इंटरनेशनल सरकिट में मार्क एक प्रतिष्ठित अंपायर का दर्जा रखते हैं और उन्हें 2007, 2008 में लगातार दो साल अंपायर ऑफ ईयर के खिताब से नवाजा जा चुका है। लेकिन 2008 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए सिडनी टेस्ट ने इनके करियर को तबाह कर दिया। स्टीव बकनर और मार्क बेनसन की इस जोड़ी ने सिडनी टेस्ट में कई विवादित फैसले लिए, और इसी अंपायरिंग की वजह से ये टेस्ट एक शर्मनाक टेस्ट के रुप में देखा जाता है। इस विवाद ने पहले ही दिन जन्म ले लिया, जब रिकी पॉन्टिंग को गलत नॉट आउट दिया गया, बावजूद इसके कि सौरव गांगुली की गेंद पर रिकी पॉन्टिंग के बल्ले का किनारा लगा था और वो साफ आउट थे। गलत फैसलों का सिलसिला बेदसतूर जारी रहा, और एक समय पर ऑस्ट्रेलिया 134/6 के स्कोर से 463 रन बनाने में कामयाब हो गई। ये विवाद उस वक्त और बढ़ गया जब बेनसन ने रिकी पॉन्टिंग से पूछा कि क्या माइकल क्लार्क ने सौरव गांगुली का कैच लिया है। बेनसन के इस फैसले ने भारतीय दर्शकों काफी निराश कर दिया, क्योंकि रिप्ले में से साफ दिखाई दे रहा था कि गेंद क्लार्क के हाथों में आने से पहले मैदान पर गिर चुकी है। मार्क बेनसन ने वर्ष 2009 में अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम का विरोध किया था जिसके बाद उसी साल उन्होंने इंटरनेशन अंपायरिंग से संन्यास ले लिया।