूर हुए। इस मैच में उन्होंने अपनी पाँचवी टेस्ट सेंचुरी लगाई। #4 103 Vs श्रीलंका (गॉल टेस्ट 2015) भारत का श्रीलंका दौरा, विराट कोहली का टीम के टेस्ट कप्तान के रूप में पहला दौरा था और उन्होंने साबित भी किया कि जब उनकों कोई ज़िम्मेदारी देंगे, तो वो और अच्छा करकर दिखाएंगे। एक बार फिर जब वो बल्लेबाज़ी करने आए, तो टीम काफी मुसीबत में थी और 28 रनों के अंदर टीम ने 2 विकेट गवां दिए थे, इस बार उनका साथ दिया शिखर धवन ने। उन दोनों ने मिलकर 253 रन जोड़ें। कोहली ने शानदार 103 रन बनाए, लेकिन वो शतक बनाने के बाद आउट हो गए थे। हालांकि दूसरी पारी में जिस तरह भारतीय पारी लड़खड़ा गई, उससे मैच के 5वे दिन भारत महज 112 रनों पर ढेर हो गई और टीम 176 रन का पीछा नहीं कर सके। टीम की हार से उनकी शतकीय पारी की अहमियत खत्म नहीं हो जाती। #3 105 Vs न्यूज़ीलैंड( वेलिंग्टन टेस्ट 2014) इस मैच को हमेशा ही ब्रेंडन मैककुलम के यादगार ट्रिपल के सेंचुरी के लिए याद किया जाएगा। उनकी इस पारी की बदौलत भारत जीत से मरहूम रह गया। हालांकि दूसरी पारी में भारत को 67 ओवर्स में 435 रनों की दरकार थी, और गेम ड्रॉ की तरफ बढ़ रहा था। 23 ओवर के बाद भारत का स्कोर हो गया 54-3 और ऐसा लग रहा था, एक बार फिर टीम हार ना जाए, लेकिन कोहली और रोहित से मिलकर टीम को संभाला। कोहली ने अपने गेम में कोई बदलाव नहीं किया और 135 गेंदों पर 105 रन बनाए। यह मैच ड्रॉ रहा और विराट ने ही न्यूज़ीलैंड को यह मैच जीतने से रौका। #2 169 Vs ऑस्ट्रेलिया(मेलबर्न 2014) इस पारी ने विराट को एक टेस्ट बल्लेबाज़ के रूप में उभारा था। यह बात तो किसी से छुपी नहीं है कि विराट को ऑस्ट्रेलियन आक्रमण कितना पसंद है। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पहली पारी में 539 रन बनाए। जवाब में भारत का स्कोर 147- 3 हो गया था, जब विराट का साथ देने आए अजिंक्य रहाणे। उसके बाद जो आर, वो तो चमत्कार ही था, उन दोनों ने इस तरह हमला किया कि ऑस्ट्रेलियन देखते रह गए। उस पारी में कोहली और मिचेल जॉनसन की भिड़ंत को कोई भी सालों तक नहीं भुला सकता। जॉनसन तेज़ गेंद करते रहे और विराट उन्हें सीमा पर कराते रहे। उन्होंने शानदार 169 रनों की पारी खेली। रहाणे ने भी उस पारी में 147 रन बनाए। उस साझेदारी में दोनों ने 262 रन जोड़े। यह मैच आखिरी दिन तक गया और अंत में ड्रॉ रहा और शायद ही किसी को पता था कि यह एमएस धोनी का आखिरी टेस्ट मैच था। यह एक यादगार मैच था। #1 141 Vs ऑस्ट्रेलिया(एडिलेड 2014) अगर कोई पारी देखनी हों, जिसमे पहले सबका दिल जीता हो, फिर सबका दिल तोड़ा हों, तो वो विराट की यह पारी थी। कप्तान के रूप में अपना पहला टेस्ट खेल रहे विराट ने इतिहास रचते हुए दोनों पारियों में शतक लगाया, लेकिन दूसरी पारी में बनाए गए 141 रन हमेशा ही याद किया जाएगा। भारत मैच के आखिरी दिन 364 रनों का पीछा कर रहा था और शिखर धवन और पुजारा जल्द ही आउट हो गए थे। जब विराट बल्लेबाज़ी करने आए तब टीम का स्कोर था 57-2, उन्होंने अपना नेचुरल गेम खेला और अपने शॉट्स लगाए। मुरली विजय के साथ मिलकर उन्होंने 185 रनों की साझेदारी की और ऐसा लग रहा था कि इंडिया यह मैच जीत जाएगा। हालांकि जब विराट 99 रन पर आउट हुए, तब टीम के बाकी बल्लेबाज़ भी सस्ते में निपट गए। कोहली ने हार नहीं मानी और 141 रन के स्कोर पर नाथन लियॉन को डीप मिड विकेट के ऊपर मरने के चक्कर में वो आउट हो गए। नाथन लियॉन की वजह से ऑस्ट्रेलिया यह मैच 48 रन से जीत गया। हालांकि यह पारी विराट के करियर के सबसे अच्छी पारी थी। लेखक- मनीष पाठक, अनुवादक- मयंक महता